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Last Updated : गुरुवार, 18 नवंबर 2021 (16:42 IST)

4 साल बाद टी-20 खेलने वाले अश्विन ने पिछले 4 मैचों में चटकाए 8 विकेट, कल भी किया कमाल

4 साल बाद टी-20 खेलने वाले अश्विन ने पिछले 4 मैचों में चटकाए 8 विकेट, कल भी किया कमाल - Sidelined Ravichandran Ashwin makes an impressive comeback
रांची: भारत के महानतम टेस्ट गेंदबाज़ों की सूची में प्रबल दावेदारी रखने वाले ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन सफ़ेद-गेंद क्रिकेट में एक नई ऊर्जा के साथ खेल रहे हैं। जो रास्ता 2017 में बंद होता दिख रहा था उसमें मानो एक लंबी सड़क दिखने लगी है।टी-20 विश्वकप के आखिरी 3 मैचों में उन्होंने 63 रन देकर 6 विकेट लिए थे। वापसी के हर मैच में वह कम से कम 2 विकेट जरूर चटका रहे हैं।
 
वैसे इसमें आश्चर्य की बात होनी भी नहीं चाहिए। अश्विन का आईपीएल में प्रदर्शन निरंतर बढ़िया रहा है। आईपीएल 2018 में एक साधारण सीज़न के बाद 2019 से वह इस लीग के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ों में रहे हैं। उनकी गेंदबाज़ी में अनुभव, चतुरता और नियंत्रण का बढ़िया समावेश देखने को मिला है।
 
एक अच्छी टीम की यही निशानी है कि उच्च-कोटि खिलाड़ी हमेशा टीम में आने के लिए तैयार रहते हैं और एक अच्छे खिलाड़ी में यह जज़्बा होता है कि अगर वह टीम में घुस जाए तो उसे निकालना असंभव हो जाए। वॉशिंगटन सुंदर के चोट लगने से अनुपस्थिति में अश्विन को टी20 विश्वकप में मौक़ा मिला और एक बार टीम में आने के बाद उन्होंने अपने कोटा के 16 ओवर डालें हैं जिनमे उन्होंने 5.37 की इकॉनमी से आठ विकेट भी लिए हैं। टी20 अंतर्राष्ट्रीय से भी अधिक आईपीएल में उनके आंकड़े शानदार हैं।
टी20 प्रारूप में मिडिल ओवर्स में स्पिन गेंदबाज़ों का स्वामित्व होता है। लेकिन जो गेंदबाज़ खेल के हर क्षण में कारगर होता है वह कहीं ज़्यादा मूल्यवान माना जाता है। 2019 के सीज़न के बाद से अश्विन के पावरप्ले में डाले गए 38 ओवर किसी भी स्पिनर के लिए सर्वाधिक हैं।

इस दौरान उनके 10 विकेट भी किसी भी स्पिनर के लिए सबसे ज़्यादा हैं। मिडिल ओवर्स में अश्विन ने लगभग 106 ओवर में केवल 22 विकेट लिए हैं जो अपने-आप में थोड़े कम ज़रूर लगते हैं। यही आंकड़े राहुल चाहर (128 ओवर में 37 विकेट), युज़वेंद्र चहल (127.1 में 50) या वरुण चक्रवर्ती (84 में 27) के काफ़ी बेहतर ज़रूर हैं लेकिन अश्विन रन गति पर अंकुश लगाने पर भी माहिर हैं।

चैपमैन और फिलिप्स को एक ही ओवर में चलता किया
 
बुधवार को भी ऐसा ही हुआ। अश्विन अपना पहला ओवर पावरप्ले में डालने आए और उन्होंने केवल छह रन दिए। उनका दूसरा ओवर दीपक चाहर के एक 15 रन लुटाने वाले ओवर के तुरंत बाद आया और इस बार उन्होंने दिए सात रन। मैच के बाद उन्होंने स्टार स्पोर्ट्स को कहा, "टी20 क्रिकेट में मुश्किल होता है यह जानना कि आप गेंद को कितनी फ़्लाइट दें और कब। बल्लेबाज़ पर आक्रामक गेंदबाज़ी करने के बहुत कम मौक़े होते हैं और आप दिशा और लंबाई में चूक नहीं सकते। टी20 में पहले गेंदबाज़ी करने में भी सही गति भांपना एक चुनौती है। मैंने अपने पहले दो ओवर में एक-आध बार गति को कम किया तो देखा कि गेंद ज़्यादा टर्न ले रही थी।"

 
इसी ज्ञान के साथ अश्विन ने पारी के 14वें और अपने आख़िरी ओवर में गेम का रुख़ बदल दिया। मार्क चैपमैन एक शास्त्रीय ऑफ़-ब्रेक का शिकार हुए और ग्लेन फ़िलिप्स दो ऑफ़-ब्रेक के बाद डाली गयी कैरम बॉल को पढ़ नहीं पाए। दो गेंदों में दो बड़े विकेट - एक सेट बल्लेबाज़ और एक बड़ा हिटर जो भारत को क्षति पहुंचा सकता था। मैच के बाद न्यूज़ीलैंड के लिए 42 गेंदों पर 70 रन बनाने वाले मार्टिन गुप्तिल बोले, "अश्विन एक चतुर गेंदबाज़ हैं जिनका अपनी दिशा और लंबाई पर बेहतरीन नियंत्रण है। और वह ख़राब गेंद तो डालते ही नहीं। उनका गति परिवर्तन भी लाजवाब है और इसी वजह से उन्हें मारना मुश्किल है।"
उनकी ख़ूबियों के चलते अश्विन की टी20 क्रिकेट में हालिया सफलता कोई अचरज की बात नहीं है। जयपुर के चार ओवर में उन्होंने एक झलक दिखाई कि इस दौरे पर शास्त्रीय स्पिन गेंदबाज़ी के चलते न्यूज़ीलैंड के लिए काम आसान नहीं होगा। टेस्ट मैच में अश्विन के पास अधिक ओवर और आक्रामक फ़ील्ड के साथ गेंदबाज़ी करने का मौक़ा होगा।
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