शुक्रवार, 20 सितम्बर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. more than half of the worlds large lakes are drying up
Written By DW
Last Modified: शनिवार, 20 मई 2023 (08:48 IST)

दुनिया की सबसे बड़ी झीलों से गायब हुआ खरबों लीटर पानी

lake
जलवायु परिवर्तन और इंसान की बेकद्री के कारण दुनिया में सबसे बड़ी झीलें भी सूखने लगी हैं। एक नया अध्ययन बताता है कि 1990 के बाद से हर साल करोड़ों गैलन पानी सूखता जा रहा है।
 
वैज्ञानिकों ने दुनिया की करीब 2,000 सबसे बड़ी झीलों के अध्ययन के बाद पाया है कि हर साल उनका लगभग 215 खरब लीटर पानी कम हो रहा है। इसका अर्थ है कि 1992 से 2020 के बाद दुनिया में इतना पानी खत्म हो चुका है जितना अमेरिका की सबसे बड़ी झील यानी नेवादा की लेक मीड जैसी 17 झीलों के बराबर है। यह उतना ही पानी है जितना साल 2015 में पूरे अमेरिका ने इस्तेमाल किया था।
 
अध्ययन बताता है कि जिन झीलों वाले इलाके में पहले से ज्यादा बारिश हो रही है, वे भी सूखती जा रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि तापमान बढ़ने के कारण अब ज्यादा पानी भाप बनकर उड़ रहा है। साथ ही, पानी की कमी के कारण अब लोग कृषि, बिजली उत्पादन और पीने के लिए भी झीलों से पानी ले रहे हैं।
 
गुरुवार को प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस में छपा यह अध्ययन बताता है कि झीलों के सूखने का तीसरा कारण बारिश का अनियमित हो जाना और नदियों का रास्ता बदल लेना है, जिसकी वजह भी जलवायु परिवर्तन हो सकती है। ईरान की उर्मिया झील के सूखने का यही प्रमुख कारण माना गया है। अध्ययन के मुताबिक इस झील से सालाना 10।5 खरब लीटर पानी कम हो रहा है।
 
शोधकर्ता कहते हैं कि झीलों का पानी कम होने का अर्थ यह नहीं है कि वे यकायक लापता हो जाएंगे लेकिन इसका नतीजा यह हो सकता है कि झील के पानी के लिए प्रतिद्वन्द्विता बढ़ेगी क्योंकि अब बिजली उत्पादन आदि में भी उनका इस्तेमाल होगा।
 
मानवीय उपभोग और जलवायु परिवर्तन
मुख्य शोधकर्ता फैंगफांग याओ कोलराडो यूनिवर्सिटी में जलवायु विज्ञानी हैं। वह कहते हैं, "इस कमी के आधे से ज्यादा के लिए मानव उपभोग और अन्य परोक्ष मानवीय कारण जिम्मेदार हैं।” झीलों से पानी निकालना एक सीधा मानवीय कारण है जिसके कारण पानी लगातार घट रहा है।
 
सहायक शोधकर्ता कोलराडो यूनिवर्सिटी के बेन लिवने कहते हैं कि यह ज्यादा स्पष्ट भी है क्योंकि "इसका दायरा स्थानीय और बड़ा है और इसमें इलाके को पूरी तरह बदलने की क्षमता है।” हालांकि लिवने कहते हैं कि अपरोक्ष मानवीय कारण भी जिम्मेदार हैं, जिनकी वजह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और धरती का तापमान बढ़ रहा है। वह कहते हैं कि इस कारण "पूरे विश्व पर और उसकी हर चीज पर असर हो रहा है।”
 
याओ कहते हैं कि कैलिफॉर्निया की मोनो झील का सिकुड़ना एक सटीक मिसाल है। वह कहते हैं जिन इलाकों में जलवायु परिवर्तन के कारण ज्यादा बारिश हो रही है, वहां भी पानी कम हो रहा है क्योंकि गर्म हवा झीलों के पानी को ज्यादा सोख रही है। लिवने कहते हैं कि इससे एक दुष्चक्र बन रहा है क्योंकि हवा में ज्यादा पानी होने का मतलब है कि बारिश भी ज्यादा हो सकती है।
 
30 साल के आंकड़े
अपने अध्ययन के लिए याओ, लिवने और उनके सहयोगियों ने 30 साल तक उपग्रहों से मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इसके अलावा कंप्यूटर से लगाया गया अनुमान और अन्य स्रोतों से मिला जलवायु परिवर्तन का आंकड़ा भी इस विश्लेषण का आधार बना है।
 
शोधकर्ताओं ने पाया कि अमेरिका की सबसे बड़ी मीड झील ने 1992 से 2020 के बीच दो-तिहाई पानी खो दिया था। हालांकि 1992 से 2013 के बीच सिकुड़ना सबसे ज्यादा हुआ। उसके बाद कुछ समय तक स्थिरता बनी रही और फिर झील फैलने लगी। लेकिन वैज्ञानिक कहते हैं कि इस फैलाव में भी समस्या है क्योंकि झीलें नदियों से आ रही रेत और गाद से भरती जा रही हैं।
 
हालांकि वैज्ञानिकों को झीलों के अन्य कामों के लिए इस्तेमाल की समस्या का पहले से पता है लेकिन इस अध्ययन में जो नई बात पता चली है, वो ये है कि किस स्तर पर बड़ी झीलों का इस्तेमाल अन्य कामों के लिए हो रहा है। नॉर्थ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी में हाइड्रोलॉजी पढ़ाने वाले डॉ। टैमलिन पावेल्स्की इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे। वह कहते हैं कि उन झीलों के लिए चिंता ज्यादा है जो पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं और उन घने बसे इलाकों के पास हैं, जहां पानी के अन्य स्रोत कम हैं। वह कहते हैं, "ईरान की उर्मिया झील, मृत सागर, साल्टन सागर, ये सब चिंता का विषय हैं।”
वीके/एए (एपी)
ये भी पढ़ें
दिल्ली के लिए लाए गए अध्यादेश में क्या है, जिसे लेकर केंद्र से नाराज हैं अरविंद केजरीवाल