कोविड महामारी के बाद चीन के युवाओं के बीच विदेश, खासतौर पर थाइलैंड जाकर रहने का चलन बढ़ा है। तेज रफ्तार जिंदगी और काम के दबाव के बीच आजादी और सुकून की तलाश में ये युवा एजुकेशन वीजा लेकर थाइलैंड का रुख कर रहे हैं।
चिआंग माई, थाइलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। कमोबेश कम भागदौड़ और कम महंगाई वाला ये शहर बीते कुछ समय से चीन के युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है। चीन में सख्त कोविड लॉकडाउन के खत्म होने के बाद कई युवा राहत की खोज में यहां का रुख कर रहे हैं। इनमें से ही एक हैं 26 साल की कोनी चेन, जो मई 2023 में एक साल के शिक्षा वीजा पर चिआंग माई आई हैं। उनके पति गोर्डोन लिन भी साथ आए हैं। दोनों लंबे वक्त तक चीन से बाहर रहकर करियर बनाना चाहते हैं।
महामारी का असर
चेन, शंघाई की रहने वाली हैं। शंघाई, चीन की वित्तीय राजधानी है। कोविड के दौरान यहां बेहद सख्त लॉकडाउन लागू था। बैंक में काम कर रहीं चेन के पास अच्छी नौकरी थी। वेतन भी अच्छा था। लेकिन वो अपने करियर की दिशा से खुश नहीं थीं। महामारी के बाद उन्हें बदलाव की जरूरत महसूस हो रही थी।
वह बताती हैं, "अगर मैं अपनी बाकी की पूरी जिंदगी भी वही नौकरी करती रहती, तो भी सब वैसा ही रहता। लेकिन जिंदगी इतनी छोटी है कि मैं कुछ अलग करना चाहती थी।" ऐसे में थाइलैंड की अपेक्षाकृत आसान वीजा प्रक्रिया चेन को मुफीद लगी और वो यहां चली आईं। समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में उन्होंने बताया, "महामारी के दौरान आजाद होने की इच्छा ज्यादा मजबूत हुई।"
ऐसा महसूस करने वाली चेन अकेली नहीं हैं। उनके माता-पिता की पीढ़ी को चीन की बढ़ती अर्थव्यवस्था से बहुत फायदे मिले, लेकिन युवा पीढ़ी के आगे अलग परिस्थितियां हैं। प्रमोशन की संभावना कम है और प्रतिद्वंद्विता बहुत ज्यादा है। ऐसे में युवा देश के बाहर मौके खोज रहे हैं। जैसा कि चेन बताती हैं, "मुझे लगता है कि बाहर काफी सारे मौके हैं और मुझे उम्मीद दिखती है।"
तेज रफ्तार जिंदगी और काम का दबाव
चेन और उनके पति लिन की तरह 31 साल के चिन वेनहुई भी महामारी के वक्त थाइलैंड आए थे। जब चीन ने अपनी सीमाएं बंद कर दीं, तो चिन यहीं फंस गए। यहां कुछ महीने गुजारने के बाद चिन वापस चीन नहीं लौटना चाहते थे क्योंकि वहां परिवार की ओर से उनपर पूरी तरह से काम में डूबे रहने का दबाव था। चिन ने बताया, "मुझे यहां ज्यादा आजाद महसूस होता है। चीन में रफ्तार बहुत तेज थी। मैं जो चीजें करना चाहता था, उनके लिए आजादी नहीं थी।"
अब चिन कुछ दोस्तों के साथ मिलकर चिआंग माई में एक हॉस्टल चलाते हैं। हर रोज जिम जाते हैं और उन्होंने खाना बनाना भी सीखा। बचपन से ही वह गिटार सीखना चाहते थे। चिआंग माई में उन्होंने अपनी यह मुराद भी पूरी कर ली। हालांकि अब वो एक और लंबा कदम उठाने की तैयारी में हैं। वह कहते हैं, "मैं किसी विकसित देश में जाना चाहता हूं क्योंकि वह संस्कृति, काम और वेतन के मामले में चीन और चिआंग माई से बेहतर होगा।"
युवाओं में चीन छोड़कर बाहर मौके तलाशने की इच्छा चीनी मैसेजिंग ऐप वीचैट पर भी मजबूती से नजर आती है। मसलन, इसपर बाहर जाने से जुड़ी जानकारियां खोजने वालों की संख्या बढ़ी है। अक्टूबर 2023 में सिर्फ एक दिन के भीतर 51 करोड़ बार "इमिग्रेशन" सर्च वर्ड खोजा गया। इसी तरह जनवरी 2023 में लोगों ने एक दिन के भीतर तीन लाख बार थाइलैंड इमिग्रेट करने से जुड़ी जानकारियां खोजीं।
आसान है थाइलैंड जाना
थाइलैंड में खास दिलचस्पी की वजह यूरोप और अमेरिका के मुकाबले यहां की अपेक्षाकृत आसान वीजा प्रक्रिया है। थाइलैंड लंबी अवधि के लिए कई तरह के वीजा की पेशकश कर रहा है। इनमें एक साल का लैंग्वेज कोर्स भी है, जिसका खर्च 700 से 1,800 डॉलर तक आता है।
च्यांग बाओ, मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट फॉर सोशल एंथ्रोपॉलजी में सामाजिक मानव विज्ञानी हैं। इस रुझान पर वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि चीन छोड़कर जाने की इच्छा में एकाएक इजाफा हुआ है।" बाओ का कहना है कि चीन में कई लोग थाइलैंड को एक शुरुआत की तरह देखते हैं, जहां वो विदेश में रहने के अनुभव पर प्रयोग कर सकते हैं।
बाओ के मुताबिक, मौजूदा रुझान इस मायने में भी अलग है कि 1990 और 2000 के दशक में विदेश जाने वाले चीनी नागरिकों में से कई देश के साथ रिश्ते बनाए रखते थे। वहीं अब नया चलन दिख रहा है कि लोग खुद को पूरी तरह से अलग कर लेना चाहते हैं। बाओ कहते हैं, "वो खुले दिमाग के हैं और आजादी पसंद हैं। राजनैतिक स्वतंत्रता जरूरी नहीं, लेकिन वो शालीन और सम्मानजनक जिंदगी जीना चाहते हैं।"
एसएम/वीके (एएफपी)