महेंद्रसिंह धोनी ने अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर हर बार की तरह इस बार भी अपने प्रशंसकों को चौंकाया। धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से तो 2014 में ही संन्यास ले लिया था। अब उन्होंने सीमित ओवरों के प्रारूप से भी क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। धोनी ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच जुलाई 2019 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप में खेला था। वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में इस मैच में भारत को हार मिली थी। धोनी के क्रिकेट करियर से जुड़ी खास बातें-
महेंद्र सिंह धोनी का जन्म झारखंड के रांची में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम पान सिंह व माता श्रीमती देवकी देवी है। शुरुआत से ही धोनी की खेल में रचि थी। वे अपने स्कूल की फुटबॉल टीम में गोलकीपर भी थे। उन्हें लोकल क्रिकेट क्लब में क्रिकेट खेलने के लिए उनके फुटबॉल कोच ने भेजा था।
इसके बाद धोनी ने अपने विकेट-कीपिंग से सबको प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब के नियमित विकेटकीपर भी बने। क्रिकेट क्लब में उनके अच्छे प्रदर्शन के कारण उन्हें वीनू मांकड़ ट्राफी अंडर सिक्सटीन चैंपियनशिप में चुने गए जहां उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया। 10वीं कक्षा के बाद ही धोनी ने क्रिकेट की ओर विशेष ध्यान दिया और फिर उनकी एक अलग पहचान बनी।
घरेलू क्रिकेट में डेब्यू : धोनी को 1999-2000 में रणजी ट्रॉफी में बिहार की टीम के लिए डेब्यू करने का मौका मिला। 18 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने डेब्यू मैच में शानदार 68 रनों की पारी खेली। इस सीज़न में उन्होंने 5 मैचों में 283 रन बनाकर सबको प्रभावित भी किया. इसके बाद साल 2000-01 में उन्होंने अपना पहला शतक जमाया।
झारखंड के लिए 2002-03 सीजन में तीन अर्द्धशतकों के साथ देवधर ट्रॉफी में दो अर्धशतकों के साथ उन्हें अलग पहचान मिली। इसके बाद देवधर ट्रॉफी के 4 मैचों में 244 रनों के साथ उनकी अलग पहचान बनी। उन्होंने दिलीप ट्रॉफी फाइनल में तो दीपदास गुप्ता के ऊपर टीम में चुना गया था। इसके हाद उन्हें नेशनल क्रिकेट अकेडमी में भेजा गया।
भारत ए में मिली जगह : 2003-04 के सीज़न में उनके कड़े प्रयास के कारण धोनी को पहचान मिली, खास कर वनडे मैच में उन्हें जिम्बाब्वे व केन्या के लिए भारत ए टीम में चुन लिया गया। हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे इलेवन के खिलाफ धोनी ने 7 मैच और 4 स्टम्पिंग किए। इसके बाद इंडिया ए के लिए खेलते हुए पाकिस्तान ए के खिलाफ तो उन्होंने एक के बाद एक शतक जमाए।
टीम इंडिया में मिली जगह : 2004 में धोनी को बांग्लादेश के खिलाफ गांगुली की टीम में चुन लिया गया। इसके बाद धोनी ने पीछे पलटकर ही नहीं देखा. साल 2005 में उन्हें श्रीलंका के खिलफ टेस्ट सीरीज़ में जगह मिली जबकि 2006 तक आते-आते वो भारतीय टीम का एक पहचाना चेहरा बन चुके थे।
रिकॉडतोड़ पारी आलोचकों को दिया जवाब : जब महेंद्र सिंह धोनी पाकिस्तान के खिलाफ 2005 की वनडे सीरीज के दूसरे मैच में उतरे तो उन पर काफी दबाव था। साल 2004 में बांग्लादेश सीरीज में वह नाकाम हो चुके थे। हालांकि 123 गेंद पर 148 रनों की पारी ने उनके आलोचकों को शांत कर दिया। यह धोनी के रेकॉर्डतोड़ करियर की शुरुआत थी।
धोनी को मिली टीम की कमान : साल 2004 से 2007 तक धोनी के करियर में उतार-चढ़ाव आते रहे। 2007 के टी20 वर्ल्ड कप में जब सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ियों ने खुद को इससे अलग रखने का फैसला किया गया। धोनी को टीम की कमान सौंपी गई। इसके बाद उनकी कप्तानी में एक युवा टीम ने पहला टी-20 वर्ल्ड कप जीता।
तीन आईसीसी ट्रॉफियां : इस अनूठे रिकॉर्ड की शुरुआत धोनी की कप्तानी में वर्ष 2007 में टी-20 वर्ल्डकप जीतने के साथ हुई थी। धोनी की कप्तानी में भारत ने साल 2011 में आईसीसी वर्ल्ड कप जीता। 28 साल बाद भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप जीता। विनिंग शॉट भी उनके ही बल्ले से निकला। इसके बाद उन्होंने साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी पर भी कब्जा किया। वेे पहले कप्तान बने जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती।
टीम इंडिया को टेस्ट में बनाया नंबर वन : धोनी ने टी-20 कप जितवाने के बाद भारतीय टीम को टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन पर पहुंचाया। घरेलू सीरीज में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 213 रन की पारी खेली और भारत ने ऑस्ट्रेलिया को सीरीज में 4-0 से मात दी।
चेन्नई को बनाया चैंपियन : आईपीएल में भी धोनी ने अपना दम दिखाया। उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स अब तक हर सीजन के अंतिम चार में पहुंची है और उसने तीन बार खिताब पर कब्जा जमाया है। धोनी साल 2008 से ही चेन्नई सुपरकिंग्स के साथ हैं। दो साल तक जब उनकी टीम आईपीएल में शामिल नहीं रही तब वे राइजिंग पुणे सुपर जायंट्स के लिए खेले।