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Last Modified: बुधवार, 21 फ़रवरी 2024 (12:55 IST)

भारत जोड़ो न्याय यात्रा में क्या राहुल गांधी कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन के साथ कर पाए न्याय?

Rahul Gandhi
14 जनवरी से शुरु हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अब अपने आखिरी पड़ाव की ओर आगे बढ़ रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा इन दिनों उत्तरप्रदेश में है। उत्तर प्रदेश वह राज्य है जहां के परिणाम तय करते है कि दिल्ली की गद्दी पर कौन बैठेगा। उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा पर सबकी निगाहें टिकी है। बिहार से चंदौली होते हुए उत्तरप्रदेश में दाखिल हुई राहुल गांधी की यात्रा पीएम मोदी के गढ़ बनारस, प्रयागराज होते हुए अब सूबे की राजधानी लखनऊ की ओर आगे बढ़ रही है।

यात्रा के दौरान बिखर गया I.N.D.I.A गठबंधन-राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे विपक्षी एकता वाला इंडिया गठबंधन बिखरता जा रहा है।  राहुल गांधी की यात्रा इन दिनों उत्तर प्रदेश में है तो वहां पर इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी ने यात्रा से अपनी दूरी बना  ली है। अब तक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव राहुल की यात्रा में शामिल नहीं हुए है। उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की यात्रा के दौरान उसका समाजवादी पार्टी के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर भी रस्साकशी चल रही है।

उत्तरप्रदेश में इंडिया गठबंधन का भविष्य भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर टिका है। लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी भाजपा में जा चुके है। ऐसे में अब अगर समाजवादी  पार्टी और कांग्रेस में  गठबंधन नहीं होता है तो विपक्ष के वोटों का बिखराव तय है और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।

इससे पहले राहुल गांधी की यात्रा जब बिहार पहुंची तो इंडिंया गठबंधन के सूत्रधार रहे नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन को अलविदा कहकर भाजपा के साथ हाथ मिला लिया। वहीं बिहार से पहले बंगाल पहुंचने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर  दिया। वहीं इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी  पार्टी ने पंजाब और दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक तरफ जहां राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए  मोदी के चेहरे को चुनौती देने की कोशिश कर रहे है तो  दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में शामिल दल बिखरते जा रहे है, ऐसे में यात्रा का लोकसभा चुनाव में कितना लाभ मिलेगा, यह अब बड़ा सवाल बन गया है।
 
ashok chavan

एकजुटता की यात्रा में बिखर रही कांग्रेस-भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए कांग्रेस पार्टी के संगठन को फिर से खड़ा करने की राहुल गांधी का दांव इस बार उल्टा साबित हो रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के बड़े नेता और कार्यकर्ता जिस तरह से पार्टी से दूसरी बना रहे है वह पार्टी के लिए खतरे की घंटी के साथ उसकी रणनीतिक चूक को भी साबित कर रही है। पिछले दिनों महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने जिस तरह पार्टी का साथ छोड़ दिया और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलें तीन दिनों तक मीडिया की सुर्खियां बनी रही है वह यह दिखा रहा है कि पार्टी के अंदर कॉडिनेशन का सीधा अभाव है। जिस तरह से पा कांग्रेस आलाकमान ने इन मामलों में क्राइसिस मैनेज ठीक से नहीं किया.

मोदी के सामने राहुल बन पाएंगे चुनौती?- 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती पीएम मोदी का चेहरा है। राहुल गांधी अपनी यात्रा में लगातार पीएम मोदी के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्हें सीधा घेर रहे है। वह लोगों के बीच जाकर बता रहे है कि पीएम मोदी केवल कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फायादा पहुंचाने की कोशिश कर रहे है।  ऐसे में अब यह बड़ा सवाल है कि लोकसभा चुनाव से  पहले भारत जोड़ो न्याय यात्रा राहुल गांधी को पीएम मोदी के सामने विपक्ष के नेता के तौर पर स्थापित कर पाएगी।
rahul gandhi and tejashwi yadav

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?-राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की यात्रा का क्या असर होगा, यह कहना अभी काफी मुश्किल है। वह कहते है कि 1989 के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी लगातार कमजोर होती गई। इसके पीछे कई कारण है। आज कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में संगठन कमजोर है यह किसी से छिपा नहीं है। राहुल गांधी अपनी यात्रा के जरिए एक नेरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहे है और युवाओं को पार्टी से जोड़कर संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश कर रहे है।

रामदत्त त्रिपाठी आगे कहते हैं कि राहुल अपनी यात्रा के जरिए लोगों से एक सहज रिश्ता बनाने की कोशिश कर रहे है और पब्लिक से एक कनेक्ट करने की कोशिश कर रहे है। वहीं लोकसभा चुनाव पर राहुल गांधी की यात्रा का क्या असर होगा इस पर रामदत्त त्रिपाठी कहते है कि आज की राजनीति में वोटर्स का पूरी तरह धुवीकरण होता है ऐसे में यात्रा में आने वाली भीड़ वोट में कितना बदलेगी इसकी उम्मीद बहुत कम है।

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने एकमात्र सीट रायबेरली जीती थी। अब रायबरेली से सांसद  सोनिया गांधी के राजस्थान से राज्यसभा जाने के बाद अब पूरी उम्मीद है कि प्रियंका गांधी रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ेगी। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से हार का  सामना करने वाले राहुल गांधी क्या इस बार अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, यह भी अब सवालों के घेरे मे ही है।

बिहार में राहुल गांधी के साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की जुगलबंदी दिखाई दी। भारत जोडो़ न्याय यात्रा जब बिहार के सासाराम पहुंची तब तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी की गाड़ी को चलाकर उनके सारथी की भूमिका निभाई। बिहार में नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन से अलग होकर पाला बदलने के बाद राहुल और तेजस्वी की जोड़ी इंडिया गठबंधन को मजबूती प्रदान करने की कोशिश की है। ऐसे में जब बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है तब इंडिया गठबंधन का मजबूत होना नीतीश की भाजपा के साथ जुगलबंदी को सीधी चुनौती देगा।

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