भोपाल में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने शिक्षकों का किया सम्मान, 54 लाख विद्यार्थियों को गणवेश के लिए सिंगल क्लिक से किए 324 करोड़ रुपये अंतरित
भोपाल।भोपाल में राजस्तरीय शिक्षक पुरस्कार-2024 के लिए चयनित 14 शिक्षकों, वर्ष-2023 में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त दो शिक्षकों और राज्य स्तरीय शैक्षिक संगोष्ठी में प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त शिक्षक-शिक्षिकाओं को शॉल-श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र और सम्मान राशि का चेक प्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर नवाचार श्रेणी के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था टी-4 एजुकेशन द्वारा विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त रतलाम के सीएम राइज विनोबा विद्यालय के शिक्षकों का सम्मान भी किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि शिक्षक, आदर्श समाज और राष्ट्र के शिल्पकार हैं। उनकी महत्ता इस बात से ही समझी जा सकती है कि माता-पिता, बच्चों को जन्म और संस्कार देते हैं, जबकि शिक्षक उन्हें ज्ञान, संस्कार और जीवन मूल्यों के साथ आदर्श नागरिक बनाते हैं। शिक्षा प्रगति की पहली सीढ़ी है। यह समाज में समानता, स्वावलम्बन और स्वाभिमान के गुणों को विकसित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि विद्यार्थियों में देश प्रेम के साथ गरीब, वंचित और जरूरतमंदों की मदद के गुणों को विकसित करें। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि शिक्षक, अपना काम यह मानकर करें कि वे न सिर्फ बच्चों को विद्यादान कर रहे हैं बल्कि विकसित और विश्वगुरू भारत के निर्माण में योगदान भी दे रहे हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से पाठ्यक्रम में संस्कार आधारित शिक्षा के समावेश और क्रियान्वयन के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक रूप से गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष महत्व रहा है। इसी का परिणाम है कि भारतीय समाज ने हर काल परिस्थिति में देश के सामने आने वाली चुनौती में प्रभावी तरीके से महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। हर चुनौती पूर्ण स्थिति में देश की शैक्षणिक संस्थाएं अपने दायित्व निर्वहन में सक्रिय और सजग रही हैं। भगवान श्रीराम के काल में शिष्य के रूप में प्रशिक्षित हो रहे श्रीराम और लक्ष्मण ने भी दृढ़ता पूर्वक तत्कालीन चुनौतियों का सामना किया। भगवान श्रीकृष्ण सांदीपनि आश्रम आकर 64 कला, 14 विद्या, 18 पुराण, चारों वेद और शस्त्र और शास्त्र के बीच तालमेल में निपुण हुए। घनघोर युद्ध में उनके मुखारविंद से निकली वाणी, श्रीमद् भगवद् गीता के स्वरूप में विश्व के सामने आई है। यह तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था की सामर्थ्य का प्रमाण और भारतीय संस्कृति के गर्व का आधार है। चंद्रगुप्त और चाणक्य के रूप में भी परंपरा की इस निरंतरता के दर्शन होते हैं। इसी क्रम में सम्राट विक्रमादित्य ने भी आक्रांताओं को परास्त कर व्यवस्था स्थापित की।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इतिहास की सभी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारतीय शिक्षा व्यवस्था के सुदृढ़ आधार की निरंतरता स्पष्टतः परिलक्षित होती है। इसी का परिणाम है कि शक्ति और सामर्थ्य का आधार हमारी शैक्षणिक और बौद्धिक संस्थाएं, शत्रु के आक्रमण का सदैव निशाना बनी और आक्रांताओं द्वारा तक्षशिला और नालंदा को ध्वस्त किया गया। इसी क्रम में लॉर्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने के हर संभव प्रयास किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारतीय शिक्षा व्यवस्था में भारत के गौरवशाली अतीत पर केंद्रित पाठ्यक्रम का समावेश किया है। भारत, संपन्न और शक्तिशाली बनने के साथ ही विश्व गुरु बनने के मार्ग पर निरंतर अग्रसर है। हम सर्वे भवन्तु सुखिन:- सर्वे सन्तु निरामय: के उद्दात भाव से संपूर्ण विश्व में मानव मूल्यों को स्थापित करने के पथ पर अग्रसर हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में स्कूल शिक्षा के लिए बेहतर वातावरण, बेहतर परिवेश, बेहतर व्यवस्था, बेहतर संसाधन और बेहतर परिणाम के लिए विभाग निरंतर कार्यरत है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा इस वर्ष 74 हजार से अधिक अतिथि शिक्षकों को जोड़ा गया है, जो प्रतिबद्धिता के साथ शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत है।