भारत ने न्यूजीलैंड को दूसरे और अंतिम टेस्ट क्रिकेट मैच में 372 रन शिकस्त दी जो उसकी टेस्ट मैचों में रनों के लिहाज से सबसे बड़ी जीत और कीवी टीम की सबसे बड़ी हार है।
न्यूजीलैंड की टीम कानपुर में पहले टेस्ट मैच में बमुश्किल हार टाल पायी लेकिन मुंबई से उसे करारी शिकस्त झेलनी पड़ा। न्यूजीलैंड ने 1988 से भारत में कोई टेस्ट मैच नहीं जीता है और वह अभी तक भारतीय धरती पर टेस्ट श्रृंखला नहीं जीत पाया। कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों के मुताबिक सीनियर खिलाड़ियों की गैर मौजूदगी में भारत में न्यूजीलैंड का यह मैच और सीरीज जीतने का सबसे बेहतरीन मौका था लेकिन यह मौका भी कीवी टीम ने गंवा दिया।
न्यूजीलैंड के खिलाफ इससे पहले उसका रिकार्ड 321 रन से जीत का था जो उसने 2016 में इंदौर में हासिल किया था।न्यूजीलैंड की यह रनों के लिहाज से सबसे बड़ी हार है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका ने उसे 2007 में जोहानिसबर्ग में 358 रन से पराजित किया था।
इसके अलावा साल 2001 में पाकिस्तान के तेज तर्रार गेंदबाजों के सामने न्यूजीलैंड 299 रनों से ऑकलैंड में ही हार बैठी थी।
मौजूदा विश्व टेस्ट चैंपियनशिप टेबल में सिर्फ बांग्लादेश से है ऊपर
भारत को 8 विकेट से हराकर विश्व टेस्ट चैंपियशिप (2019-21) जीतने वाली न्यूजीलैंड मौजूदा चक्र (2021-23) में फिलहाल सिर्फ बांग्लादेश से आगे है। बाकि सभी टीम जैसे श्रीलंका (1), (2) पाकिस्तान, (3) भारत, इंग्लैंड(5), वेस्टइंडीज (6) से वह पीछे है। अभी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका ने इस चक्र का एक भी मैच नहीं खेला है।
भारत के हाथों टॉप रैंकिंग भी गंवाई
मुंबई में खेले गए दूसरे टेस्ट से पहले न्यूजीलैंड ना केवल विश्व टेस्ट चैंपियन था लेकिन आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 की टीम भी था। हालांकि मुंबई टेस्ट में करारी शिकस्त के बाद न्यूजीलैंड टीम 121 अंको के साथ रैंकिंग में दूसरे स्थान पर फिसल गई है। 124 अंको के साथ भारत अब टेस्ट की नंबर 1 टीम बन गई है।
निराशाजनक प्रदर्शन रहा: लेथमकेन विलियमसन की गैर मौजूदगी में कार्यवाहक कप्तान बने न्यूज़ीलैंड के टॉम लेथम ने दूसरा टेस्ट 372 रन से हारने और सीरीज को 0-1 से गंवाने के बाद अपनी टीम के प्रदर्शन को निराशाजनक बताया।
लेथम ने मैच के बाद सोमवार को कहा,'' निराशाजनक प्रदर्शन। पता था कि इन परिस्थतियों में यह कठिन होगा। 60 रन पर आउट होने से आप मैच में पीछे हो जाते हो। यदि आप भारत आते हैं, तो आप शायद पहले बल्लेबाजी करना चाहेंगे। पहली पारी में गेंदबाजों ने जिस तरह से मेहनत की वह शानदार थी। यह बिल्कुल वैसा नहीं था जैसा हम चाहते थे। एजाज पटेल ने 10 विकेट लेकर इतिहास में अपना नाम लिखवाया और इसका हिस्सा बनना खास है, हम एजाज के साथ जश्न मनाएंगे। हम घर जाएंगे, क्वारंटीन करेंगे और फिर बांग्लादेश के खिलाफ कुछ टेस्ट खेलने हैं। घर पहुंचने और फिर उस सीरीज की तैयारी के लिए उत्सुक हूं।
"जब आप 62 और 167 रनों के कुल स्कोर पर आउट हो जाते हो तो फोकस बल्लेबाज़ों पर होना स्वाभाविक है, जो विरोधी टीम की गेंदबाज़ी और परिस्थितियों के आगे बिखर जाते हैं। यहां पर गेंदबाज़ी की बात ही नहीं है क्योंकि जब आप विरोधी टीम के बल्लेबाज़ों उसी पिच पर 325 और 276 पर 7 जैसा स्कोर बना देते हों। जब आप मेहमान टीम के तौर पर भारत जैसे गेंदबाज़ी आक्रमण और इन परिस्थितियों में खेलते हो तो बल्लेबाज़ों के लिए करने के लिए कुछ नहीं रह जाता है जब आप मेज़बान टीम के बल्लेबाज़ों को बड़ा स्कोर बनाने देते हो।"
न्यूज़ीलैंड के कार्यवाहक कप्तान टॉम लेथम को हालांकि अपने बल्लेबाजों और विशेष रूप से रॉस टेलर के बारे में बात करते हुए पाया गया। दूसरी पारी में टेलर का दृष्टिकोण, जहां उन्होंने स्पिनरों पर हमला करने की कोशिश की और ऐसा करने में विफल रहे। उनकी इस कोशिश को विल समरविल की वापसी की तुलना में ज़्यादा आलोचना मिली, जो भारत में एक सीरीज़ में बिना कोई विकेट लिए 50 ओवर फेंकने वाले एकमात्र स्पिनर हैं।
लेथम ने कहा, "रॉस के पास स्पष्ट रूप से वह दृष्टिकोण था जहां वे दूसरी टीम के गेंदबाज़ों को दबाव में लाना चाहते थे। जैसे ही आप ऐसा करते हैं, उपमहाद्वीप की टीमें बहुत जल्दी खिलाड़ियों को आउट कर देती हैं। दुर्भाग्य से रॉस के लिए, यह उनके लिए काफ़ी कारगर नहीं था। रॉस की उस पारी में यही योजना थी।"
लेथम ने कहा,"इन परिस्थितियों में आप उन्हें केवल गेंदबाज़ी करने की अनुमति नहीं दे सकते। वे बहुत अच्छे हैं, वे बहुत सटीक हैं और वे आपको हिट करने के लिए बहुत मौक़े नहीं देते हैं हम ऐसा उन पर थोड़ा और दबाव डालने की कोशिश करने के लिए करना चाहते थे, जिससे की बल्लेबाज़ के आसपास खड़े क्षेत्ररक्षकों को दूर किया जा सके, क्योंकि आप जानते हैं अक्सर ऐसा नहीं किया जाता है।हमारे लिए यह एक निश्चित योजना रखने और उस पर टिके रहना था। अगर आपके पास एक योजना है और आप आउट हो जाते हैं, तो यह सिर्फ़ क्रिकेट का खेल है। यह खिलाड़ियों पर निर्भर है कि वे अपनी पारी को कैसे देखते हैं।"
लेथम ने कहा कि 62 रन पर आउट होने पर वे अलग तरीक़े से कुछ नहीं कर सकते थे। लेथम ने कहा, "क्रिकेट में यह उन चीज़ों में से एक है जहां आप जो कुछ भी करते हैं वह काम नहीं करता है। ऐसा किसी ना किसी दिन क्रिकेट में होता है। हमने दुनिया भर में अलग-अलग समय पर टीमों के साथ ऐसा किया है। दुर्भाग्य से यह हमारा समय था और चीज़ें उस तरह से सामने नहीं आईं जैसा हम चाहते थे।"
उन्होंने कहा,"हमारे दृष्टिकोण से, आपको इससे बहुत कुछ सीखना होगा। जिस तरह से हमने दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी की, कुछ खिलाड़ियों ने अपना गेम प्लान को थोड़ा बदला और उनके गेंदबाज़ों पर दबाव डाला, क्योंकि हम जानते हैं भारत में आप जितनी लंबी बल्लेबाज़ी करेंगे, बल्लेबाज़ी करना उतना ही मुश्किल हो जाएगा। यह उन मैचों में से एक है जहां दुर्भाग्य से हमें सही परिणाम नहीं मिला।"
लेथम ने कहा, "टेस्ट दौरे पर कुछ छोटी सकारात्मक चीज़ें भी थीं, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से बहुत दूर। जिन तीन लोगों का आपने उल्लेख किया (एजाज़ पटेल, विल यंग, रचिन रविंद्र), दुनिया के इस हिस्से में उनका पहली बार खेलना, उनका हमारे लिए अलग-अलग समय पर कदम रखना और पूरी सीरीज़ में योगदान देना लाजवाब था। न्यूज़ीलैंड क्रिकेट की गहराई के लिए इन परिस्थितियों में अधिक अच्छा प्रदर्शन करना बहुत अच्छा है।"
उन्होंने कहा,"जितना अधिक आप दुनिया के इस हिस्से में खेलते हैं, उतना ही आप सीखते हैं और अपने खेल को विकसित करने में सक्षम होते हैं। जाहिर तौर पर उन लोगों के लिए सुखद है, लेकिन बाक़ी सभी के लिए भी सीखने की ज़रूरत है। ताकि अगली बार हम यहां हों, तो उन सीखों को अमल में लाया जा सके।"
टॉम लेथम ने कानपुर टेस्ट में अपनी टीम की ओर से सर्वाधिक 95 रन बनाए थे और दूसरी पारी में भी अर्धशतक जड़ा था लेकिन कप्तानी के बोझ के तले दूसरे टेस्ट में वह अपने बल्ले से कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए।