MP विधानसभा चुनाव में ध्रुवीकरण की सियासत, खरगोन दंगों को लेकर कांग्रेस विधायक के बयान पर बिफरी भाजपा
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसै ध्रुवीकरण की सियासत भी तेज होती जा रही है। खरगोन से कांग्रेस विधायक रवि जोशी के एक बयान ने प्रदेश में फिर ध्रुवीकरण की सियासत को चुनावी मोर्चे पर ला दिया है। कांग्रेस विधायक औऱ खरगोन से कांग्रेस के उम्मीदवार रवि जोशी ने चुनावी जनसंपर्क के दौरान खरगोन दंगों के फिर से जांच कराने के बयान ने तूल पकड़ लिया है और भाजपा इसको लेकर कांग्रेस को घेरने में जुट गई है।
क्या कहा था कांग्रेस विधायक ने?- खरगोन से कांग्रेस प्रत्याशी रवि जोशी का सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहे है उसमें वह खरगोन दंगे का जिक्र करते हुए नजर आ रहे है। कांग्रेस विधायक रवि जोशी कह रहे है कि “17 नवंबर को मतदान हो जाए और 3 दिसंबर को काउंटिंग, फिर जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनेगी, वैसे ही खरगोन दंगे की जांच कराई जाएगी। दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करेंगे।”
भाजपा के निशाने पर कांग्रेस-कांग्रेस विधायक रवि जोशी के इस बयान पर अब सियासत गर्मा गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इसे कांग्रेस पार्टी का मूल चरित्र बताया है। मीडिया से बात करते हुए वीडी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस का साथ हमास के साथ दिखाई दे रहा है। कांग्रेस का असली मूल चरित्र बार-बार सामने आता रहा है। आतंकवादियों का समर्थन किया जा रहा है। वैसे कांग्रेस के लिए आतंकवादियों का समर्थन करना कोई नई बात नहीं है। खरगोन में आंतकवादियों के लिए 2 मिनट का मौन रखा गया। कांग्रेस प्रत्याशी ने खुले मंच से बयान दिया कि सरकार बनने के बाद दंगों का हिसाब होगा। इस बात की पुष्टि करता है कि “कांग्रेस का हाथ जिहादियों के साथ“ है। उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है। ऐसा बोलने वालों को चुनावों में खरगोन की जनता जवाब देगी।
वहीं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि खरगोन में कांग्रेस पार्टी की सभा के मंच से कांग्रेस के विधायक रवि जोशी अपने संबोधन में यह धमकी देते हैं कि कांग्रेस की सरकार बन जाने दो, फिर दंगों का हिसाब कर देंगे। वहीं, गाजा पट्टी में मारे गए हमास के आतंकियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और दो मिनट का मौन रखा जाता है। इजराइल में आतंकियों के हाथों मारे गए मासूमों के लिए कांग्रेस एक शब्द नहीं बोलती, लेकिन बर्बर आतंकियों की मौत पर दुख जताया जाता है। कांग्रेस का यह आचरण क्या ये नहीं बताता कि उसने वोट बैंक के लालच में, कुछ लोगों को खुश करने की कोशिश में हिंसा, आतंक, अलगाव, कट्टरता और बर्बरता के आगे घुटने टेक दिए हैं? सोनिया गांधी और राहुल गांधी को देश की जनता को यह बताना चाहिए कि तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस पार्टी कब तक आतंकियों का साथ देती रहेगी?