नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने असम में ऐतिहासिक जीत के साथ पूर्वोत्तर के इस राज्य में पहली बार सत्ता हासिल कर ली, जबकि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में जयललिता ने अपना जादू बरकरार रखते हुए लगातार दूसरी बार कामयाबी हासिल की है तथा केरल में वाममोर्चा ने शानदार वापसी की है।
पिछले लोकसभा चुनाव से लगातार हार का सामना कर रही कांग्रेस के लिए ये चुनाव भी निराशाजनक रहे और केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी ने ही उसकी नाक बचाई जहां वह द्रमुक के साथ 17 सीटें हासिल कर सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है। असम और केरल में सत्ता गंवाने के साथ उसकी अब छह राज्यों में ही सरकार रह गई है।
असम में भाजपा ने नया इतिहास रचकर अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया तथा पश्चिम बंगाल और दक्षिणी राज्य केरल में भी स्थिति में खासा सुधार किया है। वह केरल में वोटों में हिस्सेदारी के लिहाज से तीसरे नंबर पर पहुंच गई और विधानसभा में पहली बार खाता खोलने में कामयाब रही। पश्चिम बंगाल में भाजपा ने तीन सीटें जीत लीं, जबकि तीन सीटें उसके सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को मिली हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विधानसभा चुनाव नतीजों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रति जनता का विश्वास बढ़ने का प्रतीक बताते हुए कहा कि देशवासी विकास और आम आदमी के जीवन में बदलाव लाने की पार्टी की विचारधारा को समर्थन दे रहे हैं।
मोदी ने चुनाव परिणाम आने के बाद यहां भाजपा मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के नतीजे भाजपा तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए अत्यंत उत्साहवर्धक हैं। इससे साबित होता है कि भाजपा को तेज गति से देश के सभी क्षेत्रों में स्वीकृति मिल रही है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इन विधानसभा चुनावों में पार्टी के शानदार प्रदर्शन को मोदी सरकार के कामकाज का सकारात्मक प्रभाव बताते हुए आज कहा कि इन नतीजों के साथ देश 'कांग्रेस मुक्त भारत' की दिशा में दो कदम और बढ़ा है तथा इन नतीजों से 2019 के लोकसभा चुनावों की मजबूत बुनियाद पड़ी है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी इस जनादेश को विनम्रता से स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि पार्टी इन चुनावों में हुई हार के कारणों पर मंथन करेगी और खुद को फिर जनता की सेवा में समर्पित करेगी।
असम की 126 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 60 सीटें जीती हैं जबकि उसकी सहयोगी असम गण परिषद ने 14 सीटें तथा बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट ने 12 सीटें हासिल कीं हैं। राज्य में 15 वर्षों तक सत्तारुढ़ रही कांग्रेस 26 सीटों पर सिमट गई है। निवर्तमान विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट भी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाया है और उसने केवल 13 सीटें जीतीं हैं तथा एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार को मिली है।
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस इस बार प्रचंड बहुमत के साथ फिर सत्ता में आई है। राज्य की 294 विधानसभा सीटों में से 211 सीटों के परिणाम उसके पक्ष में गए हैं। लंबे अर्से के बाद किसी पार्टी को वहां 200 से ज्यादा सीटें मिलीं हैं।
पिछली बार तृणमूल ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और उसे 184 सीटें मिली थीं। इस बार अकेले चुनाव मैदान में उतरकर उसने दो तिहाई बहुमत हासिल किया है। मशहूर फुटबॉल खिलाडी बाइचुंग भूटिया तृणमूल की इस आंधी में भी सिलिगुड़ी सीट से हार गए। बंगाल में इस बार वाम दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस ने 44 सीट जीतीं हैं जो पिछली बार की सीटों से दो ज्यादा हैं लेकिन फिर भी उसका प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है।
लगभग 35 वर्षों तक राज्य में सत्ता पर काबिज रह चुकी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की इस बार कांग्रेस के सहारे सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए थी लेकिन उसकी स्थिति और खराब हो गई। उसे मात्र 26 सीटों से ही संतोष करना पड़ा जबकि पिछले चुनाव में उसने 40 सीटें जीतीं थीं। उसके सहयोगी दल फारवर्ड बलॉक को दो, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को एक सीट तथा रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी को तीन सीटें मिलीं हैं। भाजपा और उसके सहयोगी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को तीन-तीन तथा एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार की झोली में गई है।
तमिलनाडु में अधिकतर चुनाव पंडितों को धता बताते हुए मुख्यमंत्री जे जयललिता ने अपना जादू बरकरार रखा। सुश्री जयललिता ने राज्य में 32 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार अन्नाद्रमुक को सत्ता में पहुंचाया है। इससे पहले 1984 में उनकी पार्टी के संस्थापक एमजी रामचंद्रन ने लगातार दो बार सरकार बनाई थी। राज्य की 234 सदस्यीय विधानसभा में अन्नाद्रमुक ने 134 सीटें जीतीं हैं।
अन्नाद्रमुक के चिर प्रतिद्वंद्वी एम करुणानिधि के नेतृत्व वाली द्रमुक ने यद्यपि अपना प्रदर्शन सुधारा है लेकिन वह कांग्रेस के साथ मिलकर भी सरकार बनाने से चूक गई। द्रमुक ने 89 सीटें जीतीं हैं जबकि पिछली बार उसे सिर्फ 23 सीटें मिली थीं। करुणानिधि ने रिकॉर्ड 13वीं बार जीत दर्ज की है। कांग्रेस राज्य में द्रमुक के साथ गठबंधन के बावजूद सिर्फ 8 सीटें जीत पाई है। एक सीट इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को मिली है। दो सीटों पर बाद में चुनाव होगा।
केरल दूसरा राज्य है, जहां कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा है। वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने शानदार जीत हासिल कर एक बार फिर सत्ता में वापसी की है। राज्य की कुल 140 सदस्यीय विधानसभा में माकपा ने 58 सीटें जीती हैं जबकि उसकी सहयोगी भाकपा को 19 सीटें मिली हैं। कांग्रेस ने 22 सीटें जीती हैं तथा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के खाते में 18 सीटें गईं हैं। जनता दल एस भी 3 सीटें जीतने में सफल रहा है जबकि केरल कांग्रेस मणि को छह सीटें मिली हैं।
भाजपा ने केरल में पहली बार खाता खोला है और उसके वरिष्ठ नेता ओ राजगोपाल ने जीत हासिल कर वाम दलों और कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई है। केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी ने कांग्रेस को कुछ राहत पहुंचाई है जहां वह अपने सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के साथ 17 सीटें हासिल कर स्पष्ट बहुमत हासिल करने में सफल रही है। तीस सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 15 तथा द्रमुक को दो सीटें मिली हैं। सत्तारुढ़ एनआर कांग्रेस को 8 सीटों से संतोष करना पड़ा है।
तमिलनाडु में शानदार प्रदर्शन करने वाली अन्नाद्रमुक को पुड्डुचेरी में केवल 4 सीटें मिली हैं जबकि एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। पिछली विधानसभा में कांग्रेस के सिर्फ सात विधायक थे जबकि एनआर कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 15 सीटें जीती थी। चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री एन रंगासामी ने उप राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। (वार्ता)