इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार से धार की भोजशाला का ASI की ओर से सर्वे शुरु कर दिया गया। आज पहले दिन ASI की टीम ने परिसर में मार्किंग कर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की। जुमे की नमाज के चलते आज पहले दिन सिर्फ 12 बजे तक सर्वे हुआ। अब शनिवार को ASI की टीम फिर सर्वे का काम शुरु करेगी। गौरतलब है कि सर्वे दोनों हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों के सामने किया जाना है, लेकिन मुस्लिम पक्ष के लोग सर्वे में शामिल नहीं हुए हैं। वहीं भोजशाला को लेकर मुस्लिम पक्ष की तत्काल सुनवाई करने की याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
भोजशाला का सर्वे बना चुनावी मुद्दा!- धार की भोजशाला का सर्वे भले ही इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद हो रहा हो लेकिन लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद शुरु हुए भोजशाला का सर्वे अब चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है। शुक्रवार को मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने ASI के सर्वे की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि सर्वे के लिए यहीं समय मिला था। उन्होंने कहा कि संविधान का मतलब होता है, नियमों का पालन किया जाए। क्या उनका पालन हो रहा है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा हर चुनाव में हिंदू-मुसलमान करते हैं।
वहीं दिग्विजय सिंह के बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पलटवार किया। वीडी शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह को धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाने से पहले यह जान लेना चाहिए कि धार स्थित भोजशाला परिसर में एएसआई का सर्वे इंदौर हाईकोर्ट के आदेश पर हो रहा है। दिग्विजय सिंह ने बिना जानकारी के इस सर्वे पर जो आपत्ति लगाई है, उसे स्पष्ट करें। यह धार्मिक भेंदभाव का आरोप स्पष्ट तौर पर न्यायालय की अवमानना है, जिस पर न्यायालय को स्वतः संज्ञान लिया जाकर अवमानना का केस दर्ज होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह को तुष्टीकरण पर विश्वास है और वे सदैव हिन्दू समाज की धार्मिक भावनाओं पर आघात पहुंचाते रहे हैं। बिना किसी तथ्य और तर्क के प्रभु राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले कांग्रेसी अब भोजशाला में एएसआई के सर्वे पर प्रश्न-चिन्ह खड़ा कर रहे हैं। कांग्रेसियों को न तो प्रभु राम पर विश्वास है और न ही देश के संविधान और न्यायपालिका पर। कांग्रेस नेता और दिग्विजय सिंह अप्रसांगिक हो गये हैं और अपना अस्तित्व खो चुके हैं, यह वहीं हैं, जिन्होंने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा का न्यौता तक ठुकरा दिया था और अब मॉ सरस्वती के मंदिर भोजशाला पर तुष्टिकरण की रोटियां सेक रहे हैं। दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव की करारी हार से पहले जानबूझकर विषवमन कर रहे हैं, ताकि सामाजिक विद्वेष व तनाव पैदा कर राजनीतिक लाभ लिया जा सके।
भाजपा प्रत्याशी ने भोजशाला से शुरु किया चुनाव प्रचार-धार की भोजशाला का चुनावी कनेक्शन इससे ही समझा जा सकता है कि चुनाव के लिए उम्मीदवारी का एलान होने के बाद भाजपा प्रत्याशी सावित्री ठाकुर ने भोजशाला में मां वाग्देवी के दर्शन और आशीर्वाद लेकर अपना चुनाव प्रचार शुरु किया। पिछले दिनों भोजशाला पहुंची भाजपा प्रत्याशी सावित्री ठाकुर ने कहा था कि वह शुरू से भोजशाला से जुड़ी रही है और हमेशा भोजशाला आती है। मां का आशीर्वाद लिया है। निश्चित ही भाजपा की जीत होंगी और प्रधानमंत्री फिर से नरेंद्र मोदीजी ही बनेंगे।
धार के साथ मालवा की 8 सीटों पर असर-धार की भोजशाला का मुद्दा लोकसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ की 8 लोकसभा सीटों पर सीधा असर डालेगी। दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को धार जिले में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। धार जिले की सात विधानसभा सीटों में कांग्रेस को पांच सीट पर जीत हासिल हुई थी वहीं भाजपा मात्र दो सीट जीत सकी थी। धार शहरी सीट पर भी कांग्रेस ने कब्जा जमाया था वहीं हाईप्रोफाइल बदनावर सीट पर शिवराज कैबिनेट के उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव चुनाव हार गए थे।
वहीं विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने धार से आने वाले उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाकर भाजपा पर बड़ा सियासी दबाव बना दिया है। आदिवासी वोटर्स के बाहुल्य वाला धार जिला विधानसभा चुनाव के नजरिए से 2018 से कांग्रेस का गढ़ बना हुआ है। हलांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी छत्तर सिंह दरबार ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है।
Bhojshala Saraswati Temple
भोजशाला पर अपने-अपने दावे- भोजशाला को लेकर हिन्दू और मुस्लिम संगठनों के अपने-अपने दावे हैं। हिन्दू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इस हिन्दू समाज का अधिकार बताते हुए इस सरस्वती का मंदिर मानते हैं। हिन्दुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां मुस्लिमों को कुछ समय के लिए नमाज की अनुमति दी गई थी। दूसरी तरफ मुस्लिम समाज का कहना है कि वे वर्षों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं, यह जामा मस्जिद है, जिसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं।
वसंत पंचमी को हिन्दू भोजशाला के गर्भगृह में सरस्वतीजी का चित्र रखकर पूजन करते हैं। 1909 में धार रियासत द्वारा 1904 के एशिएंट मोन्यूमेंट एक्ट को लागू कर धार दरबार के गजट जिल्द में भोजशाला को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया। बाद में भोजशाला को पुरातत्व विभाग के अधीन कर दिया गया। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के पास इसकी देखरेख का जिम्मेदारी है। धार स्टेट ने ही 1935 में परिसर में नमाज पढऩे की अनुमति दी थी। स्टेट दरबार के दीवान नाडकर ने तब भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताते हुए को शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति वाला आदेश जारी किया था। पहले भोजशाला शुक्रवार को ही खुलती थी और वहां नमाज हुआ करती थी। एएसआई के आदेश के बाद 2003 से व्यवस्थाएं बदल गईं। प्रति मंगलवार और बसंत पंचमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिन्दुओं को चावल और पुष्प लेकर पूजा की अनुमति और शुक्रवार को मुस्लिमों को नमाज की अनुमति दी गई।
भोजशाला का इतिहास- धार की भोजशाला का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। धार में परमार वंश के राजा भोज ने 1010 से 1055 ईसवीं तक 44 वर्ष शासन किया। उन्होंने 1034 में धार नगर में सरस्वती सदन की स्थापना की। यह एक महाविद्यालय था, जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ। राजा भोज के शासन में ही यहां मां सरस्वती या वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई। मां वाग्देवी की यह प्रतिमा भोजशाला के समीप खुदाई के दौरान मिली थी। इतिहासकारों की मानें तो यह प्रतिमा 1875 में हुई खुदाई में निकली थी। 1880 में भोपावर का पॉलिटिकल एजेंट मेजर किनकेड इसे अपने साथ लंदन ले गया था। 1305 से 1401 के बीच अलाउद्दीन खिलजी तथा दिलावर खां गौरी की सेनाओं से माहलकदेव और गोगादेव ने युद्ध लड़ा। 1401 से 1531 में मालवा में स्वतंत्र सल्तनत की स्थापना। 1456 में महमूद खिलजी ने मौलाना कमालुद्दीन के मकबरे और दरगाह का निर्माण करवाया।