शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. लोकसभा चुनाव 2019
  3. समाचार
  4. Mirzapur Parliamentary seat
Written By
Last Updated : बुधवार, 8 मई 2019 (19:07 IST)

लोकसभा चुनाव 2019 : मिर्जापुर संसदीय सीट पर भीषण गर्मी के बीच बढ़ा चुनावी पारा

Mirzapur Parliamentary seat। लोकसभा चुनाव 2019 : मिर्जापुर संसदीय सीट पर भीषण गर्मी के बीच बढ़ा चुनावी पारा - Mirzapur Parliamentary seat
मिर्जापुर। पूर्वी उत्तरप्रदेश में वाराणसी के बाद सबसे हॉट सीट मानी जा रही मिर्जापुर संसदीय सीट पर मौसम के अनुरूप चुनावी सरगर्मी जोर पकड़ रही है।
 
इस सीट से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की अपना दल प्रत्याशी एवं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, चुनाव मैदान में हैं जबकि महागठबंधन की ओर से यह सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के खाते में है। यहा सपा ने राम चरित्र निषाद को मुकाबले में उतारा है। निषाद पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में थे और मछलीशहर सीट से सांसद थे।
 
निषाद ने टिकट न मिलने पर पाला बदल दिया। सपा ने उन्हें मिर्जापुर से अपने पूर्व घोषित उम्मीदवार राजेन्द्र बिंद को बदलकर टिकट दिया है। कांग्रेस ने एक बार फिर पुराने कांग्रेजी दिग्गज पं. कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेशपति त्रिपाठी पर अपना भरोसा व्यक्त किया है। वैसे यहां कुल 9 उम्मीदवार हैं।
 
मां विंध्यवासिनी की नगरी में पीतल उद्योग, पत्थर उद्योग, कालीन उद्योग एवं बुनकरों की समस्या आदि कोई मुद्दा नहीं है। अपना दल प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल अपने द्वारा जिले में कराए गए विकास कार्यों के साथ नरेन्द्र मोदी को पुन: प्रधानमंत्री बनाने के नाम पर वोट मांग रही हैं। राष्ट्रवाद एवं विकास पर उनका ज्यादा फोकस है। सपा प्रत्याशी रामचरित्र निषाद पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती का गुणगान कर रहे हैं।
 
मिर्जापुर में नए होने की वजह से वे विकास का कोई विजन नहीं प्रस्तुत कर पा रहे हैं, हालांकि वे पूर्व सांसद फूलनदेवी का भी नाम लेना नहीं भूलते हैं। वे फूलन की बिरादरी के भी हैं। कांग्रेस प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी अपने परिजनों द्वारा जिले में कराए गए विकास कार्यों के साथ कांग्रेस के घोषणा पत्र के प्रमुख अंश न्याय के 72 हजार रुपए और 22 लाख नौकरियों को जनता के बीच प्रमुखता से रख रहे हैं। यहां अंतिम चरण में मतदान 19 मई को होना है।
 
मिर्जापुर में कुल 18,05,886 मतदाता हैं जिसमें दलित मतदाताओं की संख्या लगभग 25 प्रतिशत 4,52,381 है। इस सीट पर सबसे अधिक पिछड़ों की संख्या है, जो लगभग 49 प्रतिशत 8,90,221 है जबकि सामान्य 25 प्रतिशत 4,24,022 हैं।
 
इस चुनाव में मुद्दों के स्थान पर जातीय समीकरणों की चर्चा चल रही है। जातीय गुणा-भाग एवं जोड़-घटाना चल रहा है। चट्टी चौराहों पर चुनाव की चर्चा तो है, पर कौन बिरादरी किसको वोट दे रहा है? कौन बिरादरी टूट रहा है? इसी बात को लेकर चुनावी मंथन दिख रहा है।
 
पिछले चुनाव में अपना दल प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल को बड़े मार्जिन से सफलता मिली थी। उन्हें लगभग 52 प्रतिशत मत मिले थे। इस बार भी उन्हें कोई चुनौती नहीं दिख रही है। प्रचार के क्षेत्र में भाजपा-अपना दल प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे है। सपा ने यहां अंतिम क्षण में प्रत्याशी अवश्य बदल दिए हैं, पर इसका कोई विशेष लाभ मिलता नहीं दिख रहा है बल्कि निषाद और बिंद के बीच प्रत्याशी अटक गया है।
 
सपा, बसपा में तालमेल का अभाव जमीन पर स्पष्ट दिख रहा है। सपा प्रत्याशी को अपने परंपरागत वोट का सहारा है। कांग्रेस प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं, पर जातीय समीकरणों के अभाव में आम मतदाता नोटिस में नहीं ले रहा है। पूरा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के इर्द-गिर्द घूम रहा है। 'मोदी हटाओ, मोदी बैठाओ' ही चर्चा में है।
 
बहरहाल, अभी बड़े नेताओं के आवागमन का दौर शुरू नहीं हुआ है। दलित मतदाता खामोश हैं। यही स्थिति मुसलमानों की भी है। यहां मुख्य मुकाबला अपना दल और गठबंधन के बीच ही दिख रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी की चर्चा भी हो रही है। (वार्ता)
ये भी पढ़ें
निवेशकों को एक दिन में लगी डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक की चपत