भ्रष्टाचार ने दुनिया को बनाया खतरनाक, ज्यादातर देश करप्शन से लड़ने में नाकाम
सन 2017 के बाद से दुनिया के ज्यादातर देश भ्रष्टाचार से लड़ने में नाकाम दिखे हैं। अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी नई रिपोर्ट में लिखा है कि सूची में शामिल करीब 95 फीसदी देशों ने इस मामले में बहुत कम या ना के बराबर प्रगति की है। उनके 2022 भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में विशेषज्ञों और कारोबारियों से बातचीत के आधार पर किसी देश में सार्वजनिक रूप से व्याप्त भ्रष्टाचार की धारणा को शामिल किया गया है।
इस स्टडी से यह भी पता चलता है कि जहां भ्रष्टाचार ज्यादा है वहां सार्वजनिक असंतोष के हिंसा में बदलने की संभावना भी अधिक है। संगठन की अध्यक्ष डेलिया फरेरा रूबियो कहती हैं, "भ्रष्टाचार ने हमारी दुनिया को और खतरनाक जगह बना दिया है। सरकारों के इसके खिलाफ सामूहिक रूप से ज्यादा कुछ ना कर पाने के कारण हर जगह हिंसा और संघर्ष में और बढ़ोत्तरी आयी है और इससे लोगों पर खतरा और बढ़ा है।"
कौन साफ-सुथरा और कौन भ्रष्ट : ताजा रिपोर्ट में 180 देशों को रैंकिंग दी गई है। बहुत ज्यादा भ्रष्ट देश को 0 और बहुत कम भ्रष्ट को 100 के बीच अंक मिले हैं। इस पैमाने पर नॉर्डिक देश डेनमार्क को 90 अंकों के साथ सबसे कम भ्रष्ट पाया गया। वहीं फिनलैंड और न्यूजीलैंड भी 87 अंकों के साथ टॉप पर रहे। इन देशों में मजबूत लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान भी ज्यादा दिखा, जिसके कारण यह दुनिया के सबसे शांतिपूर्ण देशों में भी शामिल हैं।
रिपोर्ट में पश्चिमी यूरोप के ज्यादातर देशों को अच्छे खासे अंक मिले हैं लेकिन इसके कुछ देशों में बीते सालों से गिरावट के संकेत भी मिले। जैसे कि जर्मनी, जिसे 79 अंकों के साथ सूची में 9वां स्थान मिला, जो कि पिछले साल के मुकाबले एक अंक की गिरावट है।
ब्रिटेन पांच अंक गिरकर 73 पर आ गया जो कि उसका अब तक का सबसे कम स्कोर है। वहां सार्वजनिक खर्च से लेकर लॉबिंग तक कई घोटालों के साथ-साथ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के खुलासों ने कई कमियों को उजागर किया है। वहां की जनता का अपने नेताओं में भरोसा काफी गिरा है। स्विट्जरलैंड को 82 और नीदरलैंड्स को 80 अंकों के साथ थोड़े नीचे स्थान मिला।
वहीं दक्षिण एशियाई देशों में भारत को बीते साल की ही तरह फिर से 40 अंकों के साथ 85वां स्थान मिला। जबकि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार बढ़ने का अनुमान रहा और उसे 27 अंकों के साथ 140वीं रैंक मिली। बांग्लादेश में भी हालात खराब हुए और उसे 25 अंकों के साथ 147वें स्थान पर रखा गया। सूचकांक में सबसे नीचे रहा सोमालिया जिसे 12 अंक मिले। दक्षिण सूडान और सीरिया भी सबसे नीचे की रैंकों पर रहे।
रूसी युद्ध ने मचाई उथल पुथल : ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ऐसी सूची सन 1995 से जारी करता आया है। इसमें 13 अलग अलग स्रोतों से पब्लिक सेक्टर करप्शन का लेखा जोखा लिया जाता है। लेकिन 2022 की सूची में यूक्रेन पर रूसी हमले का भारी असर दिखा। खुद रूस में भ्रष्टाचार का बोलबाला और उसका शांति और स्थायित्व पर गहरा असर दिखा। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि यह हमला हमें याद दिलाता है कि भ्रष्टाचार और सरकार पर जवाबदेही ना होने से विश्व शांति और सुरक्षा पर कितना बड़ा खतरा पैदा हो जाता है।
रूस को 28 अंक मिले हैं और रिपोर्ट का कहना है कि रूसी रईसों ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ वफादारी दिखाने के बदले अनगिनत सरकारी कॉन्ट्रैक्ट और कई तरह के वित्तीय फायदे लिए। रिपोर्ट कहती है, "इस हमले से पूरे यूरोपीय महाद्वीप में अस्थिरता आई, लोकतंत्र खतरे में पड़ा और लाखों लोगों की जान चली गई।"
रूसी हमले के पहले तक यूक्रेन को 33 अंक मिले थे। यह प्रदर्शन खराब तो था लेकिन उसमें धीरे धीरे सुधार देखा जा रहा था। हमले के बाद भी वहां कुछ वक्त तक ये सब जारी रहा लेकिन फिर सुधारों का सिलसिला बिल्कुल टूट गया। हाल ही में कुछ विश्वसनीय जांचों से पता चला है कि यूक्रेन के कुछ वरिष्ठ अधिकारी युद्ध के कठिन हालात में निजी मुनाफा कमाने में लगे हैं। कुछ सहायता संगठनों पर भी यूक्रेन की मदद के लिए भेजी जा रही राशि के गलत इस्तेमाल की शिकायतें आई हैं।
आरपी/एमजे (एपी)