शादी के बाद के सुहाने सपने में डूबा दुल्हा बेहद खुश है, लेकिन बहुत तेज बजते डीजे की आवाज से उसे घबराहट हो रही है। वो कई बार आवाज कम करने के लिए कह चुका है, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। वरमाला के ठीक बाद पसीने से तरबतर होकर वो स्टेज पर गिर पड़ता है, हार्टअटैक से उसकी मौत हो जाती है।
घटना सीतामढ़ी में सोनबरसा थाना क्षेत्र के इंदरवा गांव की है। तेज आवाज में चलते डीजे की आवाज और लोगों की लापरवाही ने उसकी जान ले ली। डॉक्टरों ने दूल्हे की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई। कोरोना के बाद कमजोर हो चुके दिल के थमने की ऐसी कई कहानियां सामने आ चुकी हैं, लेकिन शादियों में बैंडबाजों की कर्कश आवाजें और डीजे की तेज बीट की वजह थमती हार्ट बीट के बाद भी शादी-समारोह के नजारे बहुत डरावना ट्रेंड बनते जा रहे हैं।
कैसे हैं बारात के दृश्य इन दिनों?
बारात निकल रही है। घर की खिड़कियों के कांच, जमीन, सब थर-थर थर्रा रहे हैं। कुत्ते कान फोडू शोर से दुखी हो भौंक रहे। छोटे बच्चे, मरीज, बूढ़े परेशान हो रहे। ये न केवल बारात बल्कि आये दिन निकलने वाले जुलूस, चल समारोहों आदि के दृश्य हैं। समझ ही नहीं आता कि इनका क्या किया जाए? पहले बैंड वाले चल रहे उस पर कुछ लोग-लुगाई नाच रहे। ढ़ोलक वाले उस पर भी, फिर नगाड़िये अलग से जिन्हें आमने–सामने से ताड़ियों से कूटे जा रहे बेरहमी से, उस पर भी नाच- कूद रहे बेहूदगी से। यदि ये नहीं है तो बड़े-बड़े स्पीकर से लदी गाड़ियां हैं जिस पर फुल वॉल्यूम में बजने वाले गानों ने सबकी नींद हराम कर रखी है। बची-खुची कसर बम फटाके पूरी कर रहे हैं।
सबसे आखिर में नजर आता है बेचारा दुल्हा जिसके कारण ये सब लोग आज अपनी गर्मी निकाल रहे। इतने से पेट नहीं भरा तो घोड़े भी नचा रहे शान बघारने, उसके चारों पैरों में घुंघरू बांध रखे हैं, हंटर फटकार रहे वो बेचारा मार के डर से, शोर से हैरान परेशान खौफजदा प्राणी उछाले मार रहा है। कुछ लोग प्रायोजित अल्प, स्वल्पाहार का आनंद उठा रहे हैं जिससे दूसरों को होने वाली दुश्वारियों से कोई लेने-देने नहीं होता। जहां खड़े हैं, वहीं फैलारा और कचरे को फेंके जा रहे हैं। जिसके घर के आगे ये सब हो रहा है उसकी आत्मा ही जानती है कि वो क्या भुगत रहा है?
कितना बदल गया बारात का, समारोहों का स्वरूप। जानते हैं आप कई जगह तो खिड़कियों के कांच टूट जाते हैं और आप किसी को दोष नहीं दे सकते। सोचिये कितना खतरनाक कम्पन उत्पन्न होता है इनसे। कितना घातक है ये शोर कोई समझने ही तैयार नहीं। उससे भी घातक है बेसुरे और बेताले नाचने-गाने वालों का शोर शराबा। कोई एक चीज तो समझ आए जिस पर ये नाच-गा रहे हैं। सब अपनी ही धुन में झटके मारे जा रहे बदन को। इनमें लड़कियों, औरतों की बराबरी की भागीदारी होती है। रोते गाते घिसटाते बच्चे ये सब फटी फटी आंखों से देखते बेचारे से लगते। दुनिया कहां जा रही है और हम हैं कि अभी भी तरस रहे कि कहीं तो सुन लें– घोड़ी पे हो कर सवार चला है दुल्हा यार कमरिया में बांधे तलवार... या आज मेरे यार की शादी है जैसा कुछ। पर कैसे? आजकल बारातियों से ज्यादा तो बाजेन्तरे बुला लिए जाते हैं। घेरे बना बना के पूरी बारात के टुकड़े हो जाते हैं। न्यौछावर के पैसों के लूटमार झगड़े हो जाते हैं। ये है आजकल की बरातों की छोटी सी बानगी। इसमें घट-बढ़ आप अपने हिसाब से भुगती हुई बातों का कर सकते हैं।
अब बात ये है कि क्या हम इन्हें कंट्रोल नहीं कर सकते? क्या इतना जरुरी है ये सब दिखावा करना? जब थोड़े में ज्यादा मधुर, सुंदर काम हो सकता है तो ये कर्कश आवाजें क्या बिगाड़ा नहीं करतीं? क्या बारात बेमजा करना ख़ुशी देता होगा? मैं तो दाद देती हूं उन नाचने वाले बजने वालों की जो इतने के बाद भी सुन-समझ लेते हैं कि वे किसकी किस आवाज और धुन पर नाच गा रहे हैं। वाकई कमाल का टेलेंट होता है ये। तरस तो दुल्हे पर आता है क्यों कि जब कान में ठेठ अंदर तक मुंह घुसेड़ के बोलने के बाद भी क्या कहा समझ न पड़ती हो वहां मुंह में बड़े पान दबाए, साफे में कैद कानों में कही गई बात पर जब वो बेचारा अपनी मुंडी जोर जोर से हिला हिला कर हां हां करता है तो कोई जादूगर लगता है। जिसे सबके मन की बात पता हो।
खैर, क्या करें। सबका अपना अपना अंदाज है... अपनी ढपली अपना राग है... शायद सोचते होंगे आशिक की है बारात जरा धूम से निकले.. तो जनाब, ये धूम दूसरों को कितनी तकलीफ देती है उसका भी तो थोड़ा ख्याल रखें।Edited: By Navin Rangiyal