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Written By Author विकास सिंह

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में हावी बाड़ाबंदी,100 से अधिक नवनिर्वाचित सदस्य हुए गायब!, HC को भी देना पड़ा दखल

मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव में हावी बाड़ाबंदी,100 से अधिक नवनिर्वाचित सदस्य हुए गायब!, HC को भी देना पड़ा दखल - Barabandi of members before the election of district panchayat president in madhya pradesh
भोपाल। भारत के लोकतंत्र में सबसे छोटी इकाई पंचायत है और मध्यप्रदेश में इन दिनों त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव चल रहे है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार 27 और 28 जुलाई को जनपद और 29 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष के लिए चुनाव होना है। जनपद और जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के निर्वाचन से पहले प्रदेश में नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों की बाड़ेबंदी की खबरें भी खूब सुर्खियों में है। जिला पंचायत पर अपना कब्जा जामने के लिए नवनिर्वाचित जनपद सदस्य जहां धर्मिक यात्राओं पर है वहीं नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य बड़े-बड़े रिसॉर्ट और होटलों के मेहमान बने हुए है। 
 
भले ही पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं हुए हो लेकिन भाजपा कांग्रेस के दिग्गज नेता पंचायतों में अपने समर्थकों को बैठाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। धार्मिक पर्यटन के नाम पर भाजपा-कांग्रेस ने अपने-अपने सर्मथक सदस्यों की घेराबंदी (बाड़ाबंदी) करने में जुटी हुई है। अध्यक्ष पद के चुनाव का समय पास आते ही भाजपा-कांग्रेस में सदस्यों को लेकर जोड़तोड़ भी तेज हो गई है। 

उमा भारती के विधायक भतीजे का ऑडियो वायरल-इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के विधायक भतीजे राहुल सिंह का एक ऑडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें राहुल सिंह नवनिर्विचित सदस्य को खास अंदाज में धमकी देते हुए नजर आ रहे है। हलांकि ‘वेबदुनिया’ सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। दरअसल टीकमगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित हैं और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा की तरफ से विधायक राहुल सिंह की पत्नी उमिता सिंह और कांग्रेस से पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह की पत्नी सुषमा सिंह और अपनी दावेदारी कर रही हैं। 
 
धर्मिक यात्रा के बहाने सदस्यों की बाड़ेबंदी-वहीं दूसरी ओऱ जिला पंचायत और अध्यक्ष पद पर अपना कब्जा जमाने के लिए पंचायत चुनाव में जीतने वाले सदस्यों की बाड़ाबंदी की जा रही है। अध्यक्ष पद के दावेदार  नवर्विर्चित जिला पंचायत जनपद सदस्यों को धर्मिक स्थल शिर्डी, खाटू श्याम, तिरुपति और सांवरिया सेठ के दर्शन कराने के लिए अपने खर्चे पर भेज रहे है। उदाहरण के तौर पर उज्जैन जिला पंचायत में भाजपा के जीते हुए 10 सदस्यों सहित 3 निर्दलीय इन दिनों राजस्थान की धार्मिक यात्रा यानी बाड़ाबंदी पर है। यही नहीं भाजपा के ही जिले की 6 जनपद पंचायतों के कई जीते सदस्य भी इसी तरह देवदर्शन यात्रा पर गए हैं। नवनिर्वाचित सदस्यों को राजनीति की एक रणनीति के तहत धर्मिक यात्रा पर बाहर भेजा गया है। जिससे अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद अपना कब्जा जमाया जा सके।
 
बाड़ेबंदी के डर से सर्टिफिकेट लेने नहीं पहुंचे–मध्यप्रदेश में ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखड़ में कई ऐसे जिले है जहां जीते हुए सदस्य बाड़ेबंदी के डर से जीत का सर्टिफिकेट लेने ही नहीं पहुंचे। जीत के बाद अधिकांश सदस्य भूमिगत है या अपने-अपने राजनीतिक आकाओं की शरण में है। एक अनुमान के अनुसार पूरे प्रदेश में 100 से अधिक सदस्य जीत के बाद गायब है और अपना जीत का सर्टिफिकेट लेने नहीं पहुंचे है। वहीं टीकमगढ़ मे तो एक नव निर्वाचित सदस्य का मामला जबलपुर हाईकोर्ट तक पहुंच गया जहां हाईकोर्ट ने आला अधिकारियों को अपहरण की शिकायत की जांच करने को कहा।
 
भाजपा दफ्तर और मंत्री के बंगलों पर दावेदारों का डेरा-वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदारों ने भोपाल में प्रदेश भाजपा दफ्तर और मंत्रियों के बंगले पर डेरा डाल दिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदार बड़ी संख्या में भाजपा दफ्तर भी पहुंच रहे है। निवाड़ी जिले से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीती प्रदेश के पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव की पौत्रवधू रोशनी यादव शुक्रवार को भाजपा दफ्तर पहुंची और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात की। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर सबसे अधिक सरगर्मी ग्वालियर-चंबल में नजर आ रही है। ग्वालियर में जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर भाजपा के ही दिग्गज नेता आमने सामने है। यहां के दावेदारों ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचकर पार्टी के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की।    

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जैसे-जैस जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के निर्वाचन की तारीख जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। सूबे की सियासत में जोड़ तोड़ की राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग का शब्द खूब प्रचलित रहा है। जब भी किसी राज्य में राजनीतिक संकट होता है या सत्ता एक पार्टी के हाथ से निकलकर दूसरे के हाथ में जाती है तो हॉर्स ट्रेडिंग जैसे शब्द राजनीतिक गलियारों में खूब सुनाई देते है। वहीं अब लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई पंचायत चुनाव में सदस्यों की बाड़ेबंदी भी लोकतंत्र के महापर्व चुनाव को कही न कहीं कठघरे में खड़ा करती है।
 
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