This Day That Year, 2011 World Cup : 13 साल बीत गए उस लम्हे को जिसकी तस्वीर आज भी हर एक भारतीय के दिल में एक ऐसे कोने में बसी है जिसे उसने अच्छी यादों से सजाया हुआ है, ऐसे पलों से जिन्हे सालों बाद भी याद कर होंठों पर सिर्फ मुस्कान ही होगी, ऐसा ही पल था वो जब महेंद्र सिंह धोनी ने 2011 का वर्ल्ड कप जीत अपने देश को गर्व महसूस कराया था। चलिए साथ मिलकर ताजा करें उन्हीं यादों को
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने इस विश्वकप फाइनल से पहले कई बार वनडे मैच में छक्का लगाकर टीम इंडिया को जिताया था वह सिर्फ अभ्यास था ताकि इस दिन कोई चूक न हो सके। पूरे टूर्नामेंट में फीके रहे महेंद्र सिंह धोनी का बल्ला फाइनल में गरजा और छक्का मारकर टीम इंडिया को जीत दिलाई। धोनी के नाबाद 91 रनों की पारी के कारण उन्हें मैन ऑफ द मैच का अवार्ड दिया गया।
भारत अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को हराकर फाइनल में पहुंची थी वहीं श्रीलंका न्यूजीलैंड को हराकर फाइनल में पहुंची थी। दोनों ही टीमों ने बेहतरीन खेल दिखाया था और लीग मैच में मात्र एक ही मैच हारी थी।
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए इस महामुकाबले के लिए भारत के कप्तान और विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी और श्रीलंका के कप्तान और विकेटकीपर कुमार संगाकारा (Kumar Sangakkara) टॉस के लिए मैदान पर आए। टॉस से ही इस मैच में सुर्खियां बटोरनी शुरु हो गई। इस मैच में दो बार टॉस हुआ।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने जब सिक्का उछाला तो इसे लेकर भ्रम था कि श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने हेड बोला या टेल। संगाकारा और धोनी के बीच बातचीत के बाद मैच रैफरी ज्यौफ क्रो (Jeff Crowe) ने दोबारा टॉस करने का फैसला किया।
श्रीलंका के कप्तान ने दूसरे मौके पर टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। बल्लबाजी करने उतरी लंका की शुरुआत अच्छी नहीं रही और उपुल थरंगा को सहवाग (Virender Sehwad) के हाथों कैच कराकर जहीर खान (Zaheer Khan) ने पैवेलियन भेजा। इसके बाद हरभजन की घूमती गेंद पर दिलशान ने स्वीप किया लेकिन वह चूके और बोल्ड हो गए।
संगकारा और जयवर्धने के बीच जब 62 रन की साझेदारी हो गई थी, तब युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने पहले की तरह भारत के लिए साझेदारी तोड़ी और Wankhede Stadium में बैठे दर्शकों में जोश भर दिया। संगाकारा कट करने के प्रयास में विकेट के पीछे धोनी को कैच थमा बैठे।
महेला जयवर्धने ने इसके बाद तिलन समरवीरा के साथ 57 रन जोड़े लेकिन फिर युवराज सिंह ने समरवीरा को पगबाधा आउट करके यह अहम साझेदारी तोड़ दी। जहीर खान ने जब चमारा कपूगेदारा को आउट किया तो ऐसा लगा था कि लंका ढह जाएगी।
लेकिन अंतिम ओवरों में जयवर्धने ने कुलसेकरा और थिसारा परेरा के साथ मिलकर ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की और स्कोर को 274 रनों तक ले गए। जयवर्धने ने फाइनल में शतक जड़ा और टीम को एक मजबूत स्थिती में ला खड़ा किया। उन्होंने 88 गेंदो पर 13 चौकों की मदद से 103 रन बनाए। भारत की और से जहीर और युवराज ने 2-2 विकेट चटकाए।
275 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही। लसिथ मलिंगा (Lasith Malinga) ने दूसरी गेंद पर ही सहवाग को LBW आउट कर दिया, वीरू के लिए रेफरल भी काम नहीं आया। सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) ने अपने घरेलू मैदान पर एक दो शॉट जमाकर दर्शकों की वाह वाही लूटी, लेकिन मलिंगा के तीसरे ओवर में संगकारा ने जब विकेट के पीछे उनका कैच लिया तो सभी दर्शक स्तब्ध रह गए।
इसके बाद गौतम गंभीर (Virat Kohli) ने कोहली के साथ 83 रनों की साझेदारी की। कोहली का एक शानदार कैच तिलकरत्ने दिलशान ने अपनी ही गेंद पर लपका। इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी ने खुद को बल्लेबाजी में प्रमोट किया और मैदान पर उतरे।
गंभीर और धोनी की बल्लेबाजी टीम इंडिया को जीत की ओर ले जाने लगी। दोनों के बीच कुल 109 रनों की साझेदारी हुई। गंभीर जब अपने शतक से सिर्फ 3 रन दूर थे तो आगे बढ़कर खेलने के चक्कर में परेरा की गेंद पर बोल्ड हो गए। 122 गेंदो पर उन्होंने 9 चौके लगाए और 97 रनों पर आउट हो गए।
इसके बाद बल्लेबाजी करने आए युवराज सिंह के साथ धोनी ने जीत की औपचारिकता पूरी कर दी। महेंद्र सिंह धोनी ने कुलसेकरा की गेंद पर छक्का लगाकर न केवल भारत को जीत दिलाई बल्कि यह शॉट इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
79 गेंदो में नाबाद 91 रनों की पारी में महेंद्र सिंह धोनी ने 8 चौके और 2 छक्के लगाए। इस पारी की बदौलत उन्हें मैन ऑफ द मैच का पुरुस्कार दिया गया।
अपना छठवां विश्वकप खेल रहे सचिन तेंदुलकर के लिए एक बार टीम विश्वकप जीतना चाहती थी और हर फैन की दुआओं में बस एक ही आशा थी कि कप भारत का ही हो, इस सपने को भारत ने पूरा किया और पूरे 28 साल बाद वनडे विश्कप भारत ने जीता।
अभी भी उस टीम से दो खिलाड़ी एक्टिव
13 साल बाद भी उस टीम के दो खिलाड़ी अभी भी टीम के लिए खेलकर भारत की शान बढ़ा रहे हैं, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन! विराट उस समय युवा थे और अपना पहला वर्ल्ड कप खेल रहे थे, अश्विन ने इस वर्ल्ड कप में दो मैच खेले थे लेकिन आज देखिए दोनों ही खिलाड़ी ने इन 13 सालों में इतना सम्मान और इतनी उपलब्धियां पाई है कि उन्हें गिनाते हुए एक फैन थक जाए।
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