रिपोर्ट : विवेक कुमार (रॉयटर्स)
पाकिस्तान के नेताओं ने संकेत दिया है कि बाढ़ की तबाही के चलते बढ़ी जरूरतों के कारण भारत से व्यापार पर लगे प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं। देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा पानी में डूबा है। पाकिस्तान के वित्तमंत्री मिफ्ता इस्माइल ने सोमवार को कहा कि भारत से सब्जियां आयात करने पर विचार किया जा सकता है।
जियो न्यूज से बातचीत में इस्माइल ने कहा कि देश की फसलों को पहुंचे भारी नुकसान के चलते भारत से सब्जियां और अन्य सामान आयात करने पर विचार किया जा सकता है ताकि लोगों को कुछ राहत पहुंचाई जा सके।
बाढ़ ने पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर फसलों और मवेशियों को नुकसान पहुंचाया है। हजारों एकड़ में खड़ी फसल तबाह हो चुकी है जिस कारण देश में महंगाई चरम पर है। इस्माइल ने कहा कि शुरुआती अनुमान है कि देश को 10 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हो चुका है।
पाकिस्तान में बीते कई हफ्तों से आई बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई है, जैसी देश ने कई दशकों से नहीं देखी थी। मध्य जून से जारी इस बाढ के कारण 1,061 लोग मारे जा चुके हैं और दसियों हजार लोग बेघर हुए हैं। बड़े पैमाने पर संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। सड़कें और पुल बह गए हैं और देश की लगभग 15 प्रतिशत आबादी पानी में डूबी है।
बाढ़ से तबाही
पाकिस्तान के जलवायु परिवर्तन मंत्री अहसान इकबाल ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस आपदा का मानवीय प्रभाव अनुमान से कहीं ज्यादा हुआ है। उन्होंने कहा कि 10 लाख से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है। लोगों की पूरी की पूरी आजीविकाएं तबाह हो गई हैं।
इकबाल ने इस बाढ़ को 2010 की बाढ़ से भी बुरा बताया। उस साल आई बाढ़ के बाद संयुक्त राष्ट्र ने देश के लिए सबसे बड़े आपदा राहत पैकेज की जरूरत बताते हुए अपील की थी। इकबाल ने कहा कि देश को इस नुकसान से उबरने में 5 साल तक लग सकते हैं और आने वाले समय में खाने-पीने की भारी किल्लत हो सकती है। इसी कमी से निपटने के लिए भारत से चीजें आयात करने पर विचार किया जा रहा है। वित्तमंत्री इस्माइल ने जियो न्यूज टीवी से कहा कि भारत के अलावा ईरान और तुर्की अन्य विकल्प हैं।
दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के अलावा उत्तरी पाकिस्तान में भी बाढ़ से काफी नुकसान पहुंचा है। दसियों हजार परिवारों ने अपने घरों को छोड़ सुरक्षित स्थानों पर शरण ली है। बड़ी संख्या में लोग सरकारी शिविरों में रह रहे हैं, जहां खाना और पानी पहुंचाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। अधिकारियों को दवाओं और टेंट जैसी बुनियादी चीजें जुटाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है। कई देशों ने राहत सामग्री और स्वयंसेवी भेजे भी हैं। देश के विदेश मंत्री ने तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे संस्थानों से भी मदद की अपील की थी। हालांकि अभी कोई औपचारिक अर्जी नहीं भेजी गई है। इकबाल ने कहा कि विश्व बैंक और एशिया विकास बैंक से औपचारिक रूप से मदद का आग्रह करने से पहले नुकसान का पूरा जायजा लेना होगा।
मदद करने वाले देशों में चीन सबसे आगे रहा है। उसने कहा है कि पाकिस्तान को 3 लाख डॉलर नकद और 25 हजार टेंट और भेजे जाएंगे। वह पहले ही 4 हजार टेंट, 50 हजार तिरपाल और 50 हजार कंबल भेज चुका है। कनाडा ने भी पाकिस्तान को 50 लाख डॉलर की मदद की घोषणा की है।
भारत-पाकिस्तान व्यापार
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंध लंबे समय से बंद हैं। 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के आर-पार होने वाला व्यापार भी बंद कर दिया था, जो लेन-देन की व्यवस्था पर आधारित था।
चूंकि दोनों देश इस बात पर सहमत नहीं हो पा रहे थे कि इस व्यापार के लिए किस करंसी का इस्तेमाल किया जाए, इसलिए भारत ने इसे बंद कर दिया था। 2005 शुरू होने के बाद से सिर्फ एलओसी पर 1.2 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इससे मजदूरों को कुल मिलाकर 1,70,000 दिन काम मिला और माल ढुलाई में 8.8 करोड़ डॉलर का रेवन्यू पैदा हुआ।
भारत के पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली (PHD) चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़े बताते हैं कि 1948-49 में यानी दोनों देश जब आजाद हुए थे, तब पाकिस्तान के कुल व्यापार का लगभग 70 प्रतिशत भारत के साथ होता था। भारत का 63 प्रतिशत से अधिक निर्यात पाकिस्तान को जाता था। 2018 में यह 1 प्रतिशत से भी कम रह गया था। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद दोनों मुल्कों के बीच व्यापार पूरी तरह बंद हो गया।(फोटो सौजन्य : डॉयचे वैले)