नर्मदा पुत्र के बाद अब हुए भगवान राम के वंशज दिग्विजय सिंह
भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर अब मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है। बीते तीन दशक से बीजेपी का गढ़ बने भोपाल लोकसभा सीट को जीतने के लिए कांग्रेस अब सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। भोपाल सीट से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह का पूरा प्रचार अभियान सॉफ्ट हिंदुत्व के आसपास केंद्रित होता दिख रहा है।
कांग्रेस एक तरफ चुनाव में दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा के सहारे हिंदू वोटरों को रिझाने में जुटी है तो दिग्विजय सिंह के पूरे प्रचार अभियान की कमान संभालने वाले मंत्री पीसी शर्मा ने अब उनको भगवान राम का वंशज ही बता दिया है। पीसी शर्मा ने दिग्विजय सिंह को रामभक्त बताते हुए कहा कि वो राम के घराने से आते हैं। एक ओर मंत्री दिग्विजय सिंह को राम का वंशज बता रहे हैं तो दूसरी कांग्रेस दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा को भुनाने में जुट गई है।
नर्मदा परिक्रमा यात्रा के एक साल होने पर पिछले दिनों खुद दिग्विजय सिंह ओंकारेश्वर पहुंचे और मां नर्मदा की पूजा अर्चना की। वहीं मंगलवार को भोपाल में नर्मदा यात्रा के एक साल पूरे होने पर नर्मदा जी की महाआरती और भंडारे का आयोजन किया गया। सियासत के जानकार भी मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के चुनावी रणनीतिकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिग्विजय सिंह की हिंदू विरोधी छवि को तोड़ने की है। इसको लेकर बीजेपी लगातार दिग्विजय पर हमलावर है।
चुनाव के समय शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद और कंप्यूटर बाबा का भोपाल में डेरा डालना भी कांग्रेस की रणनीति का ही हिस्सा माना जा रहा है। अपनी उम्मीदवारी के एलान होने के बाद दिग्विजय सिंह का लगातार भोपाल में धर्मिक कार्यक्रमों में शामिल होना भी इस बात का संकेत है कि कांग्रेस हिंदू वोटरों को रिझाने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती।
पिछले दिनों दिग्विजय सिंह भी खुद कह चुके है कि मैं हिंदू हूं तो संघ उनसे क्यों नफरत करता है। भले ही भोपाल से बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया हो लेकिन राजनीतिक पंडित मानते है कि भोपाल में दिग्विजय बनाम संघ की लड़ाई होने जा रही है। अपने गढ़ को कांग्रेस के कब्जे में जाने से बचाने के लिए संघ पूरी ताकत झोंकेगा। संघ चुनाव में दिग्विजय सिंह की हिंदू विरोधी छवि को भुनाने के लिए पूरी प्लानिंग बनाने में जुट गया है।
संघ जानता है कि अगर एक बार वोटरों तक वो अपनी बात पहुंचने में सफल हो गई तो कांग्रेस की राह कठिन हो जाएगी..वहीं तीन दशक के बाद इस बार कांग्रेस दिग्विजय सिंह के चेहरे के सहारे जीत की राह तलाशने में जुट हुई है। अब तक दिग्विजय सिंह के पूरे चुनाव प्रचार में सॉफ्ट हिंदुत्व की ही झलक ही देखने को मिली है।