कोलकाता: बीसीसीआई से रवानगी को लेकर चर्चाओं के बीच बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह हमेशा ना ही खिलाड़ी ना ही प्रशासक नहीं बने रह सकते।
उनका यह बयान तब आया है जब भाजपा और पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस दादा की विदाई पर एक दूसरे पर हमला कर रहे थे। ऐसे में क्या यह संभावना है कि अब सौरव गांगुली राजनीति में आखिरकार जा रहे हैं, हालांकि यह सिर्फ एक कयास है।बोर्ड की सालाना आम बैठक में गांगुली की जगह 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रोजर बिन्नी का अध्यक्ष बनना तय है।
गांगुली ने यहां बंधन बैंक के एक कार्यक्रम से इतर कहा , आप हमेशा नहीं खेल सकते। हमेशा प्रशासक भी बने नहीं रह सकते लेकिन दोनों काम में मजा आया। सिक्के के दोनों पहलू देखना रोचक रहा। आगे कुछ और बड़ा करूंगा ।
उन्होंने कहा , मैं क्रिकेटरों का प्रशासक था। इतना क्रिकेट हो रहा है कि फैसले लेने पड़ते हैं। इतना पैसा इससे जुड़ा है। महिला क्रिकेट है, घरेलू क्रिकेट है। कई बार फैसले लेने पड़ते हैं।
गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष बने रहना चाहते थे लेकिन यह हो नहीं सका। वहीं जय शाह सचिव पद पर बने रहेंगे।
गांगुली सबसे पहले क्रिकेट प्रशासन में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव के रूप में आये थे। जगमोहन डालमिया के निधन के बाद वह सितंबर 2015 में इसके अध्यक्ष बने।
नरेंद्र मोदी की करी तारीफसफलता अर्जित करने के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण दिया।उन्होंने कहा , जीवन, उपलब्धियां और तरक्की छोटे छोटे लक्ष्य के बारे में नहीं है। आप एक दिन में सचिन तेंदुलकर, अंबानी या नरेंद्र मोदी नहीं बन सकते।उन्होंने कहा , आपको अपना जीवन, समय , दिन, सप्ताह और महीने देने पड़ते हैं। यही सफलता की कुंजी है।
बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा , मुझे यह बहुत अच्छा लगा। पिछले तीन साल में कई अच्छी चीजें हुई। कोरोना काल में आईपीएल हुआ जो पूरे देश के लिये कठिन समय था। प्रसारण अधिकार रिकॉर्ड दाम पर बिके।
उन्होंने कहा , अंडर 19 टीम ने विश्व कप जीता । काश महिला टीम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीत पाती। वे आस्ट्रेलिया को हरा सकते थे। सीनियर टीम आस्ट्रेलिया में जीती। बतौर प्रशासक ये सुनहरे पल थे।
गांगुली ने भारतीय टीम को आस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप के लिये शुभकामना देते हुए कहा , यह बेहतरीन टीम है और इसमें अपार प्रतिभा है। आप उम्मीद करते हैं कि यह टीम हर समय जीते लेकिन एक खिलाड़ी की चुनौतियां बिल्कुल अलग होती है। इसमें तुलना नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि एक खिलाड़ी के रूप में चुनौतियां एक प्रशासक के तौर पर चुनौतियों से अधिक थी।उन्होंने कहा , मैं आठ साल प्रशासन में रहा लेकिन मुझे लगता है कि एक क्रिकेटर की चुनौतियां अधिक होती हैं। प्रशासक के पास गलतियां सुधारने का समय होता है लेकिन टेस्ट मैच में सुबह ग्लेन मैकग्रा की गेंद पर आप आउट हो गए तो आपके पास सुधार का कोई मौका नहीं है।