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'पद्मावत' भी प्रतिबंधित-समय का अंतराल

'पद्मावत' भी प्रतिबंधित-समय का अंतराल - padmavati to padmavat
तमाम कानूनी और सेंसर प्रक्रियाओं के बाद अनेक कट्स लगने, सेंसर होने यहां तक कि नाम परिवर्तन होने के बावजूद फिल्म 'पद्मावती' को नया नाम 'पद्मावत' देने के बावजूद भाव नहीं मिले। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने साफतौर पर प्रदेश में फिल्म रिलीज से मना कर दिया, भले ही नाम बदल दिया गया हो। ऐसा ही कुछ और राज्यों में किया गया है।
 
हालांकि अनेक बार स्क्रीनिंग, सेंसरशिप, कट्स... आदि-इत्यादि के साथ और नाम बदल दिया गया है और वातावरण भी अब पहले से ज्यादा शांत नजर आ रहा है, लेकिन कुछ राज्यों में 'पद्मावत' पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
 
इस ऐतिहासिक फिल्म को लेकर भड़कने का सबसे बड़ा कारण है समय का अंतराल। बात साधारण, मगर गंभीर रूप से विचारणीय है। आज हम जिस युग में रह रहे हैं उसमें तमाम परिवर्तनों के साथ मानव बुद्धि में भी यानी सोचने-समझने की क्षमता और हालातों के नजारों में परिवर्तन हुआ ।
 
सत्यवादी हरीश्चन्द्र, रामायण, मुगल-ए-आजम जैसी धार्मिक या ऐतिहासिक फिल्मों के निर्माण को लेकर विरोध न होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि उस दौर में महात्मा गांधी की अहिंसा का चहुंओर व्यापक प्रभाव था, जो बरसों तक रहा। आज के दौर में 'पद्मावती' का विरोध होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि 'पद्मावती' भले ही काल्पनिक पात्र हो, मगर राजपूत समाज के लिए सम्माननीय है।
 
ऐसे में संजय लीला भंसाली ने फिल्म में कुछ हालात ऐसे पैदा कर दिए जिससे राजपूत समाज का भड़कना स्वाभाविक था। सबसे बड़ी बात यह कि पॉजीटिव यानी सकारात्मकता ही सबको स्वीकार होती है। फिल्मकार ने इतिहास के साथ फिल्म को नाटकीयता प्रदान करने के लिए प्रेम-प्रसंग और कुछ दृश्य जैसा कि राजपूत समाज का कहना है, उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले ठूंस दिए थे। तो स्वाभाविक है कि विरोध जायज था।
 
मगर संजय लीला भंसाली द्वारा निर्मित फिल्म 'पद्मावती' को लेकर काफी विरोध और समर्थन के अनार फूट रहे हैं। फिल्मों से जुड़ीं हस्तियां और गैरफिल्मी प्रेमी अपने-अपने तर्क देकर 'पद्मावती' का समर्थन कर रहे हैं, वहीं फिल्म के विरोध में राजपूत समाज, इनसे जुड़े संगठन और अन्य लोग हैं।
 
रहा सवाल इस बात का कि विरोध क्यों और क्या जायज है? जवाब से पहले हम इस बात को जान लें कि 'पद्मावती' से पहले भी कई ऐतिहासिक फिल्में बनी हैं। पुराने समय में तो ऐतिहासिक फिल्मों का ही दौर था। इसी दौर में 'पद्मावती' के नाम से संभवत: पहले भी फिल्म बनी होगी। तब इतना विरोध या समर्थन नहीं किया गया। इसका सबसे बड़ा कारण है समय का अंतराल। यह गहराई से विचारणीय बात है।
 
आज हमारे पास अत्याधुनिक तकनीकी है। विज्ञान की बदौलत आज सारा विश्व एक गांव में तब्दील हो गया। आज से लगभग 50 साल पहले तक ऐसा नहीं था।