चारु कार्तिकेय
दिल्ली में बीजेपी के विधायकों ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजा था। राष्ट्रपति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मांग पर विचार करने के लिए कहा है।
दिल्ली में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी पिछले कई महीनों से कहती आ रही है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले से जुड़े आरोपों के चलते जेल में होने के बावजूद अपने पद से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, इस वजह से दिल्ली में एक संवैधानिक संकट पैदा हो गया है।
अगस्त में दिल्ली के बीजेपी विधायकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर उन्हें एक चिट्ठी सौंपी। इसमें मांग की गई कि इस संवैधानिक संकट को देखते हुए दिल्ली में 'आप' की सरकार को बर्खास्त किया जाए और राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।
गृह मंत्रालय कर रहा विचार
ताजा मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रपति ने इस मामले पर कार्रवाई के लिए विधायकों की चिट्ठी केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी है। रिपोर्टों के मुताबिक, राष्ट्रपति सचिवालय ने इस पत्र को "उचित कार्रवाई" के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया है। मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई बयान नहीं दिया है।
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक विजेंदर गुप्ता ने इस बात की पुष्टि की है। एक टीवी चैनल को दिए बयान में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को सौंपा गया ज्ञापन 'संवैधानिक संकट' के अलावा 'आप' सरकार के करीब 10 साल के कार्यकाल के बारे में भी था।
जवाब में 'आप' नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने कहा है कि यह दिल्ली की चुनी हुई सरकार को गिराने के बीजेपी के 'षड्यंत्र' के तहत किया गया है।
राष्ट्रपति के इस कदम के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या दिल्ली में वाकई राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा।
संविधान क्या कहता है
भारत में राष्ट्रपति शासन संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लगाया जाता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति इस बात से आश्वस्त हों कि किसी राज्य में "संवैधानिक तंत्र भंग" हो चुका है, तो वह वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। ऐसे में राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाता है और राज्यपाल सरकार की बागडोर संभाल लेते हैं।
हालांकि, अनुच्छेद 356 केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू नहीं होता है। दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए संविधान में भाग 239 एबी के तहत अलग प्रावधान है। इसके तहत राज्य हो या केंद्र शासित प्रदेश, राष्ट्रपति शासन घोषित करने के दो महीनों के भीतर उसके लिए संसद की स्वीकृति भी लेनी होती है।
किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद उसे सिर्फ छह महीने तक रखा जा सकता है। यह अवधि आगे बढ़ाने के लिए फिर से संसद की स्वीकृति अनिवार्य होती है। ऐसा अधिकतम तीन साल तक किया जा सकता है।
दिल्ली में पिछली बार राष्ट्रपति शासन फरवरी 2014 में लगाया गया था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में लोकपाल बिल पेश ना कर पाने की वजह से अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था, जो फरवरी 2015 तक कायम रखा गया।