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Written By DW
Last Updated : सोमवार, 19 सितम्बर 2022 (19:24 IST)

बाइडन ने खुले शब्दों में कहा, अगर चीन ने की घुसपैठ तो अमेरिकी सेना ताइवान को बचाएगी

बाइडन ने खुले शब्दों में कहा, अगर चीन ने की घुसपैठ तो अमेरिकी सेना ताइवान को बचाएगी - US President Joe Biden will save Taiwan
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने साफ कर दिया है कि अगर चीन ने ताइवान में घुसपैठ की तो अमेरिकी सेना ताइवान की रक्षा करेगी। यह पहला मौका है जब बाइडन ने इतने खुले शब्दों में बीजिंग के सामने लाल लकीर खींची है। अमेरिकी न्यूज चैनल सीबीएस के 60 मिनट्स प्रोग्राम में जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह जवाब दिया।
 
अमेरिकी न्यूज चैनल सीबीएस के 60 मिनट्स प्रोग्राम में जब अमेरिकी राष्ट्रपति से यह पूछा गया कि चीन जिसे अपना अंग बताता है उस लोकतांत्रिक द्वीप को क्या अमेरिकी सेना बचाएगी? इसके जवाब में बाइडन ने कहा, 'हां।
 
ताइवान के मुद्दे पर अब तक अमेरिका एक 'रणनीतिक अनिश्चितता' की नीति अपनाता रहा है। एक तरफ वह ''वन चाइना' पॉलिसी' को मानता रहा है तो दूसरी तरफ ताइवान के मुद्दे पर सैन्य दखल जैसे बयानों से बचता रहा है। लेकिन अब बाइडन ने इस असमंजस को दूर कर दिया है। बाइडन के इस बयान के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति यह बात पहले भी कह चुके हैं, इस साल की शुरुआत में टोकियो में। उन्होंने तब भी साफ किया था कि हमारी ताइवान पॉलिसी बदली नहीं है। यह सच्चाई बरकरार है।
 
सीबीएस के इंटरव्यू में बाइडन ने कहा कि अमेरिका अब भी 'वन चाइना' पॉलिसी को मानता है। इसके तहत वॉशिंगटन ताइवान को अलग देश नहीं मानता है। वह राजधानी के रूप से ताइपे को नहीं, बल्कि बीजिंग को मान्यता देता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हम इस पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं, हम आजादी को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं।
 
थिंकटैंक जर्मन मार्शल फंड ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स में बोनी ग्लासर, एशिया एक्सपर्ट हैं। ग्लासर कहती हैं, अगर राष्ट्रपति बाइडन ताइवान को बचाने की योजना बनाते हैं तो उन्हें यह तय करना होगा कि अमेरिकी सेना के पास इसकी क्षमता हो। ग्लासर के मुताबिक सिर्फ बयानों से ऐसा नहीं हो सकता।
 
ताइवान की प्रतिक्रिया
 
ताइवान के विदेश मंत्रालय ताइवान के प्रति 'अमेरिकी सरकार की दृढ़ सुरक्षा वचनबद्धता' का स्वागत किया है। ताइवानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वे आत्मरक्षा की तैयारियों की मजबूत करते रहेंगे और ताइवान व अमेरिका के बीच मजबूत सिक्योरिटी पार्टनरशिप को और गहरा करेंगे।
 
इससे पहले सितंबर की शुरुआत में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि चीन, भविष्य में ताइवान में घुसने की रणनीतियों की झलक देने लगा है। इसी दौरान अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ताइवान को 1।1 अरब डॉलर के हथियार बेचने के सौदे को मंजूरी दी। इन हथियारों में एंटी शिप मिसाइल, एयर टू एयर मिसाइल और एक रडार सर्विलांस सिस्टम है। चीन ने इस सौदे पर कड़ी आपत्ति जताई है।
 
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद से यह आशंकाएं जताई जाने लगी है कि चीन भी एक दिन ताइवान पर इसी तरह का सैन्य हमला कर सकता है। चीन के बयान भी इसका इशारा देने लगे हैं।
 
चीन की प्रतिक्रिया
 
अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने सोमवार को की जाने वाली नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका जिक्र किया। निंग ने कहा कि अमेरिका को ताइवान की 'आजादी' को लेकर 'गलत संकेत' नहीं देने चाहिए। विदेश मंत्रालय के मुताबिक स्वशासित ताइवान चीन का हिस्सा है, जो एक दिन मुख्य भूमि (चाइनीज मेनलैंड) के साथ जुड़ जाएगा।
 
माओ ने कहा कि हम एक शांतिपूर्व एकीकरण के लिए अपनी बेहतरीन कोशिशें कर रहे हैं। इसके साथ ही हम अलगाव को केंद्र बनाकर की जाने वाली किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
 
अगस्त 2022 में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने चीन की सख्त चेतावनियों के बावजूद ताइवान का दौर किया। पेलोसी के दौरे के बाद ही अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर तनाव भड़का हुआ है। पेलोसी जब ताइवान में थीं, इसी दौरान चीन ने ताइवान को घेरकर सबसे बड़ा युद्धाभ्यास किया। चीनी युद्धाभ्यास के खत्म होते ही अमेरिकी सांसदों के एक प्रतिनिधि मंडल ने ताइवान का दौरा कर बीजिंग को फिर नाराज कर दिया। चीन का कहना है कि ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका आग से ना खेले।
 
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)
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