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मदर्स डे पर कविता :उनसे पूछो जिनकी मां नहीं होती...

मदर्स डे पर कविता :उनसे पूछो जिनकी मां नहीं होती... - poem on mothers day
-प्रियंका कौशल
 
जिंदगी कितनी कांटों से भरी होती है,
उनसे पूछो जिनकी मां नहीं होती है।
 
कैसे चलते होंगे वे गैरों की अंगुलियां थामकर,
जिंदगी जिनकी दूसरों की रहनुमा होती है।
 
खुद गीले में सो, हमें सूखे में सुलाने वाली,
वह मां तो खुद ईश्वर का रूप होती है।
 
वह अनमोल खजाना है स्नेह का,
वह हीरा है, सोना है, मोती है।
 
लेकिन दुनिया में सबसे बदनसीब है वो,
जिनके सर मां के आंचल की छांव नहीं होती है।
 
जिंदगी का फलसफा क्या है दोस्तों,
उनसे पूछो जिनकी मां नहीं होती है।