MP में कांग्रेस को क्यों बार-बार बदलना पड़ रहा टिकट? बगावत की चुनौती से कैसे निपटेंगे कमलनाथ-दिग्विजय?
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटी कांग्रेस कई विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों के चयन को लेकर फंसती हुई दिख रही है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए आनन-फानन में टिकट तो बांट दिए लेकिन घोषित उम्मीदवारों का विरोध होने के बाद पार्टी अब लगातार टिकट बदल रही है। कांग्रेस अब तक सात सीटों पर उम्मीदवारों को बदल चुकी है, वहीं नामांकन की अंतिम तारीख तक अभी पार्टी कई और टिकट बदल सकती है।
7 सीटों पर बदले उम्मीदवार,कई अन्य पर संभावना-आज पार्टी ने चार सीटों पर पहले घोषित उम्मीदवारों के टिकट बदल दिए। जिसमें मुरैना जिले के सुमावली विधानसभा सीट पहले से घोषित कुलदीप सिकवार को टिकट काटकर मौजूदा विधायक अजब सिंह कुशवाह को फिर से उम्मीदवार बना दिया। इसके साथ पार्टी ने पिपरिया से गुरुचरण खरे की जगह वीरेंद्र बेलवंशी, बड़नगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी की जगह मुरली मोरवाल और जावरा से हिम्मत श्रीमाल की जगह वीरेंद्र सिंह सोलंकी को अपना नया उम्मीदवार बनाया है।
इसके पहले कांग्रेस ने दतिया विधानसभा सीट पर पहले अवधेश नायक को टिकट दिया और जब इसका विरोध हुआ तो उसने अपने पुराने चेहरे राजेंद्र भारती को अपना उम्मीदवार बनाया। इसके साथ ही शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट पर पार्टी ने पहले शैलेंद्र सिंह को टिकट दिया और जब विरोध हुआ तो अरविंद सिंह लोधी को टिकट दिया। इसके साथ नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव विधानसभा सीट से पार्टी ने मौजूदा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काटर शेखर चौधरी को टिकट दिया और बाद में हाईकमान के सीधे हस्तक्षेप के बाद शेखर चौधरी की जगह फिए एनपी प्रजापति को मौका दिया।
शिवपुरी में बदला जाएगा टिकट?-कांग्रेस आने वाले समय में कई अन्य सीटों पर उम्मीदवारों को बदल सकती है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए वीरेंद्र रघुवंशी को कांग्रेस से शिवपुरी विधानसभा सीटे से टिकट मिलने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन पार्टी ने पिछोर से मौजूदा विधायक केपी सिंह को शिवपुरी से उम्मीदवार बना दिया है। ऐसे में अब वीरेंद्र रघुवंशी ने खुलकर अपना विरोध दर्ज कर दिया और पिछले वीरेंद्र रघुवंशी के टिकट को लेकर पिछले दिनों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह भी आमने-सामने आ चुके है। यहां तक दिग्विजय सिंह ने शिवपुरी से टिकट बदलने के संकेत भी दे दिए थे लेकिन अब तक शिवपुरी से टिकट बदला नहीं जा सका है।
पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की चुनौती-इसके साथ पार्टी ने बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से मनोज मालवे को अपना उम्मीदवार बनाया है लेकिन इस सीट पर डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे टिकट की तगड़ी दावेदार थी लेकिन निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर नहीं होने के कारण उन्हें टिकट नहीं दिया गया। अब निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर हो गया है और वह खुलकर टिकट के लिए दावेदारी कर रही ह। आज निशा बांगरे अपने चुनाव लड़ने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर कहा कि सभी के सवाल है कि आप किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी। मैं बताना चाहूंगी कि मुझे कांग्रेस द्वारा आश्वासन दिया गया था कि अंतिम 2 दिनों तक आपके इस्तीफे का इंतजार किया जायेगा। अब आज कांग्रेस की परीक्षा की घड़ी है। कांग्रेस बताए कि मेरे संघर्ष में भाजपा को दलित और महिला विरोधी ठहराने वाली खुद दलितों और महिलाओं की कितनी पक्षधर है?आज कमलनाथ जी से मिलना चाहूंगी।वो अपना स्टैंड क्लियर करे। चुनाव तो आमला सारणी की जनता मेरे चेहरे पर लड़ेंगी ही। परिणाम कुछ भी हो, फर्क नहीं पड़ता।
बगावत के चलते बैकफुट पर कांग्रेस?-विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर कांग्रेस में जबरदस्त मारामारी मची हुई है। कई मौजूदा विधायकों के टिकट कटने के बाद कांग्रेस को बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा। टिकट कटने के बाद सुमावली से कांग्रेस विधायक विधायक अजब सिंह कुशवाह हाथ का साथ छोड़ हाथी पर सवार हो गए थे और उनके समर्थकों ने हंगामा किया था। वहीं कांग्रेस विधायक राकेश मावई का टिकट कटने के बाद दोनों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। टिकट कटने से नाराज वहीं टिकट कटने के बाद कांग्रेस विधायक राकेश मावई ने एलान कर दिया है कि वह मुरैना की सभी सीटों पर कांग्रेस को हराएंगे। इसके साथ दतिया में राजेंद्र भारती का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों भोपाल से लेकर दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन किया तो पार्टी टिकट बदलने पर मजबूर हुई।
बगावत को रोक पाएंगे दिग्विजय-कमलनाथ?- टिकटों को लेकर कांग्रेस में अब फंसती हुई दिख रही है। लगातार टिकट बदलने से कई विधानसभा सीटों पर पार्टी स्थानीय स्तर पर दो गुटों में बंट गई है और पार्टी को यहां अपने घर से ही चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। उज्जैन जिले की बड़नगर से पहले घोषित राजेंद्र सिंह सोलंकी ने आज टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। इसी पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
ऐसे में अब प्रदेश कांग्रेस के दो सबसे बड़े नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के सामने बगावत से निपटने की चुनौती आ खड़ी हो गई है। कांग्रेस की पहली चुनौती बागियों को दूसरी पार्टी या निर्दलीय चुनाव लड़ने से रोकना है और दूसरी चुनौती स्थानीय स्तर पर पार्टी को एकजुट करना है। पिछले दिनों जिस तरह टिकट को लेकर दिग्विजय सिंह और कमलनाथ में कपड़े फाड़ने को लेकर जुबानी जंग देखने को मिली उससे अब यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैह कि बगियों को मानने का जिम्मा कौन सा नेता अपने कंधों पर उठाएगा।
शिवराज ने बताया 'टिकट बदल कांग्रेस'?-कांग्रेस में बार-बार टिकट बदले जाने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसा है। कांग्रेस की हालत अजब गजब हो गई है। सोनिया कांग्रेस, खड़गे कांग्रेस बनी; फिर मध्य प्रदेश में कमलनाथ कांग्रेस हो गई। कमलनाथ ने तो क्या, उनके बेटे ने भी टिकट बांट दिए और जब टिकट को लेकर कोलाहल मचा और लोग कमलनाथ के पास पहुंचे तो कमलनाथ जी ने कहा, "कपड़े फाड़ना है तो दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के फाड़ो।" तो वो कपड़ा फाड़ कांग्रेस हो गई। वहीं अब कांग्रेस बन गई है टिकट बदल कांग्रेस। घबराकर कई जगह कांग्रेस ने टिकट बदल दिए हैं। कांग्रेस की हालत तो बड़ी अजब गजब हो गई है आगे क्या होने वाला है अभी देखते हैं।