Mahendra Singh Dhoni : धोनी ने एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया, उनकी कमी खलेगी : ICC
दुबई। महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) को दी जा रही शुभकामनाओं का दौर जारी है और अब खेल की वैश्विक संस्था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने कहा है कि इस पूर्व भारतीय कप्तान ने एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया और उनकी कमी बेहद खलेगी।
धोनी ने शनिवार शाम अपनी मां के जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘मुझे अब रिटायर्ड समझा जाए।’ धोनी दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं, जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती हैं- 2007 में टी20 विश्व कप, 2011 में एकदिवसीय विश्व कप और 2013 में चैंपियन्स ट्रॉफी।
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनु साहनी ने कहा, ‘महेंद्र सिंह धोनी खेल के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक हैं। वानखेड़े स्टेडियम में 2011 आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में उनके विजयी शॉट लगाने की छवि दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों के जेहन में छपी हुई है।’
साहनी श्रीलंका के नुवान कुलशेखरा की गेंद पर लगाए छक्के के संदर्भ में कह रहे थे, जिससे भारत ने घरेलू सरजमीं पर विश्व खिताब जीता। उन्होंने कहा, ‘धोनी ने एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया है और उनकी बेहद कमी खलेगी। आईसीसी की ओर से मैं शानदार क्रिकेट करियर के लिए उन्हें बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’
धोनी ने 98 टेस्ट में 4876 रन बनाने के अलावा 256 कैच लपके और 38 स्टंपिंग की जबकि 350 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में उन्होंने 10773 रन बनाने के अलावा 321 कैप लपके और 123 स्टंपिंग की।
वह भारत की ओर से आखिरी बार पिछले साल आईसीसी एकदिवसीय विश्व कप के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले। इस मुकाबले में भारत को हार का सामना करना पड़ा था। धोनी ने टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 1617 रन बनाने के अलावा 57 कैच लपके और 34 स्टंपिंग की। उन्होंने छह टेस्ट और 10 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय शतक बनाए।
धोनी 2006 से 2010 के बीच 656 दिन तक आईसीसी पुरुष एकदिवसीय खिलाड़ी रैंकिंग में शीर्ष बल्लेबाज रहे। उन्हें 2008 और 2009 में आईसीसी का साल का सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय क्रिकेटर चुना गया।
धोनी 2006, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013 और 2014 में आईसीसी की साल की सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय टीम और 2009, 2010, 2012 और 2013 में आईसीसी की साल की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट टीम का हिस्सा रहे। उन्हें 2011 में आईसीसी का 'स्पिरिट ऑफ क्रिकेट पुरस्कार' भी मिला।