मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश की गति को और तेज करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की श्रृंखलाएं आयोजित करने की शुरूआत की गई है। इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी में 20 जुलाई को जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव आयोजित हो रही है। इसके बाद सितंबर में ग्वालियर और अक्टूबर में रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का आयोजन प्रस्तावित है। इसी दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्रदेश के बाहर तमिलनाडु के कोयंबटूर में 25 जुलाई को, कर्नाटक के बेंगलुरु में अगस्त में, दिल्ली में सितंबर और इंदौर में सितंबर में ही प्रस्तावित है।
जबलपुर में 1500 से अधिक निवेशकों की भागीदारी हो रही है। आयोजन में बायर-सेलर मीट भी रखी गई है, जिसमें 1000 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भागीदारी की सहमति दी है। इसमें ब्रिटेन, कोस्टारीका, फिजी, ताइवान और मलेशिया का प्रतिनिधिमंडल भी भाग लेगा और कृषि एवं रक्षा क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा होगी। कॉनक्लेव में लगभग 70 परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास होंगे।
रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव के बाद 7 और 8 फरवरी 2025 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन की तैयारियां शुरू हो जायेंगी। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश की नई निर्यात नीति की घोषणा होगी और निवेश बढ़ाने के लिए नये निवेशकों के साथ नई उद्योग नीति में किए गए प्रावधानों को सांझा किया जाएगा।
निवेश परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव-मध्यप्रदेश का निवेश परिदृश्य सकारात्मक रूप से बदल रहा है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क बन रहा है। यह 222.77 करोड़ रूपये की लागत से 360 एकड़ में विकसित हो रहा है। इसी प्रकार धार में पीएम मित्रा-पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल एंड एपेरेल पार्क भी आकार ले रहा है। इसकी लागत 1000 करोड़ रुपए है और यह 1563 एकड़ में फैला है। नर्मदापुरम में 227 एकड़ में मैन्यूफैक्चरिंग जोन फार पावर एंड रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट भी अपना स्वरूप ले रहा है। इस पर 464.65 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसके अलावा मुरैना में मेगा लेदर फुटवियर एसेससरीज क्लस्टर डेवलपमेंट पार्क 161 एकड़ में बन रहा है जिसकी लागत 222.81 करोड़ रुपए आएगी। इस प्रकार इन चारों परियोजनाओं पर 1910.23 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
राज्य सरकार प्रदेश को औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सुनियोजित प्रयास कर रही है। मध्यप्रदेश में निर्माण क्षेत्र में सुधार आने के साथ ही प्रदेश से विदेशी निर्यात की अपार संभावनाएं बनी है। अब विदेश व्यापार नीति के अनुसार मध्यप्रदेश ने निर्यात पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यम, किसान और किसान उत्पादक संगठनों, कलाकारों के हस्तशिल्प प्रोडक्ट और उद्यमियों के स्टार्टअप को सहयोग दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश से निर्यात की संभावनाओं का आंकलन कर ऐसे उत्पादों की निर्यात सूची बनाई गई है, जिनकी विदेशी बाजार में मांग है।
जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ-मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल पर सभी जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ बन गए हैं। इससे छोटे और मझौले स्तर के उत्पादकों में निर्यात के प्रति जागरूकता आई है। मध्यप्रदेश व्यापार संगठन परिषद और निर्यात प्रकोष्ठों ने मिलकर कई कार्यक्रम आयोजित किये हैं जिससे निवेश की संभावनाओं का आंकलन करने में सरकार को मदद मिली।
नीमच, हरदा, अशोकनगर, नरसिंहपुर, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और धार में जिला निर्यात संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किये गये। प्रदेश भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में योगदान बढा़ने की दिशा में प्रयासरत हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में दवा उत्पाद, कपास, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीन, कपड़ा, जैविक रसायन, एल्युमिनियम, धातु, अनाज, विद्युत मशीनरी उपकरण, प्लास्टिक जैसे प्रोडक्ट का निर्यात हुआ है। सबसे ज्यादा दवा उत्पादों का निर्यात हुआ। इनका निर्यात मूल्य 13,158 करोड़ रूपये है।
दोगुना निर्यात का लक्ष्य-अगले तीन सालों में मध्यप्रदेश का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इंदौर सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला जिला है, जिसने 20,256 करोड़ रुपए का निर्यात किया। इसके बाद धार, रायसेन और सीहोर जिलों से ज्यादा निर्यात हुआ। धार से 10,973 करोड़, रायसेन से 7561 करोड़ रुपए, सीहोर से 4,045 करोड़ रुपए मूल्य का निर्यात हुआ।
मोहन सरकार ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है। बड़े निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिये राज्य में एक कस्टमाइज पैकेज का प्रावधान भी है। निवेश प्रक्रिया और अनुमोदन को सरल बनाने के लिए एकल खिड़की प्रणाली काम कर रही है। वर्तमान में इस पोर्टल पर 12 विभाग सूचीबद्ध है और 46 सेवाएं उपलब्ध है।
औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2024-25 के बजट में आकर्षक प्रावधान किए हैं। निवेश प्रोत्साहन योजना के लिए 2000 रुपए का बजट प्रावधान किया है। औद्योगीकरण विकास के लिए 490 करोड़ रुपए, भू-अर्जन, सर्वे और सर्विस चार्ज के लिए 177 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए निवेश संवर्धन सुविधा प्रदान करने के लिए 699 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के संचालन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रावधान है। भविष्य में उदयोगों के संवर्धन में गति आयेगी।
निवेश की अच्छी शुरूआत-रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव की शुरूआत उज्जैन से हुई थी। इसमें एग्रो ऑयल एंड गैस कंपनी ने 75 हजार करोड़ रुपए निवेश की घोषणा की थी। जेके सीमेंट ने 4000 करोड़, वोल्वो ने 1500 करोड़, एशियन पेंट्स ने 2000 करोड़, एचईजी ने 1800 करोड़, हिंदुस्तान इंजीनियर इंडस्ट्रीज ने 1500 करोड़, एलएनटी माइंड ट्री ने 800 करोड़, पेंशन ग्रुप में 400 करोड़ और ओरिएंटल पेपर मिलने 980 करोड़ रूपये निवेश करने की सहमति दी। इन एक लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्तावों के पूरा होने से लगभग 1 लाख से ज्यादा रोजगार का निर्माण होगा। इसी प्रकार मुंबई इंडस्ट्री कान्क्लेव में प्रदेश में 75 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा और एक लाख से ज्यादा रोजगार का सृजन होगा।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट ने 450 करोड़ रुपए, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने 50 हजार करोड़ रुपए, ग्रासिम इंडस्ट्री ने 4000 करोड़ रुपए, जेएसडब्ल्यू लिमिटेड ने 17000 करोड़ रुपए, जोत डाटा सर्विस ने 500 करोड़ और एलएनटी ने 2000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव दिया। पर्यटन के क्षेत्र में महिंद्रा हॉलिडे ने 750 करोड़ रुपए और ओबेरॉय होटल समूह ने 400 करोड़ रुपए निवेश का वादा किया है।
रीजनल स्तर पर ऐसे प्रयासों से क्षेत्र एवं आसपास के निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही सभी क्षेत्रों का समान रूप से विकास करने पर फोकस है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह अनूठा प्रयास है। इन प्रयासों से मध्यदेश में औदयोगिक निवेश की गति तेज हो गई है। कनेक्टि विटी, उदयोग-मित्र नीतियों और उदयोग-अनुकूल अधोसंरचनाओं से मध्यप्रदेश निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।