मध्यप्रदेश में बोर्ड पैटर्न पर 5वीं और 8वीं की परीक्षा, सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों में लागू होगा सरकार का फैसला
भोपाल। मध्यप्रदेश में स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने 5वीं और 8वीं के एग्जाम एक बार फिर एमपी बोर्ड से कराने का एलान किया है। सरकार का यह निर्णय सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों पर लागू होगा।
शिक्षक दिवस पर बच्चों की शैक्षिणक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शिवराज सरकार ने प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सरकारी स्कूलों के मान्यता प्राप्त सभी अशासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न में लागू करने का फैसला लिया।
शिक्षक दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ऐलान किया कि अगले शैक्षणिक सत्र से 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर होगी। गौरतलब है कि वर्तमान में केवल 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा बोर्ड पैटर्न पर हो रही थी। भाजपा सरकार ने 2008 में 5वीं और 8वीं में बोर्ड परीक्षाओं को खत्म कर दिया था।
सरकारी स्कूलों की शिक्षा के स्तर में सुधार-मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में सुधार आया है। स्कूल शिक्षा विभाग के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों, माध्यमिक स्कूलों, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है। स्कूलों में स्टीम शिक्षा पद्धति लागू कर दी गई है। इस पद्धति के माध्यम से बच्चों को स्कूल में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट्स, मैथ्स की पढ़ाई साथ में कराई जाती है। जिससे बच्चों को स्कूली टाइम से ही प्रोफेशनल तरीके से पढ़ने का मौका भी मिलें।
वहीं स्कूलों ड्रॉप आउट रेट में काफी गिरावट देखने को मिली है। ड्राप आउट रेट 4.92 फीसदी से घटकर अब 1.35 फीसदी हो गया है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे की एक रिपोर्ट के अनुसार अब इन आकड़ों के बाद मध्य प्रदेश स्कूल ड्रॉप आउट के मामले में देशभर में पांचवे स्थान पर आ गया है।
स्कूलों में नहीं बंटी यूनिफॉर्म-वहीं प्रदेश के स्कूलों में 15 अगस्त तक यूनिफॉर्म नहीं बंटने के मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री ने अपना पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने यूनिफॉर्म नहीं बांटने का जिम्मेदार स्व सहायता समूह को ठहराया है। शासकीय स्कूल में बच्चों को अभी तक यूनिफॉर्म नहीं बंटने पर स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्व सहायता समूह की गलती से अभी तक सरकारी स्कूल में छात्रों को ड्रेस नहीं मिली। शैक्षणिक सत्र के शुरुआत में शासकीय स्कूल में विद्यार्थियों को नई यूनिफॉर्म दी जाती है और पिछले महीने बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म मिल जानी थी।