• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. skin cancer
Written By
Last Updated : मंगलवार, 6 नवंबर 2018 (12:00 IST)

पुरुषों के लिए ज्यादा खतरनाक है यह कैंसर

पुरुषों के लिए ज्यादा खतरनाक है यह कैंसर | skin cancer
कैंसर एक जानलेवा बीमारी मानी जाती है, जिसका खतरा महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही होता है। हालांकि अब एक स्टडी के नतीजे कहते हैं कि त्वचा का कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए अधिक घातक साबित होता है।
 
 
आज की हाईटेक दुनिया में कैंसर तेजी से फैल रहा है। एक रिसर्च में कहा गया है कि 1985 के बाद से अमीर देशों में त्वचा के कैंसर (स्किन कैंसर) के चलते मरने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा है। वहीं महिलाओं में मृत्यु दर घटा है। साथ ही इस बीमारी में भी कमी आई है।
 
 
स्टडी में महिलाओं और पुरुषों में कैंसर के असर के अंतर को स्पष्ट करने वाला कोई ठोस कारण तो नहीं दिया गया है लेकिन रिसर्चर इसका एक कारण पुरुषों का त्वचा को कम ढंकना भी मान रहे हैं। द रॉयल फ्री ग्रुप से जुड़ी डॉक्टर और प्रमुख रिसर्चर डोरोथी यांग ने इस बारे में कहा, "पुरुष अपनी त्वचा को सूरज की रोशनी के सामने कम ढंकते हैं जो एक कारण हो सकता है।" 
 
 
अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) के मुताबिक 90 फीसदी तक मेलानोमा मतलब त्वचा का कैंसर सूरज के सीधे संपर्क में आने से त्वचा की कोशिका को होने वाले नुकसान और पराबैंगनी किरणों के चलते होता है।
 
 
18 देशों के आंकड़ों मुताबिक आदमियों में स्किन कैंसर से होने वाली मौतें पिछले तीन दशकों में 50 फीसदी तक बढ़ी हैं। आयरलैंड और क्रोएशिया में ये मामले लगभग दोगुने हो गए हैं। वहीं स्पेन और ब्रिटेन में 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नीदरलैंड्स में 60 फीसदी, तो वहीं फ्रांस और बेल्जियम में 50 फीसदी ऐसे मामले बढ़े हैं।
 
 
अमेरिका इस शोध में शामिल नहीं था लेकिन सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में मेलानोमा के चलते पुरुषों की मृत्यु दर 25 फीसदी तक बढ़ी है। हालांकि शोध में यह भी सामने आया कि जिन देशों में स्किन कैंसर के चलते होने वाली मौतों की दर बढ़ रही है, वहां मृत्यु दर सबसे अधिक तेजी से नहीं बढ़ी है। मसलन ऑस्ट्रेलिया में साल 2013-15 के दौरान हर एक लाख पुरुषों पर छह की मौत हुई। यह दूसरी सबसे ऊंची मृत्यु दर है। लेकिन 30 साल पहले की तुलना में यह महज 10 फीसदी ही बढ़ी है।
 
 
रिसर्चर मानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में पिछले 30 सालों से चल रहे स्वास्थ्य अभियानों ने लोगों को स्किन कैंसर के खतरों के प्रति खासा जागरूक किया है।
 
 
यांग और उनके साथियों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, "ऑस्ट्रेलिया में 1985 के दौरान महिलाओं में स्किन कैंसर के चलते होने वाली मौतें पुरुषों के मुकाबले आधी थीं, जो तीस साल बाद तकरीबन 10 फीसदी घटी भी हैं।" ऑस्ट्रेलिया के अलावा जिन अन्य देशों में महिलाओं की मृत्यु दर में कमी आई है उनमें ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, इस्राएल प्रमुख हैं। वहीं रोमानिया, स्वीडन और ब्रिटेन में स्किन कैंसर के मामले बढ़े हैं।
 
 
जापान में स्किन कैंसर से सबसे कम मौतें होती हैं। प्रति एक लाख पुरुषों में यह दर 0.24 फीसदी है, तो वहीं प्रति एक लाख महिलाओं में 0.18 फीसदी। यांग का कहना है, "वैज्ञानिक अब भी इस कैंसर के जेनेटिक और अनुवांशिक कारण खोजने में लगे हैं लेकिन फिलहाल परिणाम अनिश्चित हैं।"
 
 
अमेरिकी कैंसर सोसाइटी के मुताबिक अगर मेलानोमा का प्रथम स्टेज में पता चल जाए तो 95 फीसदी मरीजों की 10 साल जीवित रहने की संभावना रहती है।
 
 
एए/आईबी (एएफपी)
 
ये भी पढ़ें
क्या मांस और दूध-दही नहीं खाना सेहत के लिए अच्छा है