चुनाव में हार मंजूर लेकिन नेता-पुत्रों को नहीं मिलेगा टिकट, जेपी नड्डा की दो टूक, विस चुनाव के साथ निकाय चुनाव में भी लागू होगा फॉर्मूला
भोपाल। मध्यप्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव और निकाय चुनाव में भाजपा परिवारवाद से आने वालों को टिकट नहीं देगी। यह कहना है भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का। आज भोपाल में प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ कहा कि भाजपा परिवारवाद को बढ़ावा नहीं देगी, चाहे चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़े।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा ने देश की राजनीति में परिवारवाद की संस्कृति के खिलाफ आवाज उठाई है और हमारी कोशिश है कि पिता के बाद बेटा न आ जाए, इसको रोका जाए। उन्होंने कहा कि कई बार ऑपरेशन करना पड़ता है,थोड़ी पीड़ा होती है। परिवारवाद पर बोलते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का बरकरार रखना है और इसलिए पार्टी में परिवारवाद की कोई जगह नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि अगर सब परिवार को चलाना है, तो कल को कौन कार्यकर्ता आगे आएगा।
नेता पुत्रों के राजनीति में सक्रिय होने पर सवाल पर जेपी नड्डा ने कहा कि वह पार्टी (संगठन) के लिए काम करें अच्छी बात है लेकिन जहां तक प्रतिनिधित्व की बात है तो पार्टी कार्यकर्ता को ही आगे बढ़ाएगी। जेपी नड्डा ने कहा कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर भी परिवार से आने वालों को टिकट नहीं दिए और यहीं नीति मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव और निकाय चुनाव दोनों में लागू होगा। नड्डा ने साफ कहा मध्यप्रदेश में पिछले दिनों उपचुनाव और हिमाचल प्रदेश में चुनाव के दौरान पार्टी को हार का सामना करना पड़ा लेकिन परिवारवाद को किनारा रखा गया।
जेपी नड्डा ने परिवारवाद के मायने को समझाते हुए कहा कि पिता अध्यक्ष, बेटा जनरल सेक्रेटरी, संसदीय बोर्ड में चाचा-ताउ यहीं परिवार है। उन्होंने परिवारवादी पार्टी को गिनाते हुए जम्मू कश्मीर में पीडीपी, हरियाणा में लोकदल, पंजाब में शिमोमणि अकाली दल,उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, पश्चिम बंगाल में टीएमसी, डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, जेएमएम परिवारवाद के उदाहरण है।