महाराष्ट्र में मानसून के कहर से 113 लोगों की मौत, 100 लापता, CM ठाकरे के आगे पीड़ितों ने सुनाई अपनी व्यथा
मुख्य बिंदु
1,35,313 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया
बाढ़, भूस्खलन और बारिश से अब तक 113 लोगों की मौत
6 राहत शिविरों में 2000 लोगों को रखा गया
मुंबई। महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में बाढ़, भूस्खलन और बारिश से जुड़ी अन्य घटनाओं के कारण बीते 24 घंटे में 1 और व्यक्ति की मौत के बाद रविवार को मृतकों की संख्या 113 हो गई, जबकि 100 लोग लापता हैं। राज्य सरकार ने यह जानकारी दी। सरकार ने एक बयान में कहा कि इन घटनाओं में 50 लोग घायल भी हुए हैं।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी जिले में भीषण बाढ़ से ग्रस्त चिपलून का दौरा किया। स्थानीय लोगों के एक समूह ने मुख्यमंत्री के काफिले को रोका और उन्हें इलाके में बारिश के कहर से होने वाली समस्याओं के बारे में बताया।
मुख्यमंत्री ने निवासियों, व्यापारियों और दुकानदारों के साथ बातचीत की और क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राज्य सरकार की ओर से हरसंभव मदद का वादा किया। ठाकरे ने कहा कि उन्हें 'दीर्घकालिक राहत कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता' की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि वह सोमवार को पश्चिमी महाराष्ट्र का दौरा करेंगे और नुकसान की सीमा का एक व्यापक डेटा तैयार किया जाएगा।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नारायण राणे ने बड़े पैमाने पर भूस्खलन का शिकार हुए रायगढ़ के तालिये गांव का गुरुवार को दौरा कर कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे बारिश से हुए नुकसान पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
राणे ने कहा कि स्थानीय निवासियों से सुझाव लेने के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत क्षतिग्रस्त घरों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर राणे के साथ थे। राज्य सरकार ने कहा कि पिछले 24 घंटों में पुणे में एक व्यक्ति की मौत और एक व्यक्ति के लापता होने की खबर है।
सरकार ने कहा कि अब तक रायगढ़ में 52, रत्नागिरी में 21, सतारा में 13, ठाणे में 12, कोल्हापुर में सात, उपनगरीय मुंबई में चार और सिंधुदुर्ग और पुणे में दो-दो लोगों की मौत हुई है। कोल्हापुर, सांगली, सतारा और पुणे के कुल 875 गांव मूसलाधार बारिश से प्रभावित हुए हैं, जबकि 1,35,313 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
रत्नागिरी के 6 राहत शिविरों में करीब 2,000 लोगों को रखा गया है। चिपलून में वशिष्ठी नदी पर बना एक पुल पहले भी भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। ठाकरे ने चिपलून में एक समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था “सुस्त” है।
उन्होंने कहा कि 'हमें दीर्घकालिक राहत कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता की आवश्यकता होगी। केंद्र सरकार ने रक्षा बलों की ओर से बचाव दल तैनात करके सहायता प्रदान की है।' मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सोमवार को पश्चिमी महाराष्ट्र का दौरा करेंगे और नुकसान का व्यापक डेटा तैयार किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया, 'हम पूरी सहायता प्रदान करेंगे।' ठाकरे ने कहा कि प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने में कोई तकनीकी कठिनाई नहीं होगी।
ठाकरे के काफिले को रोकने वाले चिपलून के कुछ निवासियों ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि उन्हें तत्काल राहत की जरूरत है, आश्वासन की नहीं। मुख्यमंत्री से बात करने वाली महिला ने कहा कि 'बाढ़ में हमने सब कुछ खो दिया है।
पिछले तीन दिनों से कोई भी पंचनामा (मौके का निरीक्षण) करने नहीं आया। अब, जल स्तर घटने के साथ, हम अपने घरों और दुकानों से मलबा हटा रहे हैं। अगर बाद में अधिकारी आए और उन्हें सबकुछ साफ मिला तो क्या वे हमें मुआवजा देंगे?'
कुछ निवासियों ने कहा कि यदि स्थानीय प्रशासन ने उन्हें बाढ़ के बारे में पहले से सचेत कर दिया होता तो वे अपना 50 प्रतिशत सामान बचा सकते थे। एक दुकानदार ने कहा कि यहां हम सबने अपना सबकुछ खो दिया है। हम केवल अपनी जान बचा सकते हैं और कुछ नहीं। हमारी दुकानों का बीमा नहीं है।'
एक अन्य निवासी ने बाढ़ की भयावहता को याद करते हुए कहा, 'हमने देखा कि भारी बारिश के कारण पानी का स्तर 2 बजे (मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात को) बढ़ रहा था। 2 से 3 घंटे के भीतर, जल स्तर 10 से बढ़कर 15 फुट हो गया। हमने किसी तरह अपनी जान बचाई, लेकिन हमारा सामान और घर क्षतिग्रस्त हो गया।