असम के बाद अब एक अन्य पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड भी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) को अपडेट करने पर विचार कर रहा है। लेकिन इससे पहले वह देखना चाहता है कि असम में एनआरसी अपडेट करने के बाद ऊंट किस करवट बैठता है।
असम से लगे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय और मणिपुर ने एनआरसी के अंतिम मसविदे के प्रकाशन के बाद असम से अवैध नागरिकों के घुसपैठ की आशंका से राज्य से लगी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का फैसला किया है। वहां की सरकारों ने राज्य के लोगों से भी ऐसी घुसपैठ के प्रति सतर्कता बरतने को कहा है।
केंद्र सरकार ने कानून व व्यवस्था की संभावित समस्या से निपटने के लिए असम व पड़ोसी राज्यों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए केंद्रीय बलों के 22 हजार जवानों को इलाके में भेजा है। सोमवार को असम में एनआरसी के प्रकाशन के बाद उन लोगों के पड़ोसी राज्यों में घुसपैठ का खतरा है जिनके नाम उस सूची में शामिल नहीं होंगे। इस सूची से राज्य के 3.29 करोड़ आवेदकों की नागरिकता का फैसला होना है।
अब नागालैंड में भी एनआरसी
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) को अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब पड़ोसी नागालैंड भी एनआरसी को अपडेट करने पर विचार कर रहा है। यह राज्य भी बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या से परेशान है और राज्य में समय-समय पर विभिन्न संगठनों की ओर से "बांग्लादेशी भगाओ" अभियान चलाए जाते रहे हैं। लेकिन सरकार अब कानूनी प्रक्रिया के तहत एनआरसी को अपडेट कर अवैध आप्रवासियों को राज्य से बाहर निकलना चाहती है।
राज्य के मुख्य सचिव टेमजेन टॉय ने इस मुद्दे पर इस सप्ताह राजधानी कोहिमा में पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक की है। वह कहते हैं, "राज्य सरकार एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रही है। लेकिन हम असम में इसकी कामयाबी देखने के बाद ही इस मामले में पहल करेंगे। अवैध घुसपैठिए राज्य में एक गंभीर समस्या बनते जा रहे हैं।"
नागालैंड को डर है कि सोमवार को असम में एनआरसी के अंतिम मसविदे के प्रकाश के बाद वहां से हजारों अवैध घुसपैठिए राज्य में आ सकते हैं। टेमजेन बताते हैं, "सरकार ने ऐहतियाती उपाय के तौर पर असम से लगी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का फैसला किया है। इसके लिए केंद्रीय बलों के अलावा इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) की अतिरिक्त टुकड़ियों को मौके पर तैनात किया जा रहा है।"
दूसरी ओर नागा छात्र संघ (एनएसएप) ने भी 31 जुलाई से राज्य के बाहर के तमाम लोगों के कागजात पर जांच करने का एलान किया है। उसने सीमा पर स्थित अपनी शाखाओं को सतर्क कर दिया है। इसके अलावा पंचायतों से भी घुसपैठ पर निगाह रखने को कहा गया है। एनएसएफ के अध्यक्ष केसोसाल क्रिसोटफर लू कहते हैं, "असम में एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया पड़ोसी राज्यों खास कर नागालैंड की आबादी संतुलन के लिए एक गंभीर खतरा है। आप्रवासियों की आवाजाही पर निगरानी रखने के लिए नागालैंड सरकार को एक ठोस तंत्र विकसित करना चाहिए।" 2011 की जनगणना के मुताबिक नागालैंड की आबादी 19.8 लाख है।
घुसपैठ का अंदेशा
नागालैंड के अलावा पड़ोसी मेघालय में भी असम से लगी सीमा पर निगरानी बढ़ा दी गई है। खासी छात्र संघ (केएसयू) ने असम से संभावित घुसपैठ पर चिंता जताई है. संगठन के महासचिव डॉनल्ड वी थाबा ने राज्य की साझा सरकार को ठोस घुसपठ-रोधी कदम उठाने को कहा है। थाबा कहते हैं, "1971 के बाद असम में बांग्लादेशियों की लगातार बढ़ती घुसपैठ की वजह से असमिया, बोड़ो और राभा जैसी जनजातियां अपने घर में ही बेगानी हो गई हैं। हम नहीं चाहते कि मेघालय की जनजातियों का भी वही हश्र हो।"
मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकारों ने भी असम से अवैध नागरिक करार दिए जाने वाले लोगों की घुसपैठ की आशंका के मद्देनजर सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है। मणिपुर ने असम की बराक घाटी से लगे जिरीबाम इलाके में सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात कर दी हैं। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी सीमा पर आवाजाही करने वालों की कड़ी जांच करने का निर्देश दिया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक एसबी सिंह कहते हैं, "हमने तमाम ऐहितयाती उपाय किए हैं ताकि 30 जुलाई के बाद असम से अवैध घुसपैठिए राज्य का रुख नहीं कर सकें।"
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों यह कह कर इन राज्यों का डर बढ़ा दिया था कि एनआरसी की अंतिम सूची से लाखों लोगों के नाम बाहर हो सकते हैं। एनआरसी के प्रकाशन के बाद किसी संभावित समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने असम व पड़ोसी राज्यों में केंद्रीय बलों के 22 हजार जवान भेजे हैं। असम के शिवसागर, कार्बी आंग्लांग, जोरहाट, गोलाघाट और उरियामघाट जैसे इलाके नागालैंड से लगी सीमा के पास स्थित हैं।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम समेत इलाके के तमाम राज्यों को भेजे गए एक सर्कुलर में उनसे एनआरसी के प्रकाशन के बाद कानून व व्यवस्था की समस्या पर नजदीकी निगाह रखने और आपस में तालमेल बना कर काम करने की सलाह दी है। इन राज्यों से मुख्य सचिव की अगुवाई में समिति का गठन करने को कहा गया है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भरोसा दिया था कि एनआरसी में जिनके नाम नहीं होंगे उनको राज्य से तत्काल खदेड़ा नहीं जाएगा। लेकिन इससे इन राज्यों की आशंका कम नहीं हुई है।
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल कहते हैं, "राज्य सरकार सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराएगी और किसी को एनआरसी के प्रकाशन के बाद पैदा होने वाली स्थिति की चिंता नहीं करनी चाहिए।" लेकिन एनआरसी के अंतिम मसविदे के प्रकाशन की तिथि नजदीक आने के साथ ही असम के लाखों अल्पसंख्यकों के अलावा पड़ोसी राज्य सरकारों के दिलों की धड़कनें भी बढ़ती जा रही हैं।
रिपोर्ट प्रभाकर, कोलकाता