शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. un millions of refugees in need of permanent homes
Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 23 जून 2022 (08:17 IST)

यूएन: लाखों शरणार्थियों को स्थायी घरों की जरूरत

यूएन: लाखों शरणार्थियों को स्थायी घरों की जरूरत - un millions of refugees in need of permanent homes
यूएनएचसीआर ने कहा कि 20 लाख से अधिक शरणार्थियों को अगले साल एक स्थायी नया घर खोजने की जरूरत होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वे न तो मौजूदा स्थान पर रह सकते हैं और न ही अपने मूल घरों में वापस लौट सकते हैं।
 
यूएनएचसीआर की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने इस साल के लिए शरणार्थियों की संख्या 14.7 लाख रखी है। उन्होंने कहा, "इस वृद्धि को महामारी के मानवीय प्रभावों, अलग-अलग जगह शरणार्थी स्थिति पैदा होने और पिछले एक साल में नई विस्थापन स्थितियों के उभार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।"
 
अधिकांश शरणार्थियों को स्थायी घरों में पुनर्वास की जरूरत है, वे फिलहाल अफ्रीकी देशों या मध्य पूर्व में हैं। इसके बाद सीरियाई शरणार्थी और अफगान इस श्रेणी में सबसे बड़ा समूह बनाते हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किए गए अन्य देशों में डेमोक्रैटिक रिपब्लिकन ऑफ कांगो (डीआरसी), दक्षिण सूडान और म्यांमार हैं।
 
संबंधित लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है या खास देखभाल की जरूरत है, वर्तमान में जिस देश में वे रह रहे हैं वह प्रदान नहीं कर सकते हैं।
 
यूएनएचसीआर के मुताबिक पिछले पूरे साल में सिर्फ 39,266 पुनर्वास स्थान प्रदान किए गए थे, जिसमें अमेरिका और कनाडा सबसे स्थायी स्थानों की पेशकश करने वाले देशों में शामिल थे।
 
इसी महीने की 16 तारीख को यूएनएचसीआर ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा था दुनिया भर में करीब दस करोड़ लोग अपना घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए हैं। बड़े पैमाने पर विस्थापन के लिए खाद्य असुरक्षा, जलवायु संकट, यूक्रेन में युद्ध और अफ्रीका से अफगानिस्तान तक अन्य आपात परिस्थितियों को मुख्य वजह बताया गया।
 
यूएनएचसीआर के अध्यक्ष फिलिपो ग्रांडी ने कहा था, "अंतरराष्ट्रीय  समुदाय को एक साथ मिलकर मानव त्रासदी से निबटने, हिंसक टकरावों को सुलझाने और स्थायी समाधान ढूंढने के लिए कार्रवाई करनी होगी, या फिर ये भयावह रुझान जारी रहेगा।"
 
यूएनएचसीआर के मुताबिक दुनिया में हर 78 में एक व्यक्ति विस्थापित है। उसने इसे एक ऐसा नाटकीय पड़ाव बताया है जिसके बारे में एक दशक पहले सोचना नामुमकिन था।
 
एए सीके (डीपीए, एएफपी)
ये भी पढ़ें
किसान आंदोलन की तरह अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन की तैयारी