गुरुवार, 28 नवंबर 2024
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विराट बनाम सौरव : सांडों की लड़ाई, बागड़ का नुकसान

Virat vs Sourav is ultimately a loss of Indian cricket। विराट बनाम सौरव : सांडों की लड़ाई, बाड़ का नुकसान - Virat vs Sourav is ultimately a loss of Indian cricket
टीम इंडिया को कप्तान बदलने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं थी। वह शानदार प्रदर्शन कर रही थी। विराट कोहली का बतौर कप्तान रिकॉर्ड इस बात का पुख्ता सबूत है। शिखर पर चल रही टीम की कप्तानी जिस तरह से विराट ने छोड़ी है वो आंतरिक फूट, अहंकार और अपनी-अपनी मनमानी चलाने की ओर इशारा करती है।

सौरव गांगुली को रवि शास्त्री कभी पसंद नहीं रहे। एक बार उन्होंने रवि के लिए टीम इंडिया के कोच का दरवाजा बंद कर दिया था। रवि भी पक्के खिलाड़ी हैं। विराट कोहली जैसे बड़े क्रिकेटर से नजदीकी बढ़ा कर उन्होंने दरवाजे को तोड़ दिया और टीम इंडिया के कोच बन बैठे। सौरव जब से बीसीसीआई प्रमुख बने हैं उन्हें शास्त्री खटक रहे थे। शास्त्री के मार्गदर्शन में टीम इंडिया लाल गेंद से नए रिकॉर्ड बना रही थी। सातवें नंबर की टीम पहले नंबर पर जा पहुंची। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को उनके देश में जाकर हरा दिया।

सौरव को शास्त्री के खिलाफ कोई मौका नहीं मिल रहा था और वे कसमसा रहे थे। आखिरकार शास्त्री का कार्यकाल पूरा होने आया। होना तो ये था कि शास्त्री के कार्यकाल को बढ़ाया जाना था क्योंकि उन्होंने विराट के साथ टीम इंडिया को बुलंदियों पर पहुंचाया था, लेकिन गांगुली यह कभी नहीं होना देना चाहते थे। संभव है कि विराट ने भी शास्त्री का कार्यकाल बढ़ाने की अनुशंसा की हो जिसे गांगुली ने अस्वीकार कर दिया हो।


पिछले साल हुए टी-20 वर्ल्ड कप शुरू होने के पहले विराट ने बता दिया कि वे अब टी-20 की कप्तान नहीं करेंगे। जब वे आईपीएल में आरसीबी की कप्तानी छोड़ चुके थे तो किस मुंह से देश की टीम का नेतृत्व करते। यहीं पर गांगुली को विराट पर दबाव बनाने का भी मौका मिला गया। उन्होंने विराट से वनडे कप्तानी भी छीन ली। फॉर्मूला दे दिया कि सफेद गेंद का कप्तान अलग और लाल गेंद का कप्तान अलग होना चाहिए। ये बात सही थी, लेकिन विराट इससे बड़े आहत हुए। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि उनसे वनडे में कप्तानी छिन ली गई जबकि गांगुली के सुर अलग थे। तभी इस बात के संकेत मिलने लगे थे कि विराट और गांगुली का तालमेल नहीं बन रहा है।

शास्त्री की जगह गांगुली ने राहुल द्रविड़ को फिट किया जो कि उनके विश्वसनीय है, हालांकि द्रविड़ की काबिलियत पर किसी को शक नहीं है, लेकिन बिना शास्त्री के विराट अपने आपको असहाय महसूस करने लगे। संभवत: गांगुली के बढ़ते दखल से वे आहत हुए। रन भी नहीं बन रहे थे इसलिए अतिरिक्त दबाव था। भारतीय टीम को दक्षिण अफ्रीका से टेस्ट सीरिज में पराजय मिली, लेकिन टीम ने पूरे दम के साथ लड़ाई लड़ी।

विदेशों में टीम इंडिया टेस्ट मैचों में जैसा प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों से कर रही है ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया। विराट और शास्त्री ने मिलकर गेंदबाजों की अच्छी खासी फौज जमा कर ली। आज भारत की ताकत तेज गेंदबाजी हो गई जो पहले कभी स्पिन हुआ करती थी।

बहरहाल, आहत विराट ने टेस्ट मैचे में भी कप्तानी का त्याग करने का फैसला लेकर टीम को परेशानी में डाल दिया। विराट की जगह लेने वाला तो फिलहाल कोई नहीं दिखाई देता। रोहित अच्छे कप्तान हैं, लेकिन फिटनेस को लेकर सवाल है। टेस्ट में वे अब तक टीम का स्थाई सदस्य नहीं बन पाए। ऋषभ पंत अभी नए हैं। रहाणे और पुजारा तो अब टीम से बाहर होने की राह पर है। अश्विन या बुमराह जैसे सीनियर प्लेयर्स में कप्तानी वाली काबिलियत नजर नहीं आती। केएल राहुल ने अपनी कप्तानी से निराश ही किया है। ऐसे में बहुत बड़ा खाली स्थान पैदा हो गया है और सौरव गांगुली के लिए परेशानी पैदा हो गई।

विराट ऐसे कप्तान थे जिनकी आक्रामकता से ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड के खिलाड़ी भी खौफ खाते थे। पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया। विराट अंतरराष्ट्रीय सितारे हैं जिनके नाम पर विदेश में भी टिकट बिक जाते हैं। पाकिस्तानी खिलाड़ी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। विराट की आक्रामकता सिर्फ मैदान तक ही सीमित थी। मैदान के बाहर विपक्षी टीम के साथ वह हंसी-मजाक करते थे। टीम को जिताने के लिए उनमें गजब का जज्बा नजर आता था।

अपने गेंदबाजों को वे लगातार प्रेरित करते थे और समय आने पर उनके साथ खड़े नजर आते थे। टीम के खिलाड़ियों में भी इस कारण आक्रामकता नजर आती थी। विराट की शख्सियत ही ऐसी बन गई है कि वे कप्तान ही हो सकते हैं। भारत के वे सबसे सफलतम कप्तान है। दुनिया में चौथे नंबर पर आते हैं। अभी टीम का प्रदर्शन भी अच्‍छा चल रहा था। बेवजह के विवादों से, अपने-अपने ईगो के कारण टीम का विजयी रथ रूक सकता है।

विराट अब खिलाड़ी के रूप में खेलेंगे। संभव है कि अब वे बल्लेबाज के रूप में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करें लेकिन टीम के कप्तान के रूप में भी उनकी टीम को जरूरत है। शास्त्री को निपटाने के चक्कर सौरव न चाहते हुए भी विराट से आमना-सामना कर बैठे और शास्त्री के चक्कर में ही विराट भी जरूरत से ज्यादा आहत हो गए। टीम इंडिया की बजाय लड़ाई कुछ ज्यादा ही पर्सनल हो गई और नुकसान तो टीम इंडिया का ही हुआ है। सौरव गांगुली और विराट कोहली का पंगा अब भारतीय क्रिकेट का अहित कर रहा है।