शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Germans welcome to Afghanistan
Written By DW
Last Updated : सोमवार, 6 सितम्बर 2021 (10:15 IST)

जर्मनों का अफगानिस्तान में स्वागत है: तालिबान

जर्मनों का अफगानिस्तान में स्वागत है: तालिबान - Germans welcome to Afghanistan
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा है कि तालिबान के साथ बातचीत जरूरी है ताकि जर्मन सरकार के लिए काम कर चुके अफगानों को वहां से निकाला जा सके। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल तालिबान के साथ राजनीतिक बातचीत के पक्ष में हैं। रविवार को उन्होंने कहा कि वह इस्लामिक संगठन तालिबान के साथ राजनीतिक बातचीत शुरू करने के समर्थन में हैं। पश्चिमी जर्मनी के हागेन की यात्रा के दौरान मर्केल ने कहा, 'तालिबान के बारे में तथ्य यह है कि बेशक हमें उनसे बात करनी पड़ेगी क्योंकि अब तो वही हैं जिनसे बातचीत की जा सकती है।'
 
क्या बोलीं मर्केल?
 
मर्केल हागेन की यात्रा पर गई थीं, जो इसी साल भयंकर बाढ़ से प्रभावित हुआ था। उस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जो लोग अफगानिस्तान में छूट गए हैं, उन्हें निकालने के लिए बातचीत जरूरी है।
 
मर्केल ने कहा, 'जिन लोगों ने जर्मनी की संस्थाओं के साथ काम किया है, हम उन्हें देश से निकालना चाहते हैं। खासकर उन्हें जो खतरा महसूस कर रहे हैं।' जर्मन चांसलर ने कहा कि बातचीत से अफगानिस्तान में मानवीय मदद की सप्लाई जारी रह सकेगी। उन्होंने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को यातायात के लिए खोले जाने को भी 'अच्छा संकेत' बताया।
 
आगामी आम चुनाव में सीडीयू-सीएसयू पार्टी के उम्मीदवार आर्मिन लाशेट भी इस दौरे पर मर्केल के साथ थे। उन्होंने तालिबान के साथ बातचीत के मर्केल के सुझाव का समर्थन किया।
 
तालिबान का रुख
 
एंजेला मर्केल का यह बयान तालिबान के प्रवक्ता के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने जर्मनी के साथ आधिकारिक रिश्तों की इच्छा जताई थी। जर्मन अखबार द वेल्ट अम जोनटाग को दिए एक इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, 'हम जर्मनी के साथ मजबूत और आधिकारिक राजनयिक रिश्ते चाहते हैं।'
 
मुजाहिद ने कहा कि जर्मन नागरिकों का अफगानिस्तान में हमेशा स्वागत है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि जर्मनी को कभी सकारात्मक प्रभाव के रूप में देखा जाता था। मुजाहिद ने कहा, 'दुर्भाग्य से उन्होंने अमेरीकियों का साथ दिया। लेकिन अब वह सब माफ कर दिया गया है।' तालिबान चाहते हैं कि जर्मनी अफगानिस्तान की आर्थिक और मानवीय मदद भी करे। वे जर्मनी से स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र सहयोग चाहते हैं।
 
रणनीति पर विचार
 
जर्मनी ने फिलहाल अफगानिस्तान में अपना दूतावास बंद कर रखा है और वहां के राजदूत मार्कुल पोत्सेल दोहा से काम कर रहे हैं। लेकिन जर्मन सरकार तालिबान के संपर्क में है। तालिबान ने 15 अगस्त को बीस साल बाद दोबारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के दो दशक लंबे अभियान के औपचारिक रूप से खत्म होने से पहले ही तालिबान ने देश पर नियंत्रण कर लिया।
 
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन अगले हफ्ते जर्मनी की यात्रा पर आ सकते हैं, जहां वह अफगानिस्तान की स्थिति पर जर्मन नेताओं से बातचीत करेंगे। कुछ जर्मन नेताओं ने अमेरिका के अफगानिस्तान को छोड़ जाने के फैसले की आलोचना की है। इनमें बवेरिया प्रांत के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर शामिल हैं।
 
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)
ये भी पढ़ें
इलेक्ट्रिक कार क्रांति, लेकिन हजारों नौकरियां खतरे में