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Written By DW
Last Modified: शनिवार, 6 मई 2023 (08:16 IST)

बजरंग दल पर बैन बन गया कर्नाटक चुनाव का बड़ा सवाल

बजरंग दल पर बैन बन गया कर्नाटक चुनाव का बड़ा सवाल - proposed ban on bajrang dal becomes hot issue in karnataka polls
चारु कार्तिकेय
कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल पर बैन के प्रस्ताव के बाद यह कर्नाटक चुनावों का बड़ा मुद्दा बन गया है। खुद प्रधानमंत्री मोदी के बजरंग दल के बचाव में उतरने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता कांग्रेस पर हमला करने में जुटे हैं।
 
कर्नाटक में बजरंग दल पर बैन लगाने के कांग्रेस पार्टी के प्रस्ताव के बाद बीजेपी ने बजरंग दल का बचाव करने में अपनी पूरी ताकत लगा दी है। कांग्रेस की घोषणा के बाद कर्नाटक के विजयनगर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने "भगवान हनुमान को ही ताले में बंद करने का फैसला लिया है।" मोदी ने कहा, "पहले उन्होंने श्री राम को ताले में बंद किया और अब वो "जय बजरंग बली" कहने वालों को बंद करना चाहते हैं।"
 
मोदी के इस भाषण के बाद भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर बजरंग दल का समर्थन किया और कांग्रेस की आलोचना की।
 
भाजपा नेता और कर्नाटक के पूर्व उप मुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कांग्रेस के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कांग्रेस के घोषणापत्र की एक प्रति को जला डाला। साथ ही उन्होंने बजरंग दल को एक "देशभक्त संगठन" बताया और कहा कि "कांग्रेस की उस पर बैन लगाने के बारे में बोलने की हिम्मत कैसे हुई।"
 
क्या है बजरंग दल
बजरंग दल विश्व हिंदू परिषद का युवा संगठन है। इसका जन्म राम जन्मभूमि आंदोलन के शुरुआती दिनों में आठ अक्टूबर, 1984 को अयोध्या में हुआ था। परिषद की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या से निकलने वाली ‘‘श्रीराम जानकी रथ यात्रा'' को सुरक्षा देने से मना कर दिया था।
 
तब परिषद ने कुछ युवाओं को रथ यात्रा की सुरक्षा का काम सौंपा और वहीं से बजरंग दल की शुरुआत हुई। इसके संस्थापक अध्यक्ष विनय कटियार थे जो आगे चल कर बीजेपी के टिकट पर सांसद भी बने।
 
कटियार बाबरी मस्जिद को गिराने के मामले में मुख्य आरोपियों में से थे लेकिन सितंबर, 2020 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें और सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
 
लेकिन बजरंग दल का नाम शुरू से सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े कई मामलों में सामने आता रहा है। दल गौ रक्षा को अपने लक्ष्यों में से एक बताता है लेकिन कई राज्यों में गौ रक्षा के नाम पर मुस्लिमों पर हमले में दल के सदस्यों पर शामिल होने के आरोप लगे हैं।
 
सांप्रदायिक हिंसा में शामिल
फरवरी में हरियाणा में दो मुस्लिम युवाओं की हत्या के आरोप में पुलिस को जिस मोंटू मानेसर की तलाश है वो बजरंग दल का ही स्थानीय नेता है। अप्रैल में कर्नाटक के रामनगर जिले में एक गौ व्यवसायी की हत्या के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। उनमें से मुख्य आरोपी बजरंग दल का सदस्य था।
 
गौ रक्षा के नाम पर हिंसा के अलावा बजरंग दल के सदस्य धर्मांतरण से जुड़े हिंसक मामलों में भी शामिल पाए गए हैं। इस सिलसिले में कई राज्यों में चर्चों और पादरियों पर हमले के मामलों में दल के सदस्य शामिल पाए गए हैं।
 
1999 में ओडिशा के मनोहरपुर में ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्रैहम स्टेंस और उनके दो छोटे बच्चों को एक भीड़ ने एक जीप में जिंदा जला कर मार दिया था। इस मामले में बजरंग दल का सदस्य दारा सिंह मुख्य दोषी पाया गया था और उसे मौत की सजा सुनाई गई थी। बाद में उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।
 
2002 में गुजरात में हुए दंगों के एक नरोदा पाटिया मामले में दोषी पाया गया जो बाबू बजरंगी आजीवन कारावास की सजा काट रहा है वो भी कभी बजरंग दल का ही सदस्य हुआ करता था।
 
पहले भी लग चुका है बैन
बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार ने कुछ संगठनों पर बैन लगा दिया था, जिनमें बजरंग दल भी शामिल था। हालांकि कुछ महीनों बाद बैन को वापस ले लिए गया था।
 
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 2008 में भी कांग्रेस ने दल पर बैन लगाए जाने की मांग की थी। लोक जनशक्ति पार्टी के दिवंगत नेता राम विलास पासवान ने भी 2008 में इस मांग का समर्थन किया था। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी की मुखिया मायावती ने भी 2013 में बजरंग दल को बैन करने की मांग की थी।
 
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी दल पर बैन लगाने की मांग कर चुके हैं। 2008 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी सरकार को दल पर बैन लगाने के लिए कहा था।
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