Maharashtra Assembly Elections 2024: सिंधुदुर्ग (Sindhudurg) जिले के मालवण (Malvan) शहर में लाल पत्थर से निर्मित राजकोट (Rajkot) किले में इन दिनों एक संरचना सफेद तिरपाल से ढंकी हुई है। यह छत्रपति शिवाजी (Shivaji) महाराज की वही प्रतिमा है, जो अगस्त में ढह गई थी और जिसके बाद पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के साथ राजनीतिक भूचाल आ गया था।
चुनावी राज्य में विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने इस घटना को जनता के बीच मुद्दा बनाया और प्रतिमा के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सरकार को घेरा। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तो यहां तक वादा कर दिया है कि अगर एमवीए सत्ता में आती है तो वे पूरे राज्य में शिवाजी के मंदिर बनवाएंगे।
स्थानीय लोगों ने कहा कि मालवण में प्रतिमा के ढहने से लोगों का गुस्सा और पीड़ा साफतौर पर दिख रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र की पहचान महान मराठा राजा से है लेकिन लोगों के लिए इससे भी बड़े और गंभीर मुद्दे हैं जिनमें रोजगार और खराब स्वास्थ्य सुविधाएं हैं।
विधानसभा चुनावों पर कुछ असर पड़ सकता है : मुंबई से करीब 500 किलोमीटर दूर मालवण में कॉपी-किताब की दुकान की मालिक कल्पिता जोशी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिव प्रेमी (शिवाजी के अनुयायी) होने के नाते हम निराश हैं और इसका यहां 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों पर कुछ असर पड़ सकता है। वह उन स्थानीय निवासियों में शामिल थीं जिन्होंने प्रतिमा ढहने के बाद विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। विरोध प्रदर्शन तब हिंसक हो गया, जब शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं और भाजपा सांसद नारायण राणे के समर्थकों के बीच झड़प हो गई।
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जोशी ने मांग की कि दिसंबर (2023) में स्थापित की गई प्रतिमा 8 महीने में कैसे गिर सकती है? इसके निर्माण में किसी भी तरह की अनियमितता में शामिल लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। लेकिन उनकी बड़ी चिंता स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। पर्यटन और मछली पकड़ने का काम साल में केवल 6 माह ही चलता है, इसलिए इस क्षेत्र में नौकरियां कम हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को नौकरी देने वाले उद्योगों के साथ आय का एक स्थायी स्रोत होना चाहिए ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े। जिनके पास समुद्र तट के किनारे जमीन है, वे रिजॉर्ट खोल सकते हैं या होम स्टे शुरू कर सकते हैं। उन लोगों का क्या जिनके पास ऐसा कुछ नहीं है? हमारे बच्चों को बड़े शहरों में जाना पड़ता है, जहां रहने के लिए जेब ढीली करनी पड़ती है।
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मालवण शिवाजी द्वारा निर्मित प्रसिद्ध सिंधुदुर्ग किले के लिए जाना जाता है : यह शहर शिवाजी द्वारा निर्मित प्रसिद्ध सिंधुदुर्ग समुद्री किले के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र अपने काजू उत्पादन और अल्फांसो आमों के लिए भी जाना जाता है। मालवण की अर्थव्यवस्था पर्यटन और मछली पकड़ने के काम पर टिकी है। हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटक शहर से सिंधुदुर्ग किले तक नौका से जाते हैं।
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एक टूर ऑपरेटर ने कहा कि हमारे लिए शिवाजी महाराज सिर्फ आस्था और सम्मान का विषय ही नहीं हैं। उनकी मृत्यु के 350 साल बाद भी उनके द्वारा बनाया गया किला हम में से कई लोगों को रोजगार देता है। यहां एक रेस्तरां संचालित करने वाले गुरुनाथ राणे ने कहा कि नए किले में पूरे सालभर जाया जा सकता है जबकि सिंधुदुर्ग किले में मानसून के कारण लगभग 6 महीने तक पर्यटकों का प्रवेश वर्जित रहता है।
किले सिंधुदुर्ग प्रेरणोत्सव समिति के अध्यक्ष राणे ने कहा कि (राजकोट) किला जर्जर हालत में था, जहां किलेबंदी क्षतिग्रस्त हो गई थी। लेकिन राज्य सरकार ने (पिछले साल के) नौसेना दिवस से पहले किले का पुनर्निर्माण किया। यह समिति मुख्य सिंधुदुर्ग किले के जीर्णोद्धार के लिए काम करती है।
राजकोट किले के पास समुद्र से केकड़े पकड़ने वाले मछुआरे बालू भोगवेकर ने कहा कि जो कुछ भी हुआ, सो हुआ। जब आप जल्दबाजी में प्रतिमा बनाते हैं तो वह ढह ही जाएगी लेकिन सरकार को अब जल्द से जल्द नई प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। लोग जानते हैं कि इस घटना पर राजनीति की जाती है। मुझे नहीं लगता है यह कोई चुनावी मुद्दा बनेगा। यहां लोग स्थानीय मुद्दों को ही प्राथमिकता देते हैं।
मालवण में नीलेश राणे और वैभव नाइक मुख्य दावेदार : मालवण, कुडल निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, जहां शिवसेना के नीलेश राणे और शिवसेना (यूबीटी) के वैभव नाइक मुख्य दावेदार हैं। नाइक ने कहा कि छत्रपति शिवाजी यहां के लोगों के लिए स्वाभिमान के प्रतीक हैं और हालांकि उनकी पार्टी इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहती लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने केवल छोटे लोगों को ही गिरफ्तार किया है, मुख्य दोषियों को नहीं।
उनके प्रतिद्वंद्वी नीलेश राणे ने कहा कि प्रतिमा ढहने के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रतिमा को ढहाने के लिए कई महीनों की कोई साजिश भी हो सकती है। नीलेश ने कहा कि जब प्रतिमा ढही तो नाइक 15 मिनट में ही मौके पर पहुंच गए थे, जो संदेह पैदा करता है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta