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Last Updated : मंगलवार, 20 अगस्त 2024 (20:59 IST)

डॉक्टरों की सुरक्षा पर प्रोटोकॉल के लिए 10 सदस्यीय NTF

डॉक्टरों की सुरक्षा पर प्रोटोकॉल के लिए 10 सदस्यीय NTF - 10-member NTF to prepare protocol on safety of doctors
Kolkata rape murder case: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा तथा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करने के वास्ते 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य बल (NTF) गठित किया। कोलकाता में एक प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद देशभर में प्रदर्शनों के बीच न्यायालय ने चिकित्सकों की सुरक्षा और कुशलक्षेम को राष्ट्रीय हित का मामला बताया।
 
इस घटना को 'भयावह' बताते हुए न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करने और हजारों उपद्रवियों को सरकारी सुविधा में तोड़फोड़ करने की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर 'राज्य की शक्ति' का इस्तेमाल न करने तथा 'राष्ट्रीय स्तर पर भावनाओं के उबाल के इस क्षण में' उनके साथ अत्यंत संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करने को कहा। ALSO READ: कोलकाता रेप मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, पूछे सवाल
 
आरती सरीन होंगी कार्यबल की अध्यक्ष : वाइस एडमिरल आरती सरीन की अध्यक्षता वाले 10 सदस्यीय कार्यबल को तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को हत्या की जांच में हुई प्रगति पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, साथ ही राज्य सरकार से भी कहा कि वह उपद्रवियों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
 
अदालत ने पीड़िता का नाम, उसकी तस्वीरें और उसके मृत शरीर को दिखाने वाले वीडियो क्लिप के मीडिया में प्रसारित होने पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। अस्पताल में भीड़ की हिंसा और कोलकाता पुलिस के घटनास्थल से भाग जाने के आरोप को गंभीरता से लेते हुए, शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों को काम पर लौटने में सक्षम बनाने के लिए अस्पताल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती का आदेश दिया। ALSO READ: शव के पास मिली डायरी, क्या कोलकाता पीड़ित की इस डायरी से खुलेगा दरिंदगी का राज?
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस निर्मम घटना और उसके बाद हुए प्रदर्शनों के मद्देनजर, राज्य सरकार से यह अपेक्षा की गई थी कि वह कानून-व्यवस्था के उल्लंघन को रोकने के लिए राज्य मशीनरी की तैनाती सुनिश्चित करेगी। न्यायालय ने कहा कि ऐसा करना और भी आवश्यक था क्योंकि अस्पताल परिसर में घटित अपराध की जांच चल रही थी। हम यह समझ पाने में असमर्थ हैं कि राज्य सरकार अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ की घटना से निपटने के लिए कैसे तैयार नहीं थी।
 
पूर्व प्राचार्य की आलोचना : प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष की इस बात के लिए आलोचना की कि उन्होंने मामले को आत्महत्या का रूप देने का प्रयास किया तथा मृतका के माता-पिता को कई घंटों तक उसका शव नहीं देखने दिया।
 
न्यायालय ने कहा कि प्रधानाचार्य क्या कर रहे थे? पहले इसे आत्महत्या का मामला क्यों मान लिया गया और प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई? शव को देर रात दाह संस्कार के लिए माता-पिता को सौंप दिया गया। अगले दिन डॉक्टर विरोध में उतर आए और अस्पताल में भीड़ जमा हो गई।
 
पीठ ने कहा कि अस्पताल पर हमला किया गया और महत्वपूर्ण सुविधाओं को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस क्या कर रही थी? एक गंभीर अपराध हुआ है और अपराध स्थल अस्पताल के भीतर है। पुलिस को अपराध स्थल की सुरक्षा करनी चाहिए थी। पुलिस उपद्रवियों को अस्पताल में घुसने कैसे दे सकती है। प्रिंसिपल के इस्तीफा देने के बाद उसे दूसरे अस्पताल में भेज दिया जाता है। जब उसके आचरण की जांच हो रही थी तो उसे तुरंत दूसरे कॉलेज में कैसे नियुक्त कर दिया गया? ALSO READ: कोलकाता रेप पीड़ित डॉक्‍टर के पिता का छलका दर्द, बेटी की तस्‍वीर को लेकर कह दी ये बात, प्‍लीज ऐसा मत करो
 
हम चिंतित हैं : पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि कोलकाता में जो कुछ हुआ वह सिर्फ एक भयानक हत्या ही नहीं है, बल्कि एक ऐसी घटना है जिसने डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में प्रणालीगत मुद्दे उठाए हैं। न्यायालय ने कहा कि हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि पूरे देश में, खास तौर पर सरकारी अस्पतालों में, सुरक्षित कार्य स्थितियों का अभाव है। ज्यादातर युवा डॉक्टरों को 36 घंटे काम करना पड़ता है।
 
उसने कहा कि हम पाते हैं कि पुरुष और महिला डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के लिए कोई ड्यूटी रूम या अलग-अलग शौचालय उपलब्ध नहीं हैं। हमें एक राष्ट्रीय आम सहमति बनानी चाहिए कि एक राष्ट्रीय मानक प्रोटोकॉल होना चाहिए ताकि सुरक्षित कार्य परिस्थितियां प्रदान की जा सकें। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि महिलाएं सुरक्षित रूप से अपने कार्यस्थल पर नहीं जा सकतीं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं।
 
क्या कहा कपिल सिब्बल ने : पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इन टिप्पणियों का खंडन किया और कहा कि कोलकाता पुलिस ने सभी आवश्यक कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि वे सभी तथ्य रिकॉर्ड पर रखेंगे। सिब्बल ने अदालत से कहा कि पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही तस्वीरें और वीडियो प्रसारित कर दिए गए थे। हमने कुछ भी होने नहीं दिया और इलाके की घेराबंदी कर दी। जांच की गई और तुरंत अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया। हमने अपराधी को पकड़ लिया जो एक स्वयंसेवी था। यह कोई विरोधात्मक मुकदमा नहीं है।
 
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस की जानकारी और सहमति के बिना 7,000 लोगों की भीड़ अस्पताल में इकट्ठा नहीं हो सकती थी। सिब्बल ने कहा कि तोड़फोड़ की घटना के बाद 50 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और 37 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
 
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि वह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने वाले और सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने वाले लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न करे। सिब्बल ने कहा कि इस मामले के बारे में मीडिया में काफी गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं और राज्य सरकार केवल इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
 
इसके बाद अदालत ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार कोलकाता की घटना के मुद्दे पर समाज के किसी भी वर्ग द्वारा किए जा रहे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर आवश्यक संयम बरतेगी। उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में परास्नातक चिकित्सक के बलात्कार और हत्या की घटना के विरोध में देशभर में जारी चिकित्सकों की हड़ताल के बीच इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala