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Last Updated : मंगलवार, 30 अप्रैल 2024 (16:06 IST)

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की भाजपा में एंट्री से कितना नफा-कितना नुकसान?

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की भाजपा में एंट्री से कितना नफा-कितना नुकसान? - How much profit and loss will be gained from the entry of veteran Congress leaders into BJP in Madhya Pradesh?
भोपाल। मोदी के चेहरे पर लोकसभा चुनाव लड़ रही भाजपा मध्यप्रदेश में लगातार कांग्रेस को झटका देती जा रही है। इंदौर के बाद आज मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और मुरैना की विजयपुर विधानसभा सीट से छठवीं बार विधायक चुने गए रामनिवास रावत और मुरैना महापौर शारद सोलंकी आज अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हो गई। इससे पहले सोमवार को प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट में शामिल इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के अपना नामांकन वापस लेने के साथ भाजपा में शामिल हो जाने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।

यह पहला मौका नहीं है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस का कोई वर्तमान विधायक या इंदौर से कांग्रेस का कोई बड़ा नेता भाजपा में शामिल हुआ है। विधानसभा चुनाव के बाद इंदौर के कई बड़े कांग्रेस नेता भाजपा में शामिल हो चुके है। इनमे कांग्रेस के दिग्गज नेता और तीन पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल औऱ अर्जुन पलिया के नाम शामिल है। इसके साथ अंतर सिंह दरबार, पंकज सिंघवी जैसे कांग्रेस के बड़े चेहरे भी भाजपा में शामिल हो चुके है। 
क्या भाजपा का हो रहा कांग्रेसीकरण?-मध्यप्रदेश भाजपा का दावा है कि अब तक 4 लाख से अधिक कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में भाजपा की सदस्यता ले चुके है। कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करने  के लिए पार्टी ने प्रदेश में न्यू ज्वाइनिंग प्रकोष्ठ का गठन किया है। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की अगुवाई में बनाया गया भाजपा का यह प्रकोष्ठ कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से संपर्क कर उन्हे भाजपा में शामिल करा रहा है। न्यू ज्वाइनिंग प्रकोष्ठ के संयोजक पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का दावा है कि अब तक 4 लाख से अधिक कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भाजापा में शामिल हुए है। 

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में हार के बाद  कि जिस तरह से कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल होते जा रहे है,उससे भाजपा के कोर कार्यकर्ताओं में एक असुरक्षा और बैचेनी का महौल है। ऐसा नहीं है कि पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं ने इसको लेकर अपनी आवाज नहीं उठाई है। समय-समय पर भाजपा के दिग्गज नेता अपने बयानों के जरिए कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं पर तंज कस चुके है।

नाम नहीं छपाने के शर्त पर भाजपा के एक कोर कार्यकर्ता के मुताबिक जिस तरह से पार्टी में कांग्रेस के बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल किया जा रहा है, उससे पार्टी का कोर कार्यकर्ता ठीक चुनाव के समय में अपने घर बैठ गया है। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने से पार्टी के ऐसे सीनियर कार्यकर्ता जो लंबे समय से पार्टी की सेवा में जुटे थे उनमें कहीं न कहीं निराशा का माहौल है और उनके मन में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे है।  
ऐसा नहीं है कि भाजपा का नेतृत्व पार्टी के कोर कार्यकर्ताओं की चिंता और डर से वाकिफ नहीं है। पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह ने ग्वालियर में पार्टी के कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दूसरी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पार्टी में लाने से किसी भी प्रकार के डरने की जरूरत नहीं है। 
 
वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भाजपा में शामिल होने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा कहते हैं कि एक नाव में छेद हो जाने पर उस नाव में बैठे लोग दूसरी नाव में बैठ जाते हैं। वैसे ही आज कांग्रेस की हालत छेद वाले नाव जैसी हो गई है, उसके पदाधिकारी और कार्यकर्ता भाजपा की नाव में आते जा रहे हैं। 
 
मध्यप्रदेश कांग्रेस में भगदड़ क्यों?-लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में मची भगदड़ के पीछे एक नहीं कई कारण है। विधानसभा चुनाव में जिस तरह से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट चुका है और वह अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए भाजपा का रूख कर रहे है। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से मध्यप्रदेश कांग्रेस ने नेतृत्व परिवर्तन हुआ और जीतू पटवारी को पार्टी की कमान सौंपी गई, उससे कहीं न कहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं मे नाराजगी है। प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी अब तक अपनी कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए है, जो उनकी नेतृत्व क्षमता पर बड़ा सवाल उठाती है। जीतू पटवारी की संगठनात्मक क्षमता के साथ उनका जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से सीधा कनेक्ट नहीं होना भी पार्टी में भगदड़ का बड़ा कारण है। 
 
इसके साथ अयोध्या में राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से बहिष्कार करने से भी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता नाराज है। दरअसल कांग्रेस ने राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का  बहिष्कार कर एक बड़ी  गलती कर दी है, जिसका  खामियाजा कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ रहा है है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में भगदड़ के लिए एक बड़ा कारण टिकट बंटवारे से नेताओं में नाराजगी भी है। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के कई नेता जो टिकट की दावेदारी कर रहे थे उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड दी। मुरैना में कांग्रेस के सीनियर नेता और प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत के भाजपा में शामिल होने का फैसला इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

भाजपा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एंट्री क्यों?-ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों भाजपा बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल करा रही है। दरअसल भाजपा चुनाव कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं  को पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को बूथ पर कमजोर करना चाह रही है। पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ता विहीन बूथ बनाने की कार्ययोजना पर काम कर ही है। पिछले दिनों ग्वालियर में लोकसभा चुनाव को लेकर कल्स्टर की बैठक को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश संगठन को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस विहीन बूथ बनाने के फॉर्मले पर काम करने के निर्देश दि  थेए। बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी नेताओं को निर्देश दिए कि कांग्रेस के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को चुनाव से पहले पार्टी में शामिल कराए। 
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