कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के बाद से देशभर के डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीज बिना इलाज के अस्पतालों से लौट रहे हैं।
दिल्ली के एक अस्पताल के बाहर इलाज के लिए इंतजार कर रहे मरीज कतार में खड़े हैं, जबकि 12 अगस्त से लगातार चल रही डॉक्टरों की हड़ताल के कारण हजारों मरीज बिना इलाज के लौट चुके हैं। दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी सेवा लगभग ठप्प हैं।
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के बाहर खड़ी ओरेसा खातून को डर है कि उनका बेटा इलाज के बिना मर सकता है। दिल्ली ही नहीं कई राज्यों के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों की हड़ताल का यह दूसरा सप्ताह है। डॉक्टरों ने गैर-जरूरी सेवाएं रोक दी हैं। कोलकाता में महिला डॉक्टर की रेप और हत्या के बाद से वे अपनी साथी के लिए इंसाफ और कार्य स्थल पर अपनी बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
इलाज के लिए भटक रहे मरीज
65 साल की खातून पिछले दस दिनों से सरकारी अस्पताल एम्स में अपॉइंटमेंट के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रही हैं। समाचार एजेंसी एएफपी से उन्होंने कहा, "उसकी हालत बिल्कुल भी अच्छी नहीं है।" खातून का 30 साल का बेटा ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित है और पिछले चार वर्षों से बिस्तर पर है।
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह हड़ताल अच्छी है या बुरी। मुझे बस यही डर है कि जब तक अपॉइंटमेंट की तारीख आएगी, तब तक मेरा बेटा मर जाएगा।"
गुस्से में डॉक्टर, मरीजों का लंबा इंतजार
एम्स के पास अंडरपास में मरीज अक्सर कतार में खड़े रहते हैं, जो उन्हें चिलचिलाती गर्मी या तेज बारिश से बचने का सहारा देता है। डॉक्टर से मिलने के लिए उन्हें लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता है - लेकिन हड़ताल ने स्थिति को और बदतर बना दिया है।
कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 9 अगस्त को 31 वर्षीय महिला डॉक्टर का शव मिलने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के आरोप में एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है और मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो कर रही है।
महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना के बाद देशभर के कई शहरों में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हड़ताल शुरू कर दी, जिससे गैर-जरूरी सेवाएं बाधित हो रही हैं। महिला डॉक्टर के साथ जो वारदात हुई उसके विरोध में आम लोग भी सड़क पर उतर आए और पीड़ित परिवार के लिए इंसाफ की मांग करने लगे।
लेकिन विरोध प्रदर्शनों से खातून जैसे लोगों को भारी नुकसान हुआ है, जो सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज चाहते हैं, क्योंकि निजी अस्पताल में इलाज कराना उनकी पहुंच से बाहर है।
उत्तर प्रदेश से आई सरिता देवी इस बात से परेशान हैं कि उनके पति का इलाज नहीं हो पा रहा है। देवी के पति एक दिहाड़ी मजदूर हैं और उनके पैर में ट्यूमर है। 35 साल की देवी ने रोते हुए कहा, "डॉक्टर फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हम एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे हैं। मेरा पति रात में दर्द से रोता है, लेकिन मैं असहाय हूं।"
डॉक्टरों की क्या है मांग
डॉक्टर कार्य स्थल पर अपनी सुरक्षा को लेकर केंद्रीय संरक्षण अधिनियम की मांग कर रहे हैं। इस बिल को 2022 में लोकसभा में पेश किया गया था। इस बिल का मकसद डॉक्टर्स के साथ हिंसा को परिभाषित करना और ऐसा करने वाले शख्स के लिए दंड देने का प्रावधान करना है।
भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा एक बड़ी समस्या है। 1.4 अरब की आबादी वाले देश में 2022 में औसतन प्रतिदिन लगभग 90 बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं।
35 साल की रोजी खातून के पति पेट के कैंसर से पीड़ित हैं, उनका मानना है कि मौजूदा हड़ताल "अनुचित" है। वह कहती हैं। "मुझे नहीं पता कि हड़ताल कब तक चलेगी। सीनियर डॉक्टर अस्पताल नहीं आ रहे हैं।"
अपने पति के बगल में बैठी रोजी खातून कहती हैं, "जब हम मदद मांगते हैं, तो वे हमें चुप रहने के लिए कहते हैं। यह हड़ताल वाजिब नहीं है। लोग मर रहे हैं। इतने सारे मरीजों को तकलीफ में छोड़ देने के बाद यह हड़ताल कैसे जारी रह सकती है?"
एए/वीके (एएफपी)