• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Birds Spain
Written By
Last Modified: मंगलवार, 3 अक्टूबर 2017 (11:58 IST)

बिना पंख फड़फड़ाये समंदर पार करते परिंदे

बिना पंख फड़फड़ाये समंदर पार करते परिंदे - Birds Spain
सबसे संकरी जगह पर भी जिब्राल्टर की खाड़ी करीब 14 किलोमीटर चौड़ी है। वहां से समंदर पार करना आसान नहीं, लेकिन प्रवासी पंछी ऐसा बड़े आराम से कर जाते हैं। उनके इस गुण से वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
 
दक्षिणी स्पेन के तट पर गर्मियों के आखिरी दिन। अगस्त के आखिर में यहां लाखों प्रवासी पंछी पहुंचते हैं, अपनी अगली लंबी यात्रा की एक बड़ी चुनौती के लिए। उड़ान के बादशाह कहे जाने वाले शिकारी परिंदे चील भी यहां पहुंचते हैं। लेकिन जिब्राल्टर की खाड़ी सबके सामने एक बड़ी चुनौती पेश करती है। पंछी समुद्र के ऊपर बहने वाली थर्मोविंड का भी सहारा नहीं ले सकते। इतनी चुनौतियों के बावजूद ये परिंदे जिब्राल्टर की खाड़ी कैसे पार कर जाते हैं? 
 
यह बात सालों से वैज्ञानिकों को भी परेशान करती रही है। अब वे आधुनिक मशीनों के सहारे ये जानना चाहते हैं कि पक्षियों की इस क्षमता का राज क्या है। माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर ऑर्निथोलॉजी के वैज्ञानिक अपनी टीम के साथ चीलों के व्यवहार को समझने के लिए इलाके में पहुंचे हैं। खतरनाक हवा के बावजूद आखिर चील कैसे समंदर पार करते हैं। हवा पूरब की तरफ से आ रही है और वह परिंदों को वापस तट पर फेंक देती है।
 
अब तक वैज्ञानिक खाड़ी पार करने की उनकी खतरनाक उड़ान को लेकर अंदाजा भर लगा सकते हैं। लेकिन वे पंछियों की दुनिया के ऐसे राज सुलझाना चाहते हैं। और फिर वैज्ञानिकों के लिए रोमांच की शुरुआत होती है। अपने मिशन के लिए डेविड सांतोस को ढेर सारे चील चाहिए। उनके लिए चुनौती है चीलों को लुभाना और उनपर बहुत छोटी जीपीएस मशीनें लगाना। डाटा की मदद से शायद वैज्ञानिकों को उन सवालों के जवाब मिलेंगे जो वे खोज रहे हैं।
 
अब तक टीम के पिंजरे में छह परिंदे आए हैं, इनके साथ ही एक एक बड़े शोध की शुरुआत होती है। किसी पीट्ठू बैग की तरह वैज्ञानिक पक्षियों की पीठ पर ट्रांसमीटर लगा देते हैं। यह उड़ान की जानकारी देगा। डाटा सीधे वैज्ञानिकों के मोबाइल फोन पर आएगा। वैज्ञानिक हर वक्त जान पाएंगे कि पक्षी क्या कर रहा है, कहां उड़ रहा है। पंछी विज्ञानी डेविड सांतोस मशीन के बारे में समझाते हैं, "यह खास किस्म की लॉग मशीन है। यह इस सेलफोन नेटवर्क जीएसएम के जरिये ट्रांसमिट होती है। इसके अंदर एक सिमकार्ड है। इसमें जीपीएस और एक्सेलेरोमीटर है जो पंछी की उड़ान और उसके व्यवहार की जानकारी दर्ज करता है।"
 
अगली सुबह। वैज्ञानिक एक बार फिर सब चीजें चेक कर रहे हैं। उन्हें आज ज्यादा से ज्यादा परिंदे पकड़ने होंगे। जैसे ही हवा कुछ धीमी होगी, परिंदे उड़ान पर निकल लेंगे। समय के साथ रेस शुरू हो चुकी है। एक हफ्ते बाद ही प्रवासी पक्षियों की उड़ान का मुख्य सीजन है, उससे पहले सारी तैयारियां पूरी करनी होंगी। वैज्ञानिक ताजा चारे का लालच देते हैं, पिंजरा भी तैयार है। एक घंटा बीतने तक कोई पक्षी नहीं आता। फिर सब कुछ बड़ी तेजी से होता है। कुछ ही समय में पक्षियों का झुंड आता है और पिंजरा अचानक भर जाता है। अब कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए।
 
दूर बने कैंप से वैज्ञानिक पिंजरे को रिमोट कंट्रोल के जरिये बंद कर देते हैं। चीलों को इसकी भनक भी नहीं लगती। इस बार काफी पंछी पकड़े गए हैं। अब उन सब पर ट्रांसमीटर लगाए जाते हैं। और फिर आती है निर्णायक घड़ी। हवा बहने लगी है। उड़ान भरने के लिए यह आदर्श वक्त है। पंछी विज्ञानी अपने कैंप में बैठे हैं। ऑब्जरवेशन सेंटर में बैठे इन वैज्ञानिकों की नजर जिब्राल्टर की खाड़ी पर है। कभी भी उड़ान शुरू हो सकती है।
 
मौसम थोड़ा गर्म हो चुका है और इसी दौरान हजारों परिंदे दूसरे महाद्वीप तक पहुंचने के लिए अपने पंख फड़फड़ाते हैं। गर्म जमीन के चलते उठने वाली गर्म हवा, थर्मोविंड के ऊपर जाते ही पंछी काफी ऊंचाई तक चले जाते हैं। सबसे पहले मिले डाटा से ही साफ हो चुका है कि चील ऊर्जा बचाने वाली खास रणनीति अपनाते हैं। जमीन के ऊपर होने पर भी वे 1,200 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं।
 
इतना ऊपर जाने के बाद वो बिना पंख फड़फड़ाये धीरे धीरे समंदर के ऊपर हवा में तैरते हुए आगे बढ़ते हैं। लेकिन 14 किलोमीटर की ऐसी उड़ान भरने से पहले उन्हें तय करना होता है कि धरती पर कितना ऊपर जाकर उन्हें उड़ान शुरू करनी चाहिए। और ऐसा वो बड़े सटीक ढंग से करते हैं। ऐसा करते हुए वे स्पेन से आराम से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण अफ्रीका तक की सफल उड़ान भरते हैं।
 
रिपोर्ट ओंकार सिंह जनौटी
ये भी पढ़ें
तो यह पुरुषों के बेशुमार स्पर्म की बर्बादी है?