नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई की सुबह देश की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित किए गए इस समारोह में मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमणा ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले भाषण के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें कही। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में युवाओं के योगदान, 200 करोड़ कोविड टीकाकरण, समस्त नागरिकों के अधिकारों के संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किए।
ये रहीं भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के उद्बोधन की 10 बड़ी बातें -
1. मुर्मू ने कहा कि मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा और अधिकारों के प्रतीक इस पवित्र संसद भवन के मंच से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता के साथ अभिनंदन करती हूं।
2. उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुंचना मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है। ये भारत के हर गरीब की उपलब्धि है।
3. मुर्मू ने कहा कि मैं चाहती हूं की मेरे भारत की सभी बेटियों और बहनों को सशक्त बनाया जाए, ताकि हर क्षेत्र में उनका योगदान बढ़ता जाए।
4. द्रौपदी मुर्मू ने स्वयं को आजाद भारत में जन्मी देश की पहली राष्ट्रपति बताया। उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सैनानियों ने आजाद भारत के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थी, हमें उन्हें तेज गति से आगे बढ़ाना होगा।
5. भारत के सभी नागरिकों का विश्वास, उनका सहयोग और आत्मीयता मुझे मेरे कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए सदा प्रेरित करते रहेंगे।
6. मुर्मू ने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में भारतवर्ष की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों - सभा प्रयास और सबका कर्तव्य पर आगे बढ़ेगा।
7. विविधताओं से भरे अपने देश में हम अनेक भाषा, धर्म, संप्रदाय, खान-पान, रीति-रिवाजों को अपनाते हुए 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के निर्माण में सक्रीय भागीदारी देंगे।
8. मुर्मू ने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी की 50वीं वर्षगांठ मन रहा था, तब मेरे राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई और आज जब हम सभी अमृत महोत्सव के रूप में आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहे हैं, तब मुझे ये दायित्व मिला।
9. मुर्मू ने कहा कि कल यानी कि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। मैं आज इस मंच से देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।
10. मुर्मू ने कहा कि एक वॉर्ड कॉउन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने का अवसर मुझे मिला। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है।