अजब एमपी की गजब कहानी! : सरकार शराब दुकानें खुलवाने पर अड़ी, ठेकेदार नहीं खोलने पर, अधिकांश इलाकों में बंद हैं दुकानें
भोपाल। लॉकडाउन के बीच मध्यप्रदेश में शराब की दुकानें खोले जाने को लेकर अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। सरकार के आदेश के बाद आज प्रदेश में अधिकांश इलाकों में शराब ठेकदारों ने अपनी दुकानें नहीं खोली। लिकर एसोसिएशन ने कोरोना संक्रमण को फैलने के डर से रविवार को ही शराब की दुकानें खोले जाने से इंकार कर दिया है जिसके बाद आज प्रदेश के ग्रीन जोन के जिलों में भी अधिकांश शराब की दुकानें बंद है।
शराब एसोसिएशन के प्रवक्ता राहुल जायसवाल ने कहा कि पिछले 40 दिन से शराब की दुकानें कोरोनो संक्रमण की डर के चलते बंद थी अब अचानक से सरकार ने शराब दुकानें खोले जाने का फैसला किया है। सरकार ने रेड जोन में शराब की दुकानें नहीं खोले जाने की अनुमति नहीं दी है केवल ग्रीन और ऑरेंज जोन में सशर्त शराब बेचे जाने की परमिशन दी है। ऐसी हालात में रेड जोन में बनी शराब ग्रीन और ऑरेंज जोन मे बंटेगी तो ऐसी स्थिति में कोरोना का संक्रमण फैलने का डर रहेगा।
इसके साथ ही लिकर एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जब तक कोरोना संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता तब शराब की दुकानें नहीं खोली जाए। एसोसिएशन ने सरकार के सामने प्रस्ताव रखा कि वह दुकानों का संचालन अपने हाथ में ले लें और खुद शराब की बिक्री करे। शराब ठेकेदारों को इस बात का भी डर है कि अगर शराब की दुकानें खुली तो बड़ी संख्या में लोग शराब खरीदने के लिए पहुंचेंगे जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ जाएगी और कोरोना के संक्रमण के फैलने का डर रहेगा।
वहीं सरकार जो पहले से खाली खजाने की समस्या से जूझ रही थी उसके शराब की दुकानें इस समय राजस्व का सबसे बड़ा कमाई का जरिया है। ऐसे में अगर शराब ठेकेदार बार –बार निर्देशों के बाद भी दुकानें नहीं खोलेते है तो सरकार उनकी लाइसेंस फीस भी जब्त कर सकती है। सरकार दुकान नहीं खोलने वाले शराब ठेकेदारों को डिफाल्टर घोषित करते हुए इन दुकानों का फिर से टेंडर जारी कर सकती है। वहीं लिकर एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार उन पर दुकान खोले जाने का दबाव डालती है तो वह हाईकोर्ट का रूख करेंगे।