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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: शुक्रवार, 15 सितम्बर 2023 (13:47 IST)

विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल में निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और समर्थक

विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल में निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और समर्थक - Jyotiraditya Scindia and supporters on target in Gwalior-Chambal before assembly elections
मध्यप्रदेश में पांचवी बार जीत के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव की पूरी कमान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और उनकी टीम ने संभाल ली है। वहीं चुनाव से पहले ग्वालियर-चंबल इलाके में भाजपा की गुटबाजी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी फिर खुलकर सामने आ गई है। भाजपा कार्यकर्ताओं के निशाने पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक है।

भाजपा प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद की ग्वालियर-चंबल अंचल के जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारियों की बैठक में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। बैठक में ग्वालियर ग्रामीण के जिलाध्यक्ष कौशल शर्मा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे न तो कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने को तैयार हैं और न ही संगठन के साछ चलने को। ऐसे में हम लोग एकतरफा उनका साथ देने का कितना प्रयास करें। कार्यकर्ताओं की नाराजगी की वजह यह भी थी पार्टी बाहर से आने वालों को तमाम सुविधाएं देती है लेकिन वह साथ छोड़ देते है।  बैठक में शामिल पार्टी के अन्य नेताओं ने आरोप लगाया कि सिंधिया समर्थक पार्टी से  अलग कार्यशैली अपना रहे है और संगठन के साथ नहीं चल रहे है।

ग्वालियर-चंबल अंचल में नई बनाम पुरानी भाजपा–ग्वालियर-चंबल अंचल में चुनाव से पहले भाजपा गुटबाजी की समस्या से जूझ रही है। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद पार्टी ग्वालियर-चंबल में पार्टी दो गुटों में बंट गई है और अब चुनाव से पहले यह खाई और चौड़ी हो चुकी है।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्वालियर में थे, जहां सिंधिया समर्थक विधायक प्रदुयम्मन सिंह तोमर के समर्थन में रोड शो निकाला गया जिसमें केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर शामिल नहीं हुए। वहीं उसी दिन ग्वालियर के फूलबाग मैदान में हुए लाड़ली बहन योजना सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर शामिल हुए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया नजर नहीं आए।

अगर विधानसभा चुनाव से पहले हुए ग्वालियर नगर निगम चुनाव की बात करें तो महापौर में भाजपा उम्मीदवार के टिकट को फाइनल करने को लेकर ग्वालियर से लेकर भोपाल तक और भोपाल से लेकर दिल्ली तक जोर अजमाइश देखी गई थी और सबसे आखिरी दौर में टिकट फाइनल हो पाया था। ग्वालियर नगर निगम में महापौर चुनाव में 57 साल बाद भाजपा की हार को भी नई और पुरानी भाजपा की खेमेबाजी का परिणाम बताया जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा की महापौर उम्मीदवार को सिंधिया खेमे के मंत्री के क्षेत्र से बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।

इतना ही नहीं पंचायत चुनाव में ग्वालियर के साथ-साथ डबरा और भितरवार में जनपद पंचायत अध्यक्ष पद पर अपने समर्थकों को बैठाने के लिए महाराज समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी और भाजपा के कई दिग्गज मंत्री आमने सामने आ गए थे। पंचायत चुनाव में दोनों ही गुटों ने अपना वर्चस्व दिखाने के लिए खुलकर शक्ति प्रदर्शन भी किया था। 
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