आखिर कितनी और क्या समानताएं हैं सरदार पटेल और प्रधानमंत्री मोदी में?
सख्त चेहरा और सख्त फैसलें। कुछ ऐसी ही शख्सियत थी भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की। कहा जाता है कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कुछ-कुछ वैसे ही हैं। उनका कार्यकाल बताता है कि उन्होंने अब तक कई ऐसे फैसलें लिए हैं जो शायद कोई अन्य प्रधानमंत्री न ले पाता।
31 अक्टूबर को सरदार पटेल का जन्मदिन है। उन्होंने भारत की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई थी।
इसी मौके पर आइए जानते हैं आखिर क्या और किस तरह की समानताएं सरदार पटेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में नजर आती हैं।
बोलने की आदत
सरदार पटेल बहुत ही मृदुभाषी थे। वे कम बोलने और ज्यादा काम करने में यकीन रखते थे। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पटेल ने कभी कोई विवादित बयान नहीं दिया। हालांकि पीएम मोदी के कई बयान ऐसे हैं जिनसे विवाद पैदा हुए। जहां सरदार पटेल कम बोलते थे, वहीं मोदी के भाषण लंबे होते हैं। कहा जाता है कि सरदार पटेल मौन रहना पसंद करते थेे।
आलोचना
आलोचना की बात करें तो पटेल कभी भी आलोचना से घबराए नहीं। हालांकि बहुत कम बार ऐसा हुआ कि किसी को उनकी आलोचना के मौके मिले हों। वहीं प्रधानमंत्री मोदी की भी विपक्ष में काफी आलोचना होती है, लेकिन वे भी अपनी आलोचना से भी भयभीत या उग्र नहीं हुए। पटेल के साथ मोदी की यह समानता देखी जा सकती है।
फैसले
फैसले लेने में पटेल और मोदी दोनों को समान कहा जा सकता है। इतिहास में ऐसे कई फैसले हैं जो बेहद सख्त थे, जिन्हें सरदार पटेल जैसी शख्सियत ही ले सकती थी। ठीक इसी तरह पीएम मोदी भी अपने फैसलों को लेकर जाने जाते हैं। उन्होंने कई ऐसी निर्णय लिए हैं, जो शायद ही कोई दूसरा प्रधानमंत्री लेता।
कपड़े
सरदार पटेल खादी के प्रेमी थे, वे धोती कुर्ता और खादी के जैकेट आदि पहनते थे। हालांकि मोदी भी कुछ जगहों पर खादी में नजर आते हैं लेकिन मोदी की ज्यादातर पोशाक खादी की बनी हुई नहीं होती है। यहां वे पटेल से असमान नजर आते हैं।
हालांकि मोदी कई जगहों पर सरदार पटेल का जिक्र करते हैं। जब भी उन्हें नेहरू की आलोचना करता हो तो वे सरदार पटेल का नाम लेते हैं। उन्होंने गुजरात में सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनवाई है। एक सबसे बडी समानता यह हैै कि पटेल और मोदी दोनों गुजरात से आते हैं और यहीं के रहने वाले हैं।