अपनी एक किताब की वजह विवादों में घिरे आईएसआई के पूर्व प्रमुख असद दुर्रानी का कहना है कि वह अपने आलोचकों को जवाब देना मुनासिब नहीं समझते। साथ ही कारगिल की जिम्मेदारी वह मुशर्रफ और नवाज शरीफ पर डालते हैं।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख असद दुर्रानी ने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत के साथ मिल कर 'स्पाई क्रोनिकल्स रॉ आईएसआई एंद इल्यूशन ऑफ पीस' नाम की किताब लिखी है। दुर्रानी पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने किताब में कई ऐसी बातें लिखी हैं जो पाकिस्तान के रुख के मुताबिक नहीं हैं।
इस किताब पर पाकिस्तान में भारी विवाद हो रहा है और खासकर 'दुश्मन देश' की खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख के साथ मिल कर किताब लिखने के लिए असद दुर्रानी पर गद्दारी का मुकदमा चलाने तक की मांग उठ रही है। बढ़ते हुए दबाव के बीच पाकिस्तानी सेना ने दुर्रानी को अपने मुख्यालय में तलब किया और उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही असद दुर्रानी के पाकिस्तान से बाहर जाने पर भी रोक लगा दी गई है।
डीडब्ल्यू से बातचीत में असद दुर्रानी ने कहा, "मुझे अपनी आलोचना का जबाव देने की जरूरत नहीं है। मैंने संयुक्त रूप से एक किताब लिखी है। अगर किसी सिविलियन ने ऐसी किताब लिखी होती तो यह उस पर निर्भर करता है कि इस बारे में उसकी क्या प्रतिक्रिया होती।"
पाकिस्तान की ताकतवर खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख ने अपनी किताब में ओसामा बिन लादेन पर भी बात की है। वह लिखते हैं, "आईएसआई को ओसामा बिन लादेन के बारे में मालूम था और साझा समझौते के तहत पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन को अमेरिका के हवाले किया।" यह बात पाकिस्तान के सरकारी रुख से बिल्कुल अलग है, जिसके मुताबिक पाकिस्तान को ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
जब दुर्रानी से पूछा गया कि क्यों पाकिस्तानी सेना ने ओसामा बिन लादेन को पकड़वाने का श्रेय नहीं लिया, तो उनका कहना था, "मैंने अपना विश्लेषण किया है, जो गलत भी हो सकता है। कभी कभी असाधारण फैसलों को 'अच्छा प्रभाव' कायम करने के लिए नहीं लिया जाता।"
अपनी किताब में दुर्रानी ने कारगिल को एक नाकाम ऑपरेशन बताया है। वह कहते हैं कि पाकिस्तान के पूर्व शासक परवेज मुशर्रफ को कारगिल में हद से ज्यादा दिलचस्पी थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
दुर्रानी के मुताबिक, "नवाज शरीफ और मुशर्रफ, दोनों पर कारगिल की जिम्मेदारी आती है।" दुर्रानी ने अपनी किताब में पाकिस्तानी राजनीतिक व्यवस्था और राजनेताओं की भी आलोचना की है। जब उनसे पूछा गया कि वह क्यों पाकिस्तानी राजनेताओं को नापसंद करते हैं तो उनका जवाब था, "यही तो कोशिश करने की जरूरत है कि पाकिस्तानी राजनीतिक व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए ताकि सही लोग सामने आ सकें।"
दूसरी तरफ दुर्रानी की किताब पर पाकिस्तान के जाने माने पत्रकार सैयद तलत हुसैन कहते हैं कि दुर्रानी के विचारों में 'हकीकत कम और जोश ज्यादा है'। उनके मुताबिक, "रॉ के पूर्व चीफ के साथ बैठकर पाकिस्तान की हर संस्था की आलोचना करना और अपने देश के नेताओं को नीचा दिखाना एक मूर्खतापूर्ण कोशिश है।" तलत हुसैन के मुताबिक दुर्रानी की एक आम सी किताब को बहुत ज्यादा शोहरत मिल गई है।
रिपोर्ट बीनिश जावेद