• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. क्रिकेट
  3. समाचार
  4. If the IPL was in the 80-90s, then these Indian cricketers would have Dhanavarsha
Written By
Last Updated : शनिवार, 18 अप्रैल 2020 (09:52 IST)

IPL अगर 80-90 के दशक में होता तो इन भारतीय क्रिकेटरों पर होती धनवर्षा

IPL अगर 80-90 के दशक में होता तो इन भारतीय क्रिकेटरों पर होती धनवर्षा - If the IPL was in the 80-90s, then these Indian cricketers would have Dhanavarsha
नई दिल्ली। इन क्रिकेट खिलाड़ियों में से कुछ प्रतिभा के धनी थे, कुछ के खेल का अपना निराला अंदाज था तो कुछ खाली मनोरंजन से मैदान में भीड़ खींचने की क्षमता रखते है। हम बात कर रहे है 80 और 90 के दशक के भारतीय क्रिकेटरों की जो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जैसी ग्लैमर और चकाचौंध से भरे टूर्नामेंट का कभी हिस्सा नही बन पाए।

उदाहरण के लिए कृष्णामाचारी श्रीकांत को ही देखिए, क्या वह बिना हेलमेट के पैट कमिंस के बाउंसर पर करारा शॉट लगा सकते थे? बेन स्टोक्स के बारे में क्या सोचेंगे? वह मनोज प्रभाकर की धीमी गति की गेंद को कैसे खेलते? अगर कपिल देव को 19वें ओवर में जसप्रीत बुमराह का सामना करना पड़ा, तो मुंबई इंडियंस का यह गेंदबाज पूर्व भारतीय दिग्गज का कैसी गेंद डालता। भारत के 10 पूर्व खिलाड़ियों की समीक्षा कर रहा है जो आईपीएल से चूक गए थे, लेकिन अगर वह आज के दौर में सक्रिय होते तो अंबानी और शाहरुख खान जैसे टीम मालिकों को उन पर रकम लुटाने में कोई परेशानी नहीं होती।

1. कपिल देव : शायद भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े हरफनमौला खिलाड़ी। भारत के सर्वश्रेष्ठ स्विंग गेंदबाजों में से एक और ऐसा बल्लेबाज जो बड़े छक्के लगाने मे माहिर हो। वह नई गेंद से गेंदबाजी की शुरुआत करने के बाद बीच के ओवरों और आखिरी ओवरों में भी गेंद डाल सकते थे। बल्ले से भी आखिरी ओवरों में गेंद को सीमा रेखा से पार पहुंचाने में उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होती। किसी भी टीम को इस 'हरियाणा हरिकेन' के लिए चेक बुक पर अंकों की संख्या बढ़ाने में परेशानी नहीं होती। 

2. कृष्णामाचारी श्रीकांत : वह अपनी पीढ़ी से आगे के खिलाड़ी थे। उनकी आक्रामक शैली दर्शकों को मैदान तक खींच लाती थी। वह बिना हेलमेट के एंडी रोबर्ट्स की गेंद पर पुल शॉट खेल कर छक्का लगाते थे तो पैट्रिक पैटरसन पर हुक कर के गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचाते थे। उस दौर (80 के दशक) में भी वह लगभग 100 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते थे। शायद चेन्नई सुपर किंग्स उन्हें टीम से जोड़ने के मामले में दूसरी फ्रेंचाइजी को पीछे छोड़ देती।

3. विनोद कांबली : ऐसा क्रिकेटर जो आज के दौर के आईपीएल के लिए बना था। बल्लेबाजी कौशल के साथ युवाओं को आकर्षित करने वाला पहनावा उन्हें इस प्रारूप में सुपरहिट बनाता। 90 के दशक में वह हार्दिक पांड्या जैसे आज के क्रिकेटरों से 10 गुना अधिक आगे थे। स्पिनरों के खिलाफ बड़े शॉट खेलने की उनमें गजब की क्षमता थी। मुंबई इंडियंस में वह सचिन तेंदुलकर के साथ बल्लेबाजी करते दिख सकते थे। 

4. मोहम्मद अजहरुद्दीन : कलाई के इस जादूगर को शुरुआती कुछ ओवरों के बाद मध्यक्रम में गेंद को क्षेत्ररक्षकों के बीच में खेलकर चौका लगाना या तेजी से दौड़कर से रन जुटाने में कोई परेशानी नहीं होती। स्पिनरों के खिलाफ कमाल का फुटवर्क उन्हें अलग श्रेणी में ले जाता है। फिटनेस और क्षेत्ररक्षण में हर मैच में 15 रन बचाने की क्षमता और नेतृत्व करने की काबिलियत उन्हें दूसरे से अलग बनाती। हैदराबाद (घरेलू टीम) या कोलकाता (पसंदीदा मैदान) की फ्रेंचाइजी को उन्हें टीम से जोड़ने में कोई परेशानी नहीं होती।

5. अजय जड़ेजा : महेन्द्र सिंह धोनी से पहले देश के सबसे समझदार क्रिकेटर में से एक माने जाने वाले जड़ेजा के पास पारी का आगाज और आखिरी ओवरों बल्लेबाजी की शानदार क्षमता थी। वह धोनी की तरह मैच फिनिशर की भूमिका बखूबी ही निभा सकते थे। क्षेत्ररक्षण में सबसे फुर्तीले और जरूरत पड़ने पर गेंदबाजी में भी हाथ आजमा सकने की क्षमता उन्हे इस प्रारूप की बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक बनाती। वह दिल्ली की टीम के सही खिलाड़ी साबित होते।

6. मनोज प्रभाकर: नई गेंद से स्विंग और आखिरी ओवरों में धीमी गति की गेंदबाजी उन्हें आईपीएल के लिए सटीक गेंदबाज बनाती है। बड़े शॉट खेलने की ज्यादा क्षमता नहीं थी लेकिन अगर दूसरे छोर से अच्छी बल्लेबाजी करने वाले का पूरा साथ निभाने की क्षमता थी। शायद राजस्थान रॉयल्स में इन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका मिलता। 
 
7. रोबिन सिंह : ऐसे हरफनमौला जिन पर किसी भी फ्रेंचाइजी को पैसे की बारिश करने में समस्या नहीं होती। बड़े शॉट खेलने में माहिर और मध्यम गति से सटीक गेंदबाजी के साथ क्षेत्ररक्षण में गजब की चपलता उन्हें किसी भी कप्तान की चहेता खिलाड़ी बनाती। उनके लिए शायद सनराइजर्स हैदाराबाद की टीम सबसे सटिक होती जो हरफनमौला खिलाड़ियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। 

8. रवि शास्त्री : बायें हाथ से धीमी गेंदबाजी और पारी का आगाज करने से लेकर किसी भी क्रम पर बल्लेबाजी करने की क्षमता उन्हें खास बनाती है। स्पिनरों के खिलाफ आसानी से छक्का लगाने की काबिलियत से वह इस प्रारूप के लिए चहेते क्रिकेटर होते। वह चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान हो सकते थे। 

9. मनिंदर सिंह : जब बायें हाथ का यह स्पिनर अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेल रहा था तब उसकी गेंद की फ्लाइट सटीक होती थी और वह गेंद को सही जगह टप्पा खिलाते थे। आज के दौर की टी20 क्रिकेट में भी उनकी गेंदबाजी के खिलाफ रन बनाना मुश्किल होता। किंग्स इलेवन पंजाब को उन्हें टीम में जगह देने में कोई परेशानी नहीं होती। 
10. जवागल श्रीनाथ : अपने समय में भारत के सबसे तेज गेंदबाज में से एक, जिनके पास गति के साथ उछाल और गेंद को अंदर लाने की क्षमता थी। वह किसी भी कप्तान के लिए चहेते गेंदबाज होते। वह शुरुआती ओवरों में टीम को विकेट दिलाते और बल्ले से भी कभी-कभी योगदान दे सकते थे। वह आरसीबी के लिए सही चयन होते। (भाषा)