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Written By विकास सिंह
Last Modified: शनिवार, 9 मार्च 2019 (18:52 IST)

बीजेपी के धिक्कार आंदोलन से पार्टी की रणनीति और प्रबंधन पर उठे सवाल

बीजेपी के धिक्कार आंदोलन से पार्टी की रणनीति और प्रबंधन पर उठे सवाल - BJPLok Sabha elections Kamal Nath government
भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार को घेरने के लिए भाजपा ने पूरे प्रदेश में धिक्कार आंदोलन किया। आंदोलन के दौरान हर जिले में बीजेपी नेताओं ने कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना दिया, लेकिन सरकार को घेरने का बीजेपी का ये दांव उल्टा पड़ता दिखाई दिया। कई जिलों में बीजेपी का आंदोलन मात्र रस्म अदायगी दिखाई दिया। इससे बीजेपी का ये पूरा आंदोलन खुद सवालों के घेरे में आ गया है।
 
 
छुट्टी के दिन आंदोलन : लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार को घेरने के लिए पूरे प्रदेश में पार्टी के बड़े नेताओं ने शनिवार को कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना दिया। इस धरने के दौरान पार्टी के बड़े नेता जहां सरकार पर सवाल उठा रहे थे तो दूसरी ओर इस आंदोलन पर सवाल भी उठ रहे थे। सवाल भी आंदोलन के दिन और स्थान को लेकर।
 
सरकारी कैलेंडर में महीने का दूसरा शनिवार छुट्टी का दिन होता है। अत: इस दिन कलेक्टर कार्यालय के गेट पर भी ताले जड़े होते हैं। बीजेपी नेता और कार्यकर्ता बंद गेट के बाहर धरना दे रहे थे।
 
वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया कहते हैं भाजपा के छुट्टी के दिन आंदोलन करने के फैसले को देखकर ये कहा जा सकता है कि भाजपा एक प्रतीकात्मक आंदोलन खड़ा करना चाहती थी। पार्टी वास्तव में कोई बड़ा आंदोलन ही नहीं करना चाहती थी। अगर भाजपा सामान्य कामकाज से दिन आंदोलन करती तो इसका बड़ा असर होता।
आंदोलन की रणनीति और प्रबंधन को लेकर सवाल : पार्टी ने धिक्कार आंदोलन की पूरी रणनीति और प्रबंधन पर भी सवाल उठ रहे हैं। पार्टी ने बड़े नेताओं को अलग-अलग जिलों में आंदोलन के नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन पार्टी की इस रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। 
 
भोपाल में पार्टी अध्यक्ष राकेश सिंह, इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, ग्वालियर में पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और जबलपुर में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन इस पर राजनीति के जानकार सवाल उठाते हैं। पटैरिया कहते हैं कि भाजपा आंदोलन के प्रबंधन और रणनीति में पूरी तरह चूक गई। पार्टी जब रविवार को नीमच से एक बड़ा आंदोलन शुरू कर रही थी, तब उससे ठीक पहले इस तरह का आंदोलन इसके औचित्य पर भी सवाल उठाता है। 
 
शिवअनुराग कहते हैं अगर लोकसभा चुनाव के टिकट के दावेदार पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ग्वालियर की जगह इंदौर या खंडवा में आंदोलन करते तो इसका अलग ही असर होता है।
 
कांग्रेस ने उठाए सवाल : वहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी के आंदोलन पर चुटकी लेने में देर नहीं की। कांग्रेस प्रवक्ता योगेश यादव कहते हैं कि छुट्टी की दिन कलेक्टर कार्यालय के बाहर आंदोलन करना ये दिखाता है कि बीजेपी ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। बीजेपी में  आज इतनी बेचैनी और छपपटाहट है, जिसको देखकर लगता है कि बीजेपी ने संतुलन खो दिया है। यादव कहते हैं कि कमलनाथ सरकार ने जिस तरह काम किया है, उससे बीजेपी के पास मुद्दे खत्म हो गए हैं। इसलिए बीजेपी छुट्टी के दिन आंदोलन कर रही है।
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