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Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 1 अप्रैल 2024 (22:19 IST)

Arvind Kejriwal Case : अरविंद केजरीवाल क्या जेल में रहते हुए भी सरकार चला सकते हैं, क्या कहता है कानून

Arvind Kejriwal Case : अरविंद केजरीवाल क्या जेल में रहते हुए भी सरकार चला सकते हैं, क्या कहता है कानून - arvind kejriwal run delhi government from jail law experts talk about constitution restriction
संविधान या कानून में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है जो जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal)  को पद पर बने रहने से रोकती हो, लेकिन जेल से सरकार चलाना 'व्यावहारिक रूप से असंभव' है। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को सोमवार को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
विधि विशेषज्ञों के विचार 28 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों के अनुरूप हैं, जब उसने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।
कोई कानूनी प्रावधान नहीं : हाईकोर्ट ने कहा था कि आप नेता को गिरफ्तारी के बाद सरकार चलाने से रोकने के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है जिससे किसी न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता हो और अगर संवैधानिक विफलता की कोई स्थिति बनती है तो कार्यकारी अधिकारी कार्रवाई करेंगे।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या केजरीवाल न्यायिक हिरासत के बाद भी मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं, वरिष्ठ वकील अजीत सिन्हा ने कहा कि संविधान में किसी व्यक्ति को एक बार जेल जाने के बाद मुख्यमंत्री बने रहने पर रोक लगाने वाला कोई विशेष प्रावधान नहीं है, लेकिन यह व्यावहारिक रूप से असंभव है।
 
वरिष्ठ वकील और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि कई चीजें हैं जो संविधान में नहीं लिखी हैं और जेल से सरकार चलाना मुश्किल होगा। मुख्यमंत्री को प्रशासन के प्रमुख के रूप में किए जाने वाले प्रत्येक कार्य के लिए अदालत और अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।
 
सिन्हा ने कहा, किसी भी स्थिति में केजरीवाल जेल में कैबिनेट बैठक नहीं बुला सकते। उन्होंने कहा कि जेल से सरकार चलाना 'व्यावहारिक रूप से असंभव' होगा।
 
लालू ने राबड़ी को बनाया था उत्तराधिकारी : सिन्हा ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का उदाहरण देते हुए कहा कि शुरू में उनका विचार था कि सरकार जेल से भी चलाई जा सकती है। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
उन्होंने कहा कि कैबिनेट के फैसले लेना, आधिकारिक कागजात पर हस्ताक्षर करना और स्थानांतरण आदेशों जैसे रोजमर्रा के प्रशासनिक कामकाज का संचालन असंभव होगा क्योंकि ये कार्य जेल के एकांत और संरक्षित क्षेत्र में पूरे नहीं किए जा सकते हैं।
सिन्हा ने कहा कि कैबिनेट की बैठकें जेल में नहीं बुलाई जा सकतीं और इन बैठकों की अध्यक्षता करने वाले मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में राज्य को दिशाहीन कर दिया जाएगा। ऐसी हर बैठक या प्रशासनिक कार्य के लिए केजरीवाल को अदालत की अनुमति लेनी होगी, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है।
 
सिन्हा ने आगे कहा कि संविधान निर्माताओं ने किसी पदासीन मुख्यमंत्री के जेल जाने की कल्पना नहीं की थी और इसलिए इससे निपटने का कोई प्रावधान नहीं था।
 
वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने जहां कहा कि एक बार गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री बने रहने पर कानून में कोई रोक नहीं है, वहीं वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि हालांकि कानूनी तौर पर कोई रोक नहीं है लेकिन प्रशासनिक तौर पर यह लगभग असंभव होगा।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं, शंकरनारायणन ने कहा कि एक बार गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री बने रहने पर कानून में कोई रोक नहीं है।”
 
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के मुताबिक, दोषसिद्धि के बाद ही किसी विधायक को अयोग्य माना जा सकता है और इसलिए, वह मंत्री बनने का हकदार नहीं है। यद्यपि अभूतपूर्व, उसके लिए जेल से कार्य करना तकनीकी रूप से संभव है।”
संघीय जांच एजेंसी ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉड्रिंग मामले में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। एक निचली अदालत ने केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। (भाषा)
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