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Last Updated : मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024 (19:32 IST)

23 दिन बीते, न सांसें चल रही हैं, न दिल धड़क रहा है, गुरु को लाने के लिए समाधि में गई शिष्या

आशुतोष महाराज की शिष्या आशुतोषाम्बरी भी समाधि में

23 दिन बीते, न सांसें चल रही हैं, न दिल धड़क रहा है, गुरु को लाने के लिए समाधि में गई शिष्या - Ashutoshamvari took Samadhi to bring back her mentor Ashutosh Maharaj
आशुतोष महाराज ने 10 साल पहले ही समाधि ली। अब उनकी एक शिष्या आशुतोषाम्बरी 23 दिनों से समाधि में हैं। न उनकी सांसें चल रही हैं और न दिल धड़क रहा है। गुरु के बाद अब उनकी शिष्या के शव को भी सुरक्षित करने के लिए कोर्ट में याचिका दी है। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 
 
लखनऊ के जानकीपुरम के पास सीतापुर रोड पर बने आनंद आश्रम में सेवादार अपनी गुरु मां की तिमारदारी कर रहे हैं। शिष्यों इस उम्मीद में हैं कि गुरु मां जल्द समाधि से लौटेंगी।
समाधि जाने से पहले उन्होंने एक वीडियो अपने शिष्यों के लिए जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि वे समाधि में जा रही हैं ताकि उनके गुरु आशुतोष को लेने जा रही हैं।

वीडियो में उन्होंने वे अपने भौतिक शरीर के साथ अपने गुरु आशुतोष महाराज को उठाने में सक्षम नहीं है इसलिए वे समाधि ले रही हैं। वे दिव्य स्वरूप में अपने गुरु को उठाएंगी। 
 
कौन हैं आशुतोषाम्बरी : साध्वी आशुतोषाम्वरी का जन्म बिहार में हुआ। उन्होंने दिल्ली के आश्रम में दीक्षा हासिल की। लंबे समय तक वहां रहने के बाद वह लखनऊ के आनंद आश्रम में आ गईं। वह यहां लोगो को प्रवचन देते हुए अध्यात्म से जोड़ने का काम किया करती थीं। 
 
10 साल से गुरु भी समाधि में : गुरु आशुतोष महाराज ने 1983 में जालंधर के नूर महल में दिव्‍य ज्‍योति जागृति संस्‍थान की स्थापना की थी। 28 जनवरी, 2014 को दूध पीते-पीते आशुतोष महाराज के सीने में दर्द हुआ।

सेवादार आशुतोष महाराज को संभालने पहुंचे, लेकिन उन्होंने रोक दिया। बोले मेरा समाधि में जाने का समय आ गया है। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि वे शरीर में फिर लौटकर आएंगे।  नूर महल में रहने वाले शिष्यों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया, लेकिन उनके शरीर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। आशुतोष महाराज का शरीर अब भी दिव्‍य ज्‍योति जागृति संस्‍थान में डीप फ्रीजर में रखा है।
 
कौन हैं आशुतोष महाराज : आशुतोष महाराज का जन्म 1946 में बिहार के मधुबनी में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम महेश कुमार झा था।

1983 में उन्होंने जालंधर के नूर महल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की नींव रखी थी। आश्रम की वेबसाइट के मुताबिक उनके देश भर में 350 आश्रम हैं। इनमें से 65 सिर्फ पंजाब में ही हैं। विदेश में भी आशुतोष महाराज के कई आश्रम हैं। आश्रम की प्रॉपर्टी का मूल्य 10 अरब रुपए तक बताया जाता है। Edited By : Sudhir Sharma