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Last Updated : मंगलवार, 10 सितम्बर 2024 (11:51 IST)

सोया स्टेट मध्यप्रदेश में सोयाबीन पर सियासी घमासान, 6000 समर्थन मूल्य को लेकर कांग्रेस की न्याय यात्रा

सोया स्टेट मध्यप्रदेश में सोयाबीन पर सियासी घमासान, 6000 समर्थन मूल्य को लेकर कांग्रेस की न्याय यात्रा - Politics regarding support price of soybean in Madhya Pradesh
भोपाल। सोया स्टेट मध्यप्रदेश में सोयाबनी के दामों को लेकर अब सियासी घमासान छिड़ गई है। समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीब की मांग को लेकर एक ओऱ जहां किसान सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे है तो दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस ने सोयाबीन किसानो के समर्थन में आज से न्याय यात्रा शुरु कर दी है। 

सोयाबीन के समर्थन मूल्य को लेकर हंगामा-देश के सबसे अधिक सोयाबीन उत्पादन करने वाले राज्य मध्यप्रदेश में सोयाबीन के समर्थन मूल्य को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है। मध्‍य प्रदेश जहां मालवा-निमाड़ के साथ-साथ महाकौशल के इलाके में बड़ी संख्या में किसान सोयाबीन की खेती करते है वह सोयाबीन को समर्थन मूल्य को लेकर नाराज है। प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन का दाम 3800 से 4000 रुपये क्‍विंटल मिल रहा है, जबकि सोयाबीन का MSP 4892 रुपये क्‍विंटल है। ऐसे में मंडियों में पहुंचने वाले किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों का दावा है कि सोयाबीन के ये दाम 10 सालों में सबसे निचले स्‍तर पर हैं। वहीं जैसे-जैसे मंडियों में फसल की आवक बढ़ेगी दामों में और गिरावट आएगी।

ऐसे में मध्‍य प्रदेश में किसान संगठनों ने सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपये क्‍विंटल तय करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है। किसान नेता राहुल राज कहते हैं कि कहने को तो मध्यप्रदेश सोया स्टेट है लेकिन किसानों को उनकी सोयाबीन की फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। वह कहते हैं कि सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 प्रति क्विं घोषित किया लेकिन मंडियों में किसानों को वह भी नहीं मिल रहा है, जबकि सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की लागत में काफी इजाफा हुआ है। राहुल राज कहते हैं कि उनकी मांग है कि सरकार तय समर्थन मूल्य पर 1118 रुपए बोनस की घोषणा कर किसानों से 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल  की दर से सोयाबीन खरीदे।

राहुल राज केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल करते हुए कहते हैं कि जब केंद्र सरकार कर्नाटक तेलंगाना और महाराष्ट्र के किसानों का सोयाबीन सरकार खरीदने के लिए आदेश कर चुकी है। ऐसे में जब मध्यप्रदेश के सोयबीन के किसान 6 हजार के भाव के लिए संघर्ष कर रहे है तो मध्य प्रदेश के किसानों ने ऐसा कौन सा गुनाह किया है कि उनका आदेश अब तक नहीं हुआ। जबकि केंद्रीय कृषि मंत्री मध्यप्रदेश से आते है और यहां तो डबल इंजन की सरकार है। ऐसे में भाजपा सरकार मध्यप्रदेश के किसानों के साथ नाइंसाफी कर रही है।  

किसानों ने स़ड़क पर उतरकर किया प्रदर्शन- सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने को लेकर प्रदेश के  किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है। पिछले दिनों संयुक्त किसान मोर्चा मध्यप्रदेश द्वारा प्रदेश की सभी ग्राम पंचायत में पंचायत सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने का किसानों से आह्वान किया गया था, जिसके बाद बड़ी  संख्या में किसानों ने पंचायत, तहसील और जिला मुख्यालयों पर सरकार को ज्ञापन सौंपे है।

सोयाबीन उत्पादक किसानों के समर्थन में कांग्रेस- मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में किसान सोयाबीन का उत्पादन करते है, ऐसे में सोयाबीन के समर्थन मूल्य को लेकर अब सियासी भी छिड़ गई है। सोयाबीन किसानों के समर्थन में कांग्रेस आज से मध्यप्रदेश में न्याय यात्रा का प्रारंभ कर रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी मंदसौर से न्याय यात्रा की शुरुआत करें। वहीं कांग्रेस पूरे मामलों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंहं चौहान पर हमलावर है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि यह केवल किसानों का आंदोलन नहीं है बल्कि किसानों के भविष्य का आंदोलन है। उन्होंने ऐलान किया कि 20 सितंबर को पूरे मध्य प्रदेश में सोयाबीन के उचित दाम दिलाने को लेकर आंदोलन किया जाएगा।

उन्होंने कहा है कि जब तक सोयाबीन की फसल का सही दाम नहीं दिया जाएगा, तब तक कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चैन से वे सोने नहीं देंगे। कांग्रेस सोयाबीन उत्पादक किसानों के समर्थन में 13 सितंबर को होशंगाबाद और 15 सितंबर को आगर मालवा में आंदोलन करेगी।

पीसीसी चीफ ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान महाराष्ट्र में सोयाबीन की फसल की समर्थन मूल्य पर खरीदी की पैरवी करते हैं, क्योंकि वहां चुनाव है लेकिन मध्य प्रदेश में वे समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदने को तैयार नहीं है। ऐसे में प्रदेश और केंद्र की सरकार की दोहरी नीति से किसानों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भेदभाव क्यों?"
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