कोरोना महामारी से जूझ रही जनता पर अब महंगाई की मार पड़ी है। पेट्रोल और डीजल के दामों में रिकॉर्ड इजाफे के बाद अब कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। दिल्ली में पहली बार डीजल के दाम 80 रूपए के पार पहुंच गया है वहीं पेट्रोल के दाम भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। तेल कंपनियां जहां लगातार डीजल और पेट्रोल के दामों में इजाफा कर रही हैं वहीं कीमतों के बढ़ने के पीछे सरकार के द्धारा वसूला जाने वाला एक्साइज और वैट भी बड़ा कारण है।
कोरोना काल में देश में लगातार 19 वें दिन पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले 19 दिनों में डीजल 10.62 पैसा महंगा हो चुका है, दिल्ली में आज एक लीटर डीजल की कीमत 80.02 रुपए प्रति लीटर तो पेट्रोल की कीमतें 16 पैंसे की बढ़ोत्तरी के बाद 79.92 पर पहुंच गई है।
वहीं अगर बात करें मध्यप्रदेश की तो प्रदेश में पेट्रोल की कीमतें 90 रुपए प्रति लीटर के पास पहुंच गई है। राजधानी भोपाल में आज पेट्रोल की कीमतें 87.53 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 79.44 रुपए प्रति लीटर पहुंच गई है।
आखिर क्यों बढ़ रही पेट्रोल- डीजल की कीमतें - डीजल और पेट्रोल के दामों में रिकॉर्ड उछाला और देश में पहली बार डीजल की कीमतें 80 रुपए के पार निकलने पर मध्यप्रदेश डीजल-पेट्रोलियम एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि दाम बढ़ने के एक नहीं कई कारण है। कीमतें बढ़ने का पहला बड़ा कारण सरकार के द्धारा कोविड के लिए फंड जुटाने के लिए पेट्रोल और डीजल का आसान टारगेट बनाया और एक्साइज ड्यूटी में बड़े पैमाने पर इजाफा कर दिया।
कोरोना के चलते राज्यों को भी पैंसे की जरूरत थी तो उन्होंने पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ा दिया है। जैसै मध्यप्रदेश ने एक रूपए प्रति लीटर बढ़ाए लेकिन यूपी, राजस्थान,गुजरात और दिल्ली ने 2-3 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की गई।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने पर अर्थशास्त्री आदित्य मनियां जैन कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें अपने खजाने को भरने के लिए रेवेन्यू के लिए पेट्रोल-डीजल पर काफी निर्भर है और कोविड के चलते खाली खजाने को भरने के लिए उन्होंने टैक्स में बढ़ोत्तरी कर दी। लॉकडाउन के चलते पहले जहां पेट्रोल-डीजल की खपत कम थी लेकिन जैसे ही लॉकडाउन में ढील हुई और खपत बढ़ा तो कंपनियों ने भी घाटा कम करने के लिए दाम बढ़ाना शुरु कर दिया।
खजाना भरने के लिए आसान टारगेट - पेट्रोल और डीजल के महंगा होना का सबसे बड़ा कारण अजय सिंह कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल एक ऐसा प्रोडेक्ट है जिस पर सरकार का सौ प्रतिशत टैक्स की रिकवरी होती है, जैसे अगर हम सौ लीटर डीजल-पेट्रोल बेच रहे है तो पूरा टैक्स सरकार को जाता है, इसलिए सरकार को पैसा इक्ट्ठा करने का ये बहुत साफ टारगेट लगता है।
क्रूड ऑयल के दाम में तेजी - इसके साथ दाम बढ़ने का बड़ा कारण क्रूड ऑयल के दाम बढ़ना हैं। कोरोना महामारी के चलते एक समय क्रूड की कीमतें 18 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी लेकिन जैसे ही कोरोना महामारी थोड़ा नियंत्रण में आई और पूरा विश्व लॉकडाउन से बाहर निकला और थोड़ी सी तेजी आई और तो इसका सीधा असर क्रूड के दामों पर पड़ा। आज की तारीख में क्रूड के दाम 43.41 प्रति बैरल पहुंच गए है, जो पहले की तुलना में दोगुना से अधिक है, ऐसे में कंपनियों की मजबूरी हो गई वो दाम बढ़ाए और नुकसान को कवर करने के लिए तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाने शुरु कर दिए।
मध्यप्रदेश में क्यों महंगा पेट्रोल - मध्यप्रदेश में आम तौर पर सबसे महंगा पेट्रोल और डीजल बिकने पर प्रदेश डीजल पेट्रोलियम एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह कहते हैं कि दिल्ली में पेट्रोल पर टैक्स कम हैं और मध्यप्रदेश में पेट्रोल पर टैक्स अधिक है इसके चलते कीमतों में फर्क हैं और प्रदेश में कीमतें ज्यादा है।
दिल्ली के तुलना में पेट्रोल की कीमतें डीजल से अधिक होने पर इस पर लगने वाले टैक्स में अंतर है। अगर पेट्रोल- डीजल पर टैक्स सामान होता तो हो सकता हैं कि प्रदेश में भी डीजल – पेट्रोल से महंगा हो जाता। मध्यप्रदेश में पेट्रोल पर 28 फीसदी वैट और 5.50 रुपए अतिरिक्त टैक्स और डीजल पर 23 फीसदी वैट और 3.50 रुपए अतिरिक्त टैक्स है।
आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ने पर अजय सिंह कहते हैं कि एक महीने के अंदर पेट्रोल की कीमतें 95 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच सकती है।